छग राज्य वन विकास निगम
किस्सा कुर्सी का
और खेल कमीशन खोरी क
रायपुर कुर्सी पाने का किस्सा, अभी से नही, इतिहास से चला आ रहा है, जिसमे एक कूटनीतिज्ञ, अपना वर्चस्व स्थापित करने और कुर्सी पाने के लिए अनेकों षड्यंत्र को अंजाम देकर, पद, पॉवर और सत्ता हासिल करते थे, परन्तु छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम में किस्सा कुर्सी का कुछ अलग है यहां अपना अधिकार, और पद पाने के साथ साथ कमीशन खोरी करके आर्थिक लाभ उठाने का है, तो आइए, किस्सा प्रारंभ करते है छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के अंतर्गत बारनवापारा परियोजना मंडल के द्वारा ई ए सी कॉलोनी स्थित नवनिर्मित आक्सिजोन में रखे लगभग डेढ़ दर्जन लोहे की कुर्सीयां विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों सहित आम लोगों में कौतूहल और चर्चा का विषय बनता जा रहा है चूंकि यह चर्चा इसलिए भी हो रहा है कि यहां रखे गए कुर्सी का किस्सा हर आम जनता से जुड़ा हुआ है और साथ ही निगम मंडल कार्यालयों से भी तब स्वभाविक है कि किस्सा कुर्सी का चर्चा हर खास ओ आम में होना जरूरी है राज्य वन विकास निगम मंडल कार्यालयों में चर्चा इसलिए हो रहा है कि प्रबंध संचालक और उनकी सहयोगी अधिकारी, बड़े सुनियोजित तरीके से अनुभव हीन, एवं कमाऊ अधिकारियों, कर्मचारियों, को पद प्रतिष्ठा कर ऐसे कर्मियों का शोषण एवं दोहन कर रहे है जो वास्तव में पदोन्नति क्रम में पात्रता रखते है उनके अनुभव, आयु,वर्ग, को दर किनार कर, जूनियरों को सीनियरों के अधिकार का हनन कर उन्हें पदोनन्त कर पद प्रतिष्ठित कर दिया गया पूर्ववर्ती सरकार में हुए इस तबादला नीति में ऐसे पीड़ित अधिकारियों कर्मचारियों, को आर्थिक सहित मानसिक आघात का सामना करना पड़ा था ऐसे अधिकारी कर्मचारी बेचारे कूप मंडुप बन कर रह गए न उन्हें पदोन्नति मिली और न ही समय सीमा पर मिलने वाली क्रमोन्नति का लाभ जिसके कारण उन्हें न कोई कुर्सी मिली और न ही पद में कोई इजाफा हुआ यानी एक तरह से यह कह सकते है कि, न यार मिला और न विसाले सनम, ये सब पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के राजनीतिक शिकार हुए कर्मचारी है जूनियर अब भी उन्ही मलाईदार पदों पर सुशोभित है और सीनियरों के सर पर बैठ कर तांडव कर रहे है ऐसे पीड़ित कर्मचारी अधिकारी अब भी वर्तमान सरकार की ओर आशान्वित दृष्टि लगाए, टक टकी बांधे देख रहे है कि वर्तमान सरकार उनके अधिकारों को लेकर कोई रास्ता निकाले परन्तु छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम में ऊंचे स्तर पर बैठे अधिकारी अब भी पूर्व की भांति ही कार्य कर रहे है ऐसे पीड़ित ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, अधिकारियों, कर्मचारियों, को निगम में बैठे अधिकारी नाना प्रकार से भयदोहन कर उन्हें खामोश रहने की हिदायत देते है अन्यथा किसी भी प्रकरण में उलझाने और फंसाने की बात कर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है प्रेस,अथवा पत्रकार को अपनी व्यथा बताने पर भयदोहन कर सी आर में अंतिम कॉलम पर लाल सियाही चिन्हित कर संपूर्ण सेवा कार्यकाल में बदनुमा दाग लगाने की धमकी तक दी जाती है विभागीय कार्यवाही का भय अलग दिया जा रहा है जिसके कारण अपने पद खोने की व्यथा एवं किस्सा कुर्सी का बखान ऐसे कर्मचारी किसी से कर भी नही पाते और एक घुटन भरी यातना पूर्ण जीवन का निर्वहन कर रहे है बता दे कि, फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र ने अपने पूर्व अंकों में वन विकास निगम के तात्कालिक अध्यक्ष श्री निवास राव मद्दी एवं प्रभारी प्रबंध संचालक, श्री राजेश गोवर्धन के द्वारा ऐसे पदोन्नति संविदा नियुक्ति को लेकर समाचार का प्रकाशन किया था जिसमे मुख्यालय के कुछ आधिकारी द्वय, प्रबंध संचालक श्री गोवर्धन एवं अध्यक्ष श्रीनिवास राव मद्दी द्वारा विभाग के नियम और कानून के विरुद्ध जाते हुए मनमाने रूप से पदोन्नति और संविदा का खेल खेला था जिसमे श्रीमती पिल्लई को नियम विरुद्ध जाकर संविदा नियुक्ति एवं अतिरिक्त दो वर्षीय आर्थिक लाभ से नवाजा गया था आरोप तो पूर्व अध्यक्ष पर यह भी लगा था कि श्री निवास राव मद्दी अपने सजातीय बंधुओं को संपूर्ण लाभ प्रदान कर रहे है साथ ही प्रदेश निगम मंडल कार्यालयों से उगाही सो अलग करवाते थे इसके लिए उनके द्वारा बकायदा एक व्यक्ति को केवल विभाग से उगाही के लिए ही रखा गया था जो कोसे की साड़ी से लेकर आर्थिक संकलन, पदोन्नति, संविदा नियुक्ति, एवं अन्य विभागीय समस्याओं के समाधान हेतु सक्रिय था यहां तक पूर्व अध्यक्ष श्रीनिवास मद्दी द्वारा निजी अर्थ लाभ उठाने हेतु, प्रदेश में दो अतिरिक्त मंडल कार्यालय भी बना दिया गया और अपने चहेतों की पोस्टिंग वहां कर दी गई जिसकी आवश्यकता कदाचित महसूस नही की जा रही थी फिर भी रेंजरों एवं निचले कर्मचारियों को मलाईदार स्थान पर पोस्टिंग कर दिया गया वही अनेंक मंडल कायलयों में जो लंबे समय से निगम में अपनी सेवाएं ईमानदारी से दे रहे है और अपनी क्रमोन्नति का इंतेजार कर रहे थे उन्हें इसका कोई प्रतिसाद नही मिला अंततः कुछ कर्मचारी प्रदेश वन विकास निगम की दोहरी नीति और नियम कानून के विपरीत हटकर किए गए मनमानी नियुक्तियों के विरुद्ध जाकर कोर्ट का दरवाजा तक खटखटा चूके है इसे लेकर भी उन पर लगातार दबाव बनाया जाता है कि उन्हें कोर्ट तक नही जाना चाहिए था जिसकी वजह से किसी की एक तो किसी कर्मचारी को दो पदोन्नति से वंचित होना पड़ा वे आज भी अपने जूनियरों के हाथ के नीचे मन मसोस कर कार्य करने विवश है परन्तु आज पर्यंत इसका कोई समाधान नही निकाला गया यानी तबादलों और संविदा नियुक्तियों में फंसा किस्सा कुर्सी का बहुत बडा खेल प्रदेश के निगम कार्यालय में हो चुका है जब फॉरेस्ट क्राइम का यह वेब न्यूज़ एपिसोड और समाचार वर्तमान वन मंत्री तथा छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम के भार साधक अध्यक्ष श्री मुहम्मद अकबर देख रहे होंगे तब सम्भवतः ऐसे पीड़ित अधिकारियों कर्मचारियों की सुध लेकर इस तारतम्य में अवश्य कोई सार्थक कदम उठाएंगे वही इस विषय को लेकर फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र भी एक पत्र लिखकर, माननीय वन मंत्री को वस्तुस्थिति से अवगत कराएगा किस्सा कुर्सी का यह खेल केवल विभागीय पद को लेकर ही नही हुआ है बल्कि आम जनता के लिए बारनवापारा परियोजना मंडल कार्यालय रायपुर द्वारा आक्सिजोन के लिए मंगाई गई कुर्सीयों में भी हुआ है 19 एकड़ भूमि के नवनिर्मित आक्सिजोन में मात्र पन्द्रह सोलह लोहे की कुर्सीयां रखी गई है अब इस विषय को लेकर लोगों में चर्चा गरम है कि उन्नीस एकड़ भूमि में केवल सोलह लोहे की कुर्सी क्यों? बाकी की कुर्सियां कहां गई ? यह सवाल उठना भी लाजिमी है कि क्या आक्सिजोन के बड़े भूभाग में केवल गिनती की कुर्सियां ही मंगाई गई होगी आधिकारिक रूप से चर्चा यह भी हो रही है कि कुर्सी क्रय बड़ी मात्रा में किया गया है तो फिर कुर्सियां गई कहां ? और यदि मान भी लिया जाए कि निगम द्वारा दो दर्जन कुर्सीयां ही मंगाए गए थे तो जिसमे सोलह कुर्सियां आक्सिजोन में रखी गई तथा चार कुर्सी राजनांदगांव स्थित पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय के समीप स्थित गत वर्ष 2019 अगस्त माह में नवनिर्मित गार्डन में रखी गई थी जो आक्सिजोन के लिए मंगाई गई उन्ही कुर्सियों में से चार कुर्सियां वहां भेजी गई कुल 20 कुर्सी हुई तो शेष चार कुर्सी कहां लापता हो गई ? इस किस्से को लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे है कि निगम द्वारा केवल 20 कुर्सियां ही क्रय किया गया है तो किसी का मत है कि कम से कम दो दर्जन कुर्सियां खरीदी गई होगी तो शेष चार कुर्सी किसके यहां शोभा बढ़ा रहा है या चोरी हो गई यह ज्ञात नही हो पा रहा है लोगों में चर्चा इस बात को लेकर नही कि निगम द्वारा आक्सिजोन के लिए मंगाई गई कुर्सी दूसरे मंडल कार्यालय को क्यों भेजी गई बल्कि इस बात को लेकर चर्चा गरम है कि जो कुर्सी मात्र ढाई से तीन हजार में बड़ी सहजता से उपलब्ध हो जाती है उसे पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय राजनांदगांव द्वारा रायपुर बारनवापारा परियोजना मंडल कार्यालय के, डीएम श्री मुदलियार से पर्चेस कर, चौदह हजार से ऊपर राशि में क्यों मंगाया गया ? क्या राजनांदगांव में कुर्सीयों का टोटा है? जो पानाबरस परियोजना मंडल के मंडल प्रबंधक श्री डी एस ठाकुर को रायपुर से वह भी आक्सीजोन के लिए क्रय की गई कुर्सियों से क्रय करनी पड़ी, जिसका प्रति कुर्सी भुगतान ही पन्द्रह हजार दर की राशि से किए जाने का आदेश जारी किया गया है गुणा भाग करने वाले गणितज्ञ, ने जब आक्सीजोन में रखी सोलह कुर्सी तथा राजनांदगांव की चार कुर्सी कुल बीस कुर्सी का जोड़ पन्द्रह हजार राशि से किया तो लगभग तीन लाख की केवल निगम ने कुर्सी क्रय किया वह भी केवल बीस कुर्सी की खरीदी का ब्यौरा है जिस के भुगतान में बड़ी कमीशन खोरी की बू आ रही है, यदि इन्ही कुर्सियों को दो दर्जन क्रय किया जाना माना जाए तो दो दर्जन यानी चौबीस लोहे की कुर्सियों का मूल्यांकन पन्द्रह हजार की दर से यह आंकड़ा तीन लाख साठ हजार का पहुंच जाता है, कुर्सी खरीदी में शंका तो यह भी व्यक्त की जा रही है, कि क्या निगम ने मात्र बीस लोहे की कुर्सियां ही क्रय की है यदि ज्यादा कुर्सियां खरीदी गई तो बाकी की शेष कुर्सियां कहां गई जिसके लिए अब लोगों में उत्सुकता बढ़ गई है कि तीन हजार में मिलने वाली कुर्सी की कीमत इतनी अधिक क्यों ? इससे यह तो जाहिर हो गया कि नवनिर्मित आक्सिजोन भ्रष्टाचार और घोटाला करने का बड़े बड़े अधिकारियों के लिए कमाई का अड्डा बन गया है वही अधीनस्थ कर्मचारियों के जेब मे भले ही दिखाने के लिए सौ रुपया नही होगा परन्तु गड़बड़, घोटाला, और भ्रष्टाचार, की काली कमाई के जरिये लाखों की आकूत चल अचल संपति अवश्य एकत्रित कर ली गई है आक्सिजोन को केंद्र बिंदु बनाकर एम डी राजेश गोवर्धन के दिन भर में चार चक्कर अवश्य लगते है तथा होने वाले निर्माण कार्यों को लेकर तोड़फोड़ सहित, नवनिर्माण आदेश देकर शासन से मिले बजट सात करोड़ का किस तरह सदुपयोग कर कमीशनखोरी गड़बड़ी घोटाले की नई नई युक्ति कर इसे किस तरह अमली जामा पहनाया जाए इसके अवसर तलाशते रहते है इसका अनुमान आक्सिजोन में हो रहे निर्माण कार्यों को देखकर बड़ी सहजता से लगाया जा सकता है इस गड़बड़ी,घोटालों, और भ्रष्टाचार, में ऊपर बैठे अधिकारियों की ही महत्वपूर्ण भूमिका नही होती बल्कि, आर जी एम से लेकर मंडल प्रबंधक, डिप्टी डी एम, रेंजर, इत्यादि का बहुत बड़ा योगदान होता है ऐसे भ्रष्टाचार, घोटालों में बगैर इनके सही, हस्ताक्षर के बिल पास नही होता पश्चात सबका परसेंटेज के हिसाब से हिस्सा बंधा हुआ होता है जो सब मे बंटता है यही वजह है कि फॉरेस्ट क्राइम द्वारा मांगे गए सूचना के अधिकार के अंतर्गत निर्माण कार्यों से सन्दर्भित मांगी गई जानकारी अब तक आवेदक को उपलब्ध नही कराई गई, जो निगम के लिए आगे और परेशानी का सबब बन सकता है सभी अधिकारियों के लिए कमाई का जरिया बन चुके आक्सिजोन जिसमे हर छोटे बड़े अधिकारियों का हिस्सा शेयर होता है उनका मैदानी क्षेत्र से संपर्क संपूर्णता विच्छेद हो चुका है जंगलों में बड़े पैमाने पर कटाई को अंजाम दिया जा रहा है फॉरेस्ट गार्ड से लेकर रेंजरों और काष्ठ माफियाओं की मिली भगत से चोरियों में इजाफा हो चुका है यही स्थिति आई पी डी योजनांतर्गत विगत वर्षों में लगाए गए प्लांटेशन बदतर स्थिति में पहुंच चुके है जहां पर जीवित पौधों की संख्या पच्चीस प्रतिशत भी नही रह गई है दल्ली राजहरा के ग्राम गोटूलमुंडा में हरियर छत्तीसगढ़ योजनांतर्गत वन विकास निगम रायपुर के द्वारा वर्ष 2017 में बारह हेक्टेयर से ऊपर भूभाग में लगभग तेरह हजार पांच सौ फलदार मिश्रित पौधों का रोपण पानाबरस परियोजना मण्डल राजनांदगांव के द्वारा एस ई सी एल के सौजन्य बिलासपुर के सहयोग से औधौगिक रोपण किया गया था जो दयनीय स्थिति में पहुंच चुका है वहां की स्थिति को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि प्लान्टेशन में समुचित देखरेख, व्यवस्थापन के अभाव में प्लांटेशन कम मैदानी क्षेत्र ज्यादा दिखाई दे रहा है उक्त प्लांटेशन क्षेत्र आम लोगों के लिए अय्याशी,और शराबखोरी का अड्डा बन चुका है नशाखोरी करने वाले दारू मुर्गा, गांजा पीने वालो की पृथक टोली, अनवरत आवागमन, तथा समीप तालाब में मछली मारने वाले मछुआरों का नशा करने का शरण स्थली बन चुका है गाय एवं अन्य शाकाहारी जानवरों के लिए यह प्लांटेशन, चराई स्थल बन चुका है यही नही मुर्गा भात पकाने के लिए प्राकृतिक पेड़ों की कटाई भी इनके द्वारा कर दिया गया चौकीदार पवन को प्लांटेशन क्षेत्र से हटाकर इसी वर्ष कॉलेज के समीप किए गए 2019-20 के नवीन प्लांटेशन में लगा दिया गया अब वहां बगैर चौकीदार के प्लांटेशन भगवान भरोसे है जबकि चौकीदारों के नाम से एक बड़ी रकम कार्यालय से आहरण की जा रही होगी भिलाई स्टील प्लांट के द्वारा हरियर टाउन शीप योजनांतर्गत 2019-20- हेतु स्टेडियम के समीप पथ रोपण तथा सैन्य छावनी के समीप मिश्रित प्रजाति के फलदार पौधे जिसकी अधिकतम ऊंचाई डेढ़ दो से तीन फीट के लगभग है रोपे गए है जिनकी संख्या स्टेडियम के समीप 500 होगी वही कन्या कॉलेज छात्रावास के समीप पथ रोपण एक से डेढ़ फीट ऊंचाई के पौधे रोपे गए हैं उसके सामने मैदानी क्षेत्र में भी इसी एक से दो फ़ीट वाले पौधे रोपित किए गए है जो एक हजार से भी कम की संख्या में होंगे वही कॉलेज के बगल स्थित पथरीले भूभाग में नर्सरी में लगाए जाने वाले एक फीट पौधे रोपे गए अब प्लांटेशन में रोपित पौधौं का क्रय किस मूल्य से किया और कौन सी नर्सरी से किया गया अभी स्पष्ट ज्ञात नही हो पाया परन्तु लाखों की राशि से किये जाने वाले प्लांटेशन में नियमानुसार निर्धारित मापदंड के अनुसार कार्य नही होता खोदे जाने वाले गड्ढों से लेकर मजदूरों को दिए जाने वाले पारिश्रमिक में बहुत बड़ा खेल खेला जाता है बताते चले कि देश के प्रधान मंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संपूर्ण लेनदेन आधुनिक ई पद्धति अथवा बैंकिंग द्वारा सीधे भुगतान किए जाने वाला नियम लागू किया हुआ है परन्तु वन विकास निगम में आज भी नियम के विरुद्ध जाकर नगद भुगतान प्रक्रिया से भुगतान किए जा रहे है जो गड़बड़,घोटालों, भ्रष्टाचार किये जाने को प्रबल और सशक्त बनाती है जिससे प्रदेश में अन्य मण्डल कार्यालयों में किए जाने वाले प्लांटेशन में रोपे जाने वाले पौधों की खरीदी और उसके कद लंबाई, चौड़ाई, और ऊंचाई तक में भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जता है यही वजह है कि नियमानुसार प्लांटेशन क्षेत्रों में लगाए जाने वाले विवरणी बोर्ड में कहीं भी लागत राशि का स्पष्ट उल्लेख न करके उसे विलोपित कर दिया जाता है ताकि इनके द्वारा किये जा रहे काले भ्रष्ट कारनामों का भंडाफोड़ न हो सके प्लांटेशन क्षेत्र में लगने वाली काली उपजाऊ मिट्टी और दिए जाने वाले खाद में भी गड़बड़ी कर भ्रष्टाचार को अंजाम देने से गुरेज नही किया जाता दल्ली राजहरा में भी आई पी डी योजना में भ्रष्टाचार हूआ है इससे इनकार नही किया जा सकता प्लांटेशन क्षेत्रों में सुरक्षात्मक दृष्टि कोण से कोई भी चौकीदारों की नियुक्ति नही हुई है जो इनकी सुरक्षा कर सके इससे ज्ञात होता है कि, प्लांटेशन क्षेत्र पूरी तरह भगवान भरोसे है न समय पर इसकी व्यवस्थापन की जाती है और न ही गाला बनाकर दवा खाद से उपचार किया जाता है वर्ष 2017 में आई पी डी योजनांतर्गत दल्लीराजहरा के गोटूलमुंडा में प्लांटेशन पश्चात इसकी बदतर स्थिति को देखते हुए बड़ी सहजता से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रति वर्ष मिलने वाली व्यवस्थापन राशि, का खुलकर बंदर बांट कर दिया गया और मैनेज के नाम पर पूरा का पूरा राशि डकार लिया गया है यदि निगम कर्मी राशि का ईमानदारी से उपयोग करते तो दल्ली राजहरा के गोटूलमुंडा सहित संभवतः प्रदेश के अन्य प्लांटेशन की दशा और दिशा कुछ अलग ही नज़र आती