छग राज्य वन विकास निगम में अधिकारियों की शह पर भ्रष्टाचार का बोलबाला

 



  राजनांदगांव स्थित, छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के , पाना बरस परियोजना मण्डल में, भारी घोटाला, भ्रष्टाचार,  गड़बड़ी, अनियमितता, किए जाने के पुष्ट समाचार मिल रहे है, अब चाहे वह, उतई क्षेत्र में सैन्य आवासीय स्थल के समीप,  भिलाई इस्पात संयंत्र का, औधौगिक वृक्षारोपण क्षेत्र हो, या, मोहला के समीप होने वाले सागौन प्लांटेशन, जहां पर विभागीय भ्रष्टाचार,  तो जग जाहिर है, वही, अवैध कटाई के भी अनेकों प्रकरण सामने आ चुके है, फिर भी इस ओर,  राज्य के वन विकास निगम,  उच्च अधिकारीयों का,  चिरकालीन  मूक दर्शक बने रहना, अनेकों  संदेह को जन्म देता है, और विशेष कर,  छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के, प्रबंध संचालक, राजेश गोवर्धन की भ्रष्ट  कार्यशैली को लेकर सारा प्रदेश अनभिज्ञ नही है,  वही उनके कंधा से कंधा मिलाकर,  भ्रष्टाचार को शीर्ष तक पहुंचाने वाली,  जूनियर आई एफ एस,  प्रभारी अपर प्रबंध संचालक  से लेकर, रीजनल जनरल मैनेजर के, दोहरे तिहरे, प्रभार के अतिरिक्त पद पर, विगत, तीन वर्षों से ऊपर काबिज, आर जी एम सोमादास  मैडम के, अतिरिक्त कार्य के बोझ ने, उनके स्मरण शक्ति,  एवं मानसिक सूझबूझ को क्षीण कर,  उनमें  एक कठपुतली सी व्यवहारिक क्षमता आ चुकी है,  उनकी इसी  कार्यशैली को लेकर भी,  प्रदेश निगम के मंडल कार्यालय में,  प्रायः कई किस्से अब चटकारे लेकर सुनाए जाने लगे है, प्रारंभिक काल 2017 मे,  वन विकास निगम में छह माह तक पदभार,  ग्रहण करने में आनाकानी करने वाली, आर जी एम  सोमादास मैडम,  विगत तीन चार वर्षों में,  भ्रष्टाचार एवं घोटाले  के दलदल में,  आकंठ डूब चुकी है, प्रबंध संचालक राजेश गोवर्धन तथा अपर प्रबंध संचालक,  एवं आर जी एम सोमादास मैडम की, भ्रष्ट जुगलबंदी ने तो, छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम, की आर्थिक रीढ़ को ही खोखला कर रख दिया है,  इसका अनुमान राज्य शासन के मुख्यमंत्री  को,  प्रतिवर्ष दिए जाने वाला लाभांश राशि है,  जो विगत प्रारंभिक वर्षों की तुलना में, इस वर्ष दिए जाने वाली राशि का ग्राफ,  पन्द्रह प्रतिशत भी नही रह गया है,  जो शासन में उच्च स्तर पर बैठे, अधिकारियो के लिए विचारणीय पहलू  है,  भ्रष्टाचार का यह अनल अब,  मंडल कार्यालयों तक भी पहुंच चुका है, मंडल कार्यालय के डिप्टी डी एम  और,  डी एम की कमान,  रेंजर  स्तर के मैदानी  अधिकारियों के हाथ आ चुकी है, जहां पर आई एफ एस अधिकारियों का टोटा होना भी बताया जा रहा है,  इसके लिए छत्तीसगढ़ वन विकास निगम,  केवल औपचारिक लिखा पढ़ी कर,  नियुक्ति में शीतलता बरत  रहा है, इसके पीछे की वजह प्रबंध संचालक, राजेश गोवर्धन, वर्तमान में किए जा रहे भ्रष्टाचार में,  किसी का दखल नही चाहते, तथा साफ सुथरी छबि वाले आई एफ एस अधिकारी भी, छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के भ्रष्ट कार्य,  से दूरी बनाए रखना चाहते है,  यही वजह है कि,  एम डी श्री राजेश गोवर्धन खाना पूर्ति के लिए,  रेंजर स्तर के कर्मचारियों को  अपनी आर्थिक लक्ष्य पूर्ति हेतु,  डिप्टी डी एम,  और डी एम,  जैसे उच्च पदों पर सुशोभित कर,  निशाना बना अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे है,  और  इन्हें   केवल पासिंग, बिल, बाउचर, मस्टररोल, इत्यादि में,  हस्ताक्षर करने मात्र के लिए ही रखा जा रहा है,  प्रभारी अपर प्रबंध संचालक से लेकर आर जी एम,  और डिप्टी डी एम से लेकर, डी एम,  यहां तक रेंजर पद पर  भी सारे नियम कानून के विरुद्ध जाकर जूनियर, अनुभवहीन की पोस्टिंग की गई है, जिसके चलते ईमानदार,  कर्तव्यनिष्ठ,  पात्र अधिकारी,  कर्मचारी,  वर्षों से अपने जूनियर के हाथ के नीचे कार्य करने विवश है,  जिसके कई उदाहरण मिल जाएंगे,  तथा भविष्य में इस विषय को लेकर और भी खुलासे किए जाएंगे, हाल ही में फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र द्वारा,  रायपुर देवेंद्र नगर स्थित,  राज्य वन विकास निगम के,  बारनवापारा परियोजना मंडल कार्यालय में,  सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत, ई ए सी कॉलोनी स्थित, सात एकड़ भूमि में, हो रहे आक्सिजोन  निर्माण कार्य,  एवं सामग्री,पौधे क्रय,  की जानकारी 18 नवम्बर 2019 को, मंडल प्रबंधक, श्री  मुदलियार से मांगी गई थी, परन्तु जन सूचना अधिकारी  नियम  की धज्जियां उड़ाते हुए, उनके द्वारा समय सीमा पूर्ण होने के बाद भी जवाब नही दिया गया,  जिसे लेकर पुनः,   प्रथम अपीलीय अधिकारी आर जी एम,  सोमादास मैडम के समक्ष अपीलीय पत्र, प्रस्तुत किया गया,  जिसके प्रत्युत्तर में उनके द्वारा एक आदेश डी एम श्री मुदलियार को प्रेषित कर दिया गया,  कि आवेदक को जानकारी प्रदान करे, जबकि  उन्हें दोनों पक्ष को कार्यालय में बुलाकर,  इसका निराकरण करना चाहिए था,  परन्तु उन्होंने ऐसा न करके, आक्सिजोन  में हो रहे भ्रष्टाचार, और गड़बड़ घोटाला, की पुष्टि पर मुहर लगा दी है, यह स्थिति यही नही बल्कि प्रदेश वन विकास निगम के, अन्य मण्डल कार्यालयों में लगाए जाने वाले सूचना के अधिकार,  में भी यही प्रक्रिया निभाई जा रही है, जिसकी  वजह से प्रदेश वन विकास निगम मुख्यालय,  राज्य सूचना आयोग कार्यालय के चक्कर मे फंस चुका है,  जिसके भविष्य में परिणाम  बहुत खतरनाक हो सकते है, समाचार तो यह भी मिले है कि गलत और भ्रामक,  जानकारी देने के मामले में राज्य सूचना आयोग ने वन विकास निगम,  अधिकारियों को लताड़ा भी है, भ्रष्टाचार का यह खेल प्रदेश भर के मंडल कार्यालय में जारी है, अब राजनांदगांव स्थित पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय को ही ले लें, जो गत  2019 अगस्त में  नवीन भवन में स्थानांतर हुआ,  बताया जाता है कि,  भवन निर्माण में भी काफी भ्रष्टाचार हुआ, यदि इसकी सूक्ष्मता से जांच की जाए,  तो अनेक चौकाने वाले तथ्य सामने आएंगे,  छह माह पूर्व हुए  नवीन भवन के बगल में एक गार्डन का निर्माण भी हुआ था, जहां छोटे पौधे सहित नरम घास बिछा कर,  आकर्षक स्वरूप प्रदान किया गया था, जो देखरेख और व्यवस्था के अभाव में जीर्णशीर्ण अवस्था मे पहुंच गया है,  कथित गार्डन में चार लोहे की  कुर्सियां भी लगाई गई थी, जो केवल पक्षियों के बीट करने के लिए ही रह गया है,  तथा उसका रंग भी लाल से अब सफेद हो गया,  ज्ञात हुआ है कि उक्त चारों कुर्सी को रायपुर डी एम श्री मुदलियार  के द्वारा,  रायपुर से क्रय कर राजनांदगांव  भेजा गया  1 कुर्सी की कीमत,  लगभग पन्द्रह हजार रुपये की दर से चार कुर्सी की कीमत साठ हजार रुपये का होना बताया गया,  जिसका भुगतान लंबित है तथा राजनांदगांव  पानाबरस  परियोजना मण्डल के डी एम,  श्री डी एस ठाकुर को शीघ्र भुगतान हेतु पत्र भी लिखा गया है, बताते चले कि,  लोहे की उक्त कुर्सियां जिनका बाजार मूल्य तीन  हजार से अधिक नही है उसकी कीमत ही चौदह हजार सात सौ रुपये की दर से भुगतान किया जा रहा है,  जो सीधे सीधे भ्रष्टाचार होने की पुष्टि करता है,  राजनांदगांव पानाबरस परियोजना मंडल में,   डी एस ठाकुर लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहे है,  तथा इनके द्वारा अनेक जांच भी विभाग की ओर से किए है,  जिसमे कोडार बांध स्थित डिपो में,  तात्कालिक प्रभारी चंद्रा द्वारा स्तरहीन मुरुम बिछाकर,  लगभग चार लाख रुपये में आर्थिक अनियमितता की गई थी,  जिसे जांच अधिकारी के रूप में इन्ही  के द्वारा जांच की गई थी,  और जांच में इनके द्वारा लेनदेन कर प्रभारी चंद्रा को क्लीन चिट दिया गया था, वही 2016 में किए गए नीलगिरी प्लांटेशन के नाम पर बारनवापारा स्थित,  बड़गांव के समीप स्थित ग्राम जमहर के,  कक्ष क्रमांक 97 में प्राकृतिक वनों की अंधाधुंध कटाई की जांच भी इन्ही पानाबरस परियोजना मंडल अधिकारी,  श्री ठाकुर के द्वारा किया गया था,  यहां भी इनके द्वारा लंबी चौड़ी रकम लेकर,  तात्कालिक रेंजर पॉल साहब को क्लीन चिट दिया गया था,  और प्रकरण को रफादफा करवा दिया गया था,  कथन आशय यह है कि मंडल प्रबंधक श्री ठाकुर  की छबि स्वच्छ नही है,  और उनके द्वारा विभाग में बड़े घोटालों को अंजाम दिया है,  तथा फरवरी 2020 अंतिम सप्ताह ये सेवानिवृत्त भी हो रहे है,  जिसकी जांच भी अतिआवश्यक है, जांच के विषय मे,  इस वर्ष दल्ली राजहरा परिक्षेत्र में कराए गए  नवीन प्लांटेशन भी सम्मिलित है, जिसकी विस्तृत जानकारी शीघ्र प्रसारित की जाएगी,