वन, राजस्व की बेशकीमती भूमि पर अतिक्रमणकारीयों की नज़र...ढाई सौ एकड़ भूमि पर हो चुका अतिक्रमण... प्रशासन मौन

 वन, राजस्व की बेशकीमती भूमि पर अतिक्रमणकारीयों की नज़र...ढाई सौ एकड़ भूमि पर हो चुका अतिक्रमण... प्रशासन मौन



 


अलताफ हुसैन


रायपुर (फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ ) छग शासन वन विभाग द्वारा जहां वन अधिकार कानून के तहत वन क्षेत्रों में वर्षों से निवासरत वन वासियों वन आदिवासियों के व्यवस्थापन और रहवास के लिए उन्हें पट्टा वितरित करने की घोषणा कर चुका है तो वही कुछ भूमाफिया, कॉलोनाइजर्स, अवसरवादी तत्व उनके अधिकारों का हनन कर उनकी पुश्तैनी भूमि को अतिक्रमण कर हड़पने में लगे है आश्चर्य तब और अधिक होता है जब ये तथाकथित अतिक्रमणकारी भूमाफिया कॉलोनाइजर्स पर वन विभाग,सहित प्रशासन के अन्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी इन पर कुछ ज्यादा ही मेंहरबान रहते है और उन पर विधि सम्मत वैधानिक कार्यवाही करने की बजाय चिर खामोशी धारण कर लेते है रसूखदार लोग पैसा,पॉवर,पद, के इस खेल में वजन के हिसाब से सब को तौल लेते है पश्चात अधिकारी कर्मचारी लंबी कुंभकर्णी नींद सो जाते है इससे तो यह स्पष्ट हो जाता है कि एक सुनियोजित तरीके से ग्राम के वन और राजस्व भूमि को ऐसे भूमाफियाओं और कॉलोनाइजर्स पर सत्ता और प्रशासन पर बैठे नेता अधिकारी मेहरबान और प्रभावित होकर अतिक्रमण करने की खुली छूट दे रखे है जिसकी वजह से इन भूमाफियाओं एवं कॉलोनाइजर्स के हौसले भी बुलन्द है तथा प्रदेश के राजस्व घास भूमि को अपना निशाना बना रहे है इसका जीता जागता उदाहरण अटल नगर नवा रायपुर से मात्र दस से पन्द्रह किलोमीटर के अंतराल में लगभग 900 परिवारों का बसा छोटा सा ग्राम उगेतरा है जहां पर कुल मतदाता लगभग छ सौ है यहां पर अधिकांश आदिवासी गौड़,आदिवासी समाज एव साहू समाज सहित मिश्रित समुदाय का वास है यहां के ग्रामीण वर्षों से ग्राम के आसपास भूमि पर काश्तकारी कर अपना जीवन यापन कर रहे है तथा फसल चक्र के पश्चात शेष काल मे ये मजदूरी इत्यादि कर अपना जीवन यापन करते है



बताया जाता है कि ग्राम उगेतरा और नवागांव के मध्य एक बड़े भूभाग को जिसमे कुछ ग्रामीणों की काश्तकारी भूमि होना भी बताया गया ग्राम उगेतरा के ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार जिस पर रायपुर निवासी एक प्रसिद्ध कॉलोनाइजर्स प्रकाश दावड़ा के पुत्र चिन्मय दावड़ा के द्वारा ग्राम क्षेत्र में पूर्व तात्कालिक बीजेपी शासन काल मे सत्तर से नब्बे एकड़ के लगभग लगानी भूमि क्रय किया जाना बताया गया जिस पर किसी विदेशी औषधि फार्मर द्वारा वहां औषधि पौधे रोपण कार्य प्रारंभ किया गया पश्चात कुछ अन्य लगानी भूभाग को जैसा कि स्थानीय निवासियों के कथनानुसार अन्य नाम से क्रय किया जाना बताया गया पश्चात शनैः शनै ग्राम की अन्य पड़त राजस्व भाटा भूमि को चिन्मय दावड़ा एवं किसी अवस्थी नामक औषधि फार्मर द्वारा अतिक्रमण करना प्रारंभ कर अन्य लोगों के नाम से कागजात बनाकर उस पर काबिज होकर औषधि उत्पाद के क्षेत्र को विस्तृत कर दिया इस संबन्ध में ग्राम पंचायत के नवनियुक्त सरपंच सतीश ध्रुव से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि अतिक्रमण क्षेत्र जिसे चिन्मय दावड़ा द्वारा स्वयं की भूमि होना बताया जा रहा है दरअसल वह ग्राम के ही गौंड समाज के कुछ आदिवासी ग्रामीणों की लगानी भूमि थी जिसे चिन्मय दावड़ा द्वारा अन्य नाम से क्रय कर लिया गया तथा उसके पश्चात राजस्व सरकारी पड़त भाटा एव वन भूमि को अतिक्रमण कर उस पर औषधि रोपण प्रारंभ कर दिया गया विरोध अथवा पूछने पर जमीन के ग्रामीणों से दस्तावेज प्रस्तुत करने कहा जाता है वर्षों से ग्राम पंचायत उगेतरा में तीन पीढ़ी व्यतीत करने वाले  एक ग्रामीण ने बताया कि बगैर उसके अनुमति लिए पुश्तैनी जगह पर औषधि फार्मर के कर्मचारी मुंशी नारद ध्रुव द्वारा लेमन ग्रास सहित तुलसी फसल लगा दिया गया जब उससे यह कहा गया कि ढाई एकड़ भूमि पुश्तैनी है यहां क्यों औषधि रोपण किया जा रहा तब मोबाइल पर कथित चिन्मय दावड़ा से बात कराया गया उनसे जब दूसरे की भूमि पर औषधि रोपण के संदर्भ में समाचार प्रकाशन की बात कही गई तब उन्होंने पहले तो ग्रामीण से कागजात प्रस्तुत करने की बात कही तथा यह भी कहा कि आप अवश्य समाचार का प्रकाशन करे ताकि आपके माध्यम से मुझे जमीन के दस्तावेज प्राप्त हो जाएंगे सवाल उठता है कि कॉलोनाइजर्स चिन्मय दावड़ा जिसकी सत्तर से नब्बे एकड़ भूमि जैसा कि ग्रामीणों ने बताया क्रय पश्चात ली गई थी तो उन्हें अपनी भूमि के सरहद में ही औषधि रोपण किया जाना चाहिए न कि किसी अन्य के भूमि पर बलात औषधि रोपण करना कहां तक जायज है ? जबकि उनको यह अधिकार भी नही है कि वे किसी ग्रामीण के पड़त भूमि क्षेत्र में रोपण कार्य कर उनसे ही दस्तावेज दिखाने का सबूत मांगे ? स्पष्ट कर दे कि राज्य शासन द्वारा किसी भी आदिवासी वन वासी से जमीन क्रय विक्रय पर पूर्णतः रोक है परन्तु यहां ठीक इसके विपरीत आदिवासी कृषकों से खेत भूमि क्रय किया जाना बताया जा रहा है फिर भी थोड़ी देर के लिए यह मान लिया जाए कि ग्रामीण द्वारा अपने मौलिक दस्तावेज नही दिखा पाया तो सीधे सीधे भूमाफिया एवं कॉलोनाइजर्स राजस्व घास भूमि पर अपना हक दावा अधिकार प्रस्तुत कर स्वयं की भूमि बताने से गुरेज नही करेंगे और अतिक्रमण की हुई भूमि को संबंधित विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की जेब गरम कर अपना हक़,दावा, अधिकार प्रस्तुत कर ऐसे भूमि के दस्तावेज तैयार कर स्वयं की भूमि बता देंगे संभवतः कुछ यही खेल ग्राम पंचायत उगेतरा और ग्राम पंचायत नवागांव के मध्य स्थित करोड़ो की बेशकीमती भूमि पर किया जा रहा है ज्ञात तो यह भी हुआ है कि ग्राम नवागांव सरपंच चेतन यादव  एवं ग्राम उगेतरा सरपंच सतीश ध्रुव द्वारा भी अतिक्रमण को लेकर  शिकायत संबंधित तहसील ऑफिस में करने की बात भी सामने आई है परन्तु इस ओर सारगर्भित कार्यवाही करने की बजाए शासन प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी खामोश बैठे हुए है यही वजह है कि सत्तर से नब्बे एकड़ भूभाग जैसा कि ग्राम वासियों ने बताया है अब राजस्व घास वन भूमि के लगातार अतिक्रमण करने से लगभग ढाई सौ  से तीन सौ एकड़ के विशाल भूभाग के रूप में परिवर्तित हो चुका है यह कब कैसे और किसकी शाह पर हुआ यह पड़ताल का विषय है ग्रामीणों द्वारा यह भी बताया गया कि यह सब पूर्ववर्ती भाजपा शासन काल से हो रहा है



गौरतलब यह है कि अब यह अतिक्रमण धीरे धीरे वन विभाग के राजिम परिक्षेत्र नवापारा सर्किल रायपुर के कक्ष क्रमांक 65 के बीस हेक्टेयर भूभाग में वर्ष 2014- 2015 में कैम्प मद से लगभग 12,500 मिश्रित प्रजातियों का सफल पौधा रोपण किया गया था जिस पर कथित कॉलोनाइजर्स द्वारा सीमेंट पोल फेंसिंग तार से घेरने का प्रयास किया गया ग्रामीणों द्वारा यह जानकारी भी दी गई कि माह भर पूर्व तहसीलदार आर आई सहित वन अधिकारी कर्मचारियों की उपस्थिति में नाप झोंक किया गया परन्तु इस पर क्या कार्यवाही हुई यह अब तक ज्ञात नही हो पाया है तथा तीन ओर से घेरे जा चुके सीमेंट पोल फेंसिंग तार अब भी अतिक्रमण क्षेत्र में रखे हुए है एक प्रकार से उनका यह आरोप है कि कथित वन,राजस्व भूमि पर भी अतिक्रमण करने का कुत्सित प्रयास लगातार जारी है वन विभाग द्वारा वर्ष 2014-2015 में बीस एकड़ भूभाग में रोपण किए गए हजारों पेड़ों के साथ प्राकृतिक पेड़ और मिश्रित प्रजाति प्लांटेशन के अस्तित्व पर अब खतरा मंडराते नज़र आ रहा है स्वभाविक है कि प्राकृतिक पेड़ों  के अलावा हजारों की संख्या में  वन विभाग द्वारा रोपे गए मिश्रित प्रजाति के परिपक्व पेड़ों का पातन धीरे धीरे कर दिया जाएगा इससे विभाग को करोड़ों रुपये राजस्व की क्षति होगी जबकि इसी भूभाग के दूसरी ओर में ग्राम नवापारा के सरपंच द्वारा आधा एकड़ भूभाग में मुरुम खनन कर तालाब निर्माण भी किया जा रहा है इसकी जब पड़ताल की गई तो कार्यस्थल पर उपस्थित पंच द्वारा यह जानकारी दी गई कि खनिज विभाग द्वारा पीट पास जारी किया गया परन्तु कितना घन मीटर खनन किया जाना है यह जानकारी प्रदान नही किया गया  और  न ही किस विभाग द्वारा एन ओ सी दिया गया इसका कोई अता पता नही  क्योंकि तालाब की गहराई के अनुपात में मुरुम खनन स्थल पर इतनी गहराई हो चुकी है कि डंपर हाइवा के उतरने के पश्चात वह भी दिखाई नही देता इस संदर्भ में क्षेत्र के ग्रामीणों का कथन है कि अब तक हजारों डंपर हाइवा ट्रक से मुरुम परिवहन किया जा चुका है सवाल उठाया जा रहा है कि राजस्व वनभूमि में लगे भूभाग से मुरुम खनन कर किया जा रहा परिवहन कितना वैध है ? यह भी पड़ताल का विषय है इसकी संपूर्ण वास्तविकता ज्ञात करने लिए राजिम नवापारा परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर साधे लाल बंजारे से संपर्क करने पर उन्होंने भी तहसीलदार,पटवारी, वन कर्मचारियों नवागांव सरपंच और ग्रामीणों की उपस्थिति में नाप झोंक किया जाना बताया तथा त्योहार पश्चात इस ओर कार्यवाही किए जाने की बात भी कही है मुरुम खनन को लेकर भी उन्होंने दावड़ा के द्वारा स्वयं की भूमि में खनन करने की बात बताई जबकि खनन क्षेत्र में ही अनेक परिपक्व पेड़ लगे हुए है अब यह भूमि भी चिन्मय दावड़ा की कैसे हो गई य़ह अनेक सन्देह और सवालों को जन्म देता है बताते चले कि वन परिक्षेत्र की भूमि से किसी भी प्रकार के गौण खनिज का दोहन करना अवैध ही नही बल्कि गैर कानूनी भी है क्योंकि खनन कर गौण खनिज के दोहन से पर्यावरण,एव प्राकृतिक संपदा की क्षति होती है जिसकी वजह से गौण खनिज का दोहन पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है मगर फिर भी क्षेत्र के वन राजस्व भूमि के सरहदी सटे इलाके से अनवरत मुरुम खनन जारी है बहरहाल , ग्राम उगेतरा और नवागांव के मध्य किए गए बड़े भूभाग पर अतिक्रमण और गौण खनिज खनन करने का कुत्सित प्रयास अब भी जारी है बड़े भूभाग में अतिक्रमण किए जाने के पीछे की वजह यह भी बताई जा रही है कि भविष्य में केंद्र शासन की महती योजना भारत माला सड़क योजना का क्रियान्वयन कथित नवागांव सहित उगेतरा ग्राम के मध्य से किया जाना है जिससे भविष्य में क्षेत्र का संपूर्ण भूभाग सोना उगलेगा इसी के चलते कॉलोनाइजर्स एवं भूमाफियाओं की नज़र कथित बेशकीमती भूभाग में गड़ी हुई है तथा इस क्षेत्र को रुपये से या रेघा फसल  के नाम पर स्थानीय आदिवासी ग्रामीणों को कम राशि देकर क्रय करना बताया गया  साथ ही सटे अन्य राजस्व घास पड़त भूमि पर अतिक्रमण किया जा रहा है ताकि भविष्य में यहां वृहद भूभाग में बड़े स्तर पर कॉलोनी निर्माण किया जा सके ऐसी आशंका ग्रामीणों द्वारा व्यक्त की गई है  जिसके लिए ही भोले भाले ग्रामीणों की लगानी भूमि सहित,राजस्व घास,वन भूमि पर अतिक्रमण कार्य जोरो पर है परन्तु अब तक शासन प्रशासन पर बैठे नेता अधिकारी कर्मचारियों द्वारा अतिक्रमण पर कोई रोक नही लग पाई है इससे ज्ञात होता है कि एक बहुत ही सोची समझी साजिश के तहत ग्राम उगेतरा और नवागांव के मध्य विशाल भूभाग को भूमाफियाओं द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है अब देखना होगा कि सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार की संबंधित राजस्व एवं वन विभाग इस ओर क्या कर्यवाही करता है क्योंकि वनवासी और वन आदिवासियों के अधिकार और सुरक्षा का दंभ भरकर इनके हितैषी होने का दावा करने वाली सरकार खुले आम हो रहे अतिक्रमण को लेकर कोई सारगर्भित कार्यवाही कर अपनी कथनी करनी पर खरा उतरती है या फिर यह कथन भी उनका मात्र कहीं कपोल कल्पित साबित न हो जाए