छग राज्य वन विकास निगम में पी.सी.पांडे प्रबन्ध संचालक बने - कर्मचारियों में कसावट लाए जाने की आशा बंधी 

छग राज्य वन विकास निगम में पी.सी.पांडे प्रबन्ध संचालक बने - कर्मचारियों में कसावट लाए जाने की आशा बंधी 



अलताफ हुसैन


रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़)छग राज्य वन विकास निगम में 1987 बैच के आई एफ़ एस अधिकारी श्री पी सी पांडे साहब को प्रबन्ध संचालक के रूप में पदोन्न किया गया यह आदेश आज 9 नवंबर को राज्य शासन  द्वारा जारी किया गया इसके अलावा छ अन्य आई एफ़ एस अधिकारियों की नवीन पदोन्नति हुई है बता दे कि श्री पांडे साहब कर्तव्यनिष्ठ,कर्मठ और अनुभवी अधिकारी के रूप में जाने जाते है उनके वन विकास निगम में पद स्थापना से निगम के कार्यों को सुव्यवस्थित गति के साथ कसावट भी मिलेगी ज्ञात हो कि वन विकास निगम में कई  वर्षो से कर्मचारियों का टोटा पड़ा हुआ है तथा कर्मचारियों की कमी के कारण ही रेंजर को मंडल प्रबंधक का पद भार सौप (डी एम) कर निगम के कार्य संपादित कराया जा रहा है जिसकी वजह से कार्यों में शिथिलता नज़र आ रही है तथा निगम के राजस्व का ग्राफ भी वर्ष दर वर्ष रसातल की ओर जा रहा है यही नही मैदानी अमले में भी काफी कमी देखी जा रही है तथा मनमर्जी से कृपा पात्र कर्मचारियों को ऊपर बैठे अधिकारियों द्वारा  उन्हें मनचाहा कार्य दायित्व सौप कर कहीं भी बैठा दिया गया है और पात्र कर्मचारी वर्षों से अपने पदोन्नति की बाट जोह रहा है उदाहरण स्वरूप  ज्ञात तो यह भी हुआ है राजनांदगांव परियोजना मंडल कार्यालय में संविदा नियुक्त फॉरेस्ट गार्ड महिला कर्मचारी को कार्यालय में दरबान बना कर बैठा दिया गया है जबकि उनकी नियुक्ति राजस्व शाखा में की गई है फिर भी उसे राजस्व शाखा में बैठने की बजाए मंडल कार्यालय के दरवाजे का दरबान बना दिया गया तथा अन्य दैनिक वेतन भोगी से उनके स्थान पर सेवाएं ली जा रही है वही बार नवापारा परियोजना मण्डल में भी एक कर्मचारी जिसका मूल कार्य ड्राइवरी है उसे भी मूल कार्य से हटा कर केवल एक स्थान पर बैठा कर वेतन जारी किया जा रहा है इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि छग वन विकास निगम के विभिन्न परियोजना मंडल कार्यालय मे किस प्रकार अधिकारियों की मनमानी जारी है इसके पीछे पद और पैसे का बहुत बड़ा खेल होना बताया जा रहा है यही कारण है कि पात्र को अपात्र बना कर न ही कर्मचारियों को कार्यालयीन कार्य दिया जा रहा है और न ही उनसे अन्य सेवाएं ली जा रही है इस विषय को लेकर छग वन विकास निगम कर्मचारियों में  सुगबुगाहट और कानाफूसी हो रही है कि क्या निगम अपने कर्मचारियों को केवल बैठाकर वेतन जारी करता है ? जबकि कर्मचारियों की कमी होने के पीछे कुछ अधिकारियों का यह रोना कि निगम में नवीन अधिकारी, कर्मचारियों की भर्ती का मामला में वेतन पैसों की अल्पता बताया है इस पर सवाल उठाया जा रहा है कि जब वन विकास निगम अपने कर्मचारियों को बैठा कर वेतन दे सकता है तो फिर नवीन भर्ती प्रक्रिया क्यों नही कर सकता ? क्यों फारेस्ट गार्ड को रेंज का प्रभार और रेंजर को डी एम का प्रभार देकर छग वन विकास निगम की गाड़ी को बलात खिंचा जा रहा है ? इसके पीछे बड़े सुनियोजित तरीके से चापलूसी के साथ हजारों रुपये के लेनदेन का बड़ा खेल का मामला होना बताया जा रहा है अब यह लेनदेन के तार कहां से कहां तक जुड़े है और किसके माध्यम से जुड़े है यह रहस्य अब भी पर्दे में है जिसका खुलासा समय आने पर किया जाएगा फिलहाल अब छग वन विकास निगम के कर्तव्य निष्ठ अधिकारियों का मत है कि  प्रबंध संचालक पद पर श्री पांडे साहब के आगमन के साथ ही निगम में चल रही ऐसी विसंगतियो से छुटकारा मिलेगा तथा वन विकास निगम पुनः पूर्व की भांति अपने मूल स्वरूप और उद्देश्य के साथ गतिमान होगा ?