एक व्यक्ति जिसने पर्यावरण, और जल संरक्षण के लिए रोप डाले डेढ़ लाख पौधे -ऐसी दीवानगी कि पुलिस ड्यूटी के बाद रोज लगाते है पौधे

एक व्यक्ति जिसने पर्यावरण, और जल संरक्षण के लिए रोप डाले डेढ़ लाख पौधे -ऐसी दीवानगी कि पुलिस ड्यूटी के बाद रोज लगाते है पौधे


फॉरेस्ट क्राइम / अल्ताफ हुसैन



 


 


रायपुर कभी कभी जीवन मे ऐसे अविश्वसनीय अभूतपूर्व कार्य देखने को मिलते है कि एक बारगी किसी को विश्वास ही नही होता कि कोई व्यक्ति सतत परिश्रम लगन, आत्म विश्वास के बल पर इतिहास रच सकता है परन्तु यह शाश्वत सत्य है एक अकेला व्यक्ति जो भावी पीढ़ी को बचाने मानव हित के लिए प्रदूषण मुक्त वातावरण  तथा जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए लाखों की संख्या में पेड़ पौधों का रोपण कर डाला हो तो यकायक यह किसी को भी विश्वास नही होगा परन्तु रायपुर शहर के ही एक वृद्ध हो चुके व्यक्ति द्वारा विगत चालीस वर्षों से राजधानी रायपुर ही नही बल्कि प्रदेश भर के पठारी,चट्टानी और पड़त भाटा भूमि में वृक्षारोपण कर हरियाली की सौगात देकर प्रदूषण मुक्त वातावरण एव पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे है लाखों की संख्या में पौधरोपण करने जैसा पुनीत कार्य करने वाले उन पर्यावरण प्रेमी का नाम शत्रुघ्न पांडे है



जो वर्तमान में रायपुर कालीबाड़ी स्थित यातायात विभाग में सहायक निरीक्षक के पद पर है तथा सन 1980 से लगातार प्रदेश भर के भिन्न भिन्न थाना क्षेत्रों में रहते हुए रोपण कार्य करके एक इतिहास रचा है उन्होंने अब तक के चालीस वर्षों में लगभग एक लाख पचास हजार से ऊपर पौधा रोपण कर कीर्तिमान स्थापित कर दिया उनके इस पुनीत कर्म के लिए कभी भी किसी वरिष्ठ अधिकारी ने विरोध नही किया बल्कि  अच्छे कर्म को लेकर उनकी पीठ ही थपथपाई है पौधा रोपण को लेकर उनसे फॉरेस्ट क्राइम न्यूज ने अम्बेडकर चौक कलेक्टोरेट के समक्ष स्थित खजाना तिराहा के समीप ड्यूटी के दौरान उनसे चर्चा करते हुए सवाल पूछा - आप बताएं कि पौधा रोपण को लेकर आप को कहां से प्रेरणा मिली तब उन्होंने वर्ष 1980 की एक अविस्मरणीय घटना का जिक्र करते हुए बताया कि जब वे सिपाही थे तथा एक बस में यात्रा कर रहे थे देवभोग के समीप स्थित एक ट्रक दुर्घटना ग्रस्त दिखी जिसमे सागौन के परिपक्व ताजे कटे हुए पेड़ के सात फीट काष्ठ था संभवतः सागौन की तस्करी हेतु उसका परिवहन किया जा रहा था करीब जाकर जब मैंने देखा तो कटे हुए काष्ठों से लाल रंग द्रव्य का रिसाव हो रहा था मैने उन काष्ठों के निकले द्रव्य को उंगली में लेकर जब कमीज में लगाया तब वह मुझे रक्त समान लगा मुझे लगा कि जब किसी व्यक्ति को तनिक चोट लगने पर वह दर्द से कराह उठता है तथा रक्त रोकने नाना प्रकार से जतन करने लगता है परन्तु जब परिवहन होते उन काटे गए काष्ठों पर लोहे की कुल्हाड़ी से वार किया गया होगा तब उसे कितना असहनीय दर्द हुआ होगा उस घटना ने मुझे रात भर सोने नही दिया और आते जाते विचारों ने विचलित कर दिया तब मैने यह संकल्प लिया कि जीवन पर्यंत मैं पेड़ पौधे रोपण करूंगा ताकि इसकी महत्ता सभी मानव को समझ आए तब से लेकर आज तिथि तक अनवरत पेड़ पौधों का रोपण कार्य जारी है उन्होंने बताया कि इन चालीस वर्षों में अब तक उन्होंने एक लाख पचास हजार से ऊपर पौधों का सफल रोपण किया है इसके लिए आप पौधे कहां से लाते है पूछने पर जब उन्होंने उसके संग्रहण की बात बताई तो आंखे विस्मय से फ़टी की फटी रह गई उन्होंने बताया कि आप ने बहुत से भवन मकान या घरों की दीवारों पर प्राकृतिक रूप से उगते नन्हे बरगद,पीपल,नीम इत्यादि को  देखा होगा मकान या भवन मालिकों द्वारा उन्हें या तो मजदूरों से कटवा दिया जाता है या उनका नष्टीकरण कर दिया जाता है मैं ऐसे पौधों का चयन करता हूँ तथा मालिकों से विनती अनुनय कर उन पौधों को बड़ी सावधानी से स्वयं चढ़ कर निकालता हूं तथा पौधों को एक स्थान में जहां काली मिट्टी है वहां उसका रोपण कर देता हूं इसके लिए थाना परिसर को ही छोटी सी नर्सरी बना ली है जहां दो ट्रेक्टर काली मिट्टी डलवा कर लाए गए पौधों को पॉलीथिन में रोपण कर रख देता हूं तथा दो ड्रम पानी के रखे रहते है जिससे इन्हें नियमित दिन में दो बार पानी देता हूं जब उनके नवपुल्कित पत्ते निकलना प्रारंभ हो जाते है तब वह स्वयं सर्वाइव करना प्रारंभ कर देता है उनसे पूछा गया कि इतनी ऊँचाई भवन में चढ़ने के क्या साधन उपयोग करते है तब श्री शत्रुघ्न पांडे बताते है कि ये सामने व्यवसायिक परिसर देख रहे है कहते हुए उन्होंने अम्बेडकर चौक खजाना तिराहा के समक्ष स्थित व्यवसायिक परिसर की ओर उंगली दिखाते हुए बताया यह चार मंजिल भवन की दीवारों में लगभग नौ पेड़ बरगद,और पीपल के पौधे थे जिन्हें विधुत विभाग से सीढ़ी उपलब्ध कर पहले उसे रस्सी से बांधा पश्चात स्वयं चढ़कर नौ पौधों को सावधानी से निकाल कर उसे अपने स्थल में ले जाकर रोप दिया जो आज लगभग छ से आठ फीट ऊंचाई के आकार में आ गए वर्तमान में हमारे पास पांच सौ से ऊपर पेड़ उपलब्ध है जिसे जनता के द्वारा मांगने पर निशुल्क प्रदान किया जाता है श्री पांडे अपना स्मरण सुनाते हुए आगे बताते है कि धमतरी जिला के केरेगांव थाना के समीप स्थित चट्टानी भूभाग है जहां वर्षा में भी घास नज़र नही आती वहां की मुरुमी चट्टानी स्थल पर जिस वक्त जेसीबी मशीन से गड्ढा करने पर मशीन के दांता टूट गया था फिर वहां पर ड्रिल मशीन से 20 रुपये प्रति गड्ढा की दर पर गड्ढे करवाया तथा प्लानिंग के तहत कुम्हार के वेस्टेज घड़े जो खराब हो चुके थे उसमे ही काली मिट्टी और पौधों की जड़ों को गड्ढों में रोपण कर मय मिट्टी के घड़े उस पर रख दिया इस प्रकार 44 पौधों का सफल रोपण किया जो आज भी जीवित है आज वहां लोग उसके नीचे सुकून के दो पल गुजारते है तो मन को परम् आनंद की अनुभूति होती है उसी प्रकार भखारा ग्राम में भी थाना परिसर में चालीस पौधों का सफल रोपण किया  धमतरी में  रुद्री स्थित पुलिस लाइन आवासीय स्थल के समीप स्थित 20 एकड़ सरकारी पड़त भाटा भूमि में तीन लाइन में लगभग छ हजार पौधों का सफल पथ रोपण किया जो आज भी देखे जा सकते है श्री पांडे साहब ने बताया कि अब मैं लोगों को निशुल्क पौधे वितरित भी करता हूं जो वर्ष भर में पांच हजार पौधों का निशुल्क वितरण किया जाना बताया जिसे पर्यावरण प्रेमियों ने शांति घाट,कब्रस्तान,तालाब के समीप,खेत खलिहान के मेढ़ों का रोपण किया है जो अब सर्वाइव कर रहे है श्री शत्रुघ्न पांडे साहब से जब पेड़ पौधों का रोपण के पीछे का उद्देश्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जो बताया वह उत्सुकता के साथ कौतूहल का विषय बन गया उन्होंने बताया कि बरगद पेड़ लगाने के पीछे मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण का सन्देश देना भी है वे इस संदर्भ में बताते है कि एक काश्तकार ने मुझे बताया कि उसके खेत मे पानी नही है उनसे जब खेत पर कौन से प्रजाति के पेड़ पौधे है पूछा गया तब कृषक ने बताया कि नीलगिरी के पेड़ है उन्हें तत्काल कटवा कर बरगद के पौधे लगाइए उन्होंने वैसा किया मैने उन्हें आठ से दस फीट के दो सौ पौधे दिए जिसे कृषक ने खेत के आसपास रोपण किया एव आज उसके खेत मे पानी की कोई कमी नही उन्होंने आगे बताया कि हमारी सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में नलकूप खनन करवा देती है बाद में पेयजल के लिए ग्रामीणों को भटकना पड़ता है मैं जब ऐसे क्षेत्र देखते हूँ उक्त स्थल में बरगद का दस फीट का पौधा रोपण कर देता हूँ छह माह साल भर बाद सूखे बोर में जल श्रोत बढ़ कर भरपूर जल प्रवाहित होना प्रारंभ हो जाता है ऐसा प्रयोग अनेकों सूखे स्थल पर किया गया  और सफल रहा  उन्होंने आगे बताया कि तीस चालीस वर्ष पश्चात ऐसा समय आएगा कि संपूर्ण विश्व में जल संकट खड़ा होगा विदेशों में अभी भी पेयजल को आयात किया जाता है बरगद ही एक मात्र ऐसा पौधा है जिसकी जड़े भूमि के भीतर में ही जल संचयीकरण कर एक बड़े भूभाग में जल स्रोत का मुख्य केंद्र बिंदु बना सकता है यही वजह है कि मैं पीपल बरगद और नीम को बहुत प्राथमिकता देता हूं साथ ही उपरोक्त पौधे धार्मिक,एवं औषधि मान्यता के अनुसार पूज्यनीय है पौधा रोपण में आने वाले व्यय के बारे में उन्होंने कहा कि समस्त व्यय स्वयं वहन करते है पॉलीथिन क्रय से लेकर गड्ढे खनन में आने वाले व्यय रिक्शा में पौधे परिवहन सब अपनी जेब से करते है बाकी पौधरोपण जैसे पुनीत कार्य करते देख अनेक पर्यावरण प्रेमी स्व स्फूर्त शारीरिक परिश्रम कर सहयोग करते है वर्तमान में डॉ भीमराव अम्बेडकर चौक में चार बरगद के पेड़ का रोपण किया है वही व्यवसायिक परिसर के समीप स्थित बरगद पेड़ उनके द्वारा वृक्षारोपण शृंखला की एक निशानी है जिसे बीस वर्ष पूर्व उनके द्वारा यहां रोपा गया था यह बड़ा ही दुखद विषय है कि  छग प्रदेश के वन विभाग के मैदानी कर्मचारी जहां एक ओर पौधा रोपण करते है तो वही दूसरी ओर उसका दोहन भी खुलकर करते है उनके संरक्षण संवर्धन के कोई उपाय नही किए जाते तभी तो प्रदेश के वनों का रकबा साठ प्रतिशत से घटता हुआ चालीस प्रतिशत तक पहुंच गया है वही लाखो करोड़ों खर्च कर प्रति वर्ष हरियर छग योजना के अंतर्गत करोड़ों पौधों के रोपण करने की बात भी कही जाती है परन्तु वास्तविकता की मूल धरा पर पौधे रोपण कहीं परिलक्षित नही होता करोड़ों की राशि बंदरबांट हो जाते है वही श्री पांडे साहब के द्वारा बहुत ही कम लागत में प्राकृतिक रूप से सतत मानव हित मे किए जा रहे प्रशंसनीय और सराहनीय कार्य जो आम लोगों के साथ साथ वन विभाग कर्मचारियों के लिए एक साक्षात उदाहरण है साथ ही उनके लिए ये प्रेरणादायी भी जो स्वयं के लिए नही बल्कि सम्पूर्ण मानव जगत के हितार्थ वाली सोच लिए पेड़ पौधे रोपण में लगा कर भावी पीढ़ी के लिए अपना जीवन समर्पण कर दिया जिसके लिए श्री पांडे साहब की दूर दृष्टि वाली भावी सोच सतत परिश्रम,लगन, तथा विभागीय मूल कर्तव्य निष्ठा के साथ साथ जन हितार्थ की दोहरी भावना का तालमेल बिठा कर चालीस वर्षों में इतिहास स्थापित करना किसी आम व्यक्ति के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है जिसे स्वीकार करते हुए उन्होंने विपरीत परिस्थितियों और सीमित संसाधन के एक बहुत बड़ा लक्ष्य प्राप्त कर लिया जो प्राकृतिक के लिए तो उपहार होगा ही परन्तु भावी पीढ़ी और मानव जीवन के लिए वर्षो वर्षों तक वरदान भी साबित होगा जो वंदनीय और नमन करने योग्य है