वन आवासीय परिसर में कटाई को लेकर दोषी वन कर्मियों पर कार्यवाही के आदेश

 


 


 


फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़



 


रायपुर पंडरी वन आवासीय परिसर स्थित मंदिर निर्माण के दौरान वर्षों पुराने औषधि पेड़ नीम एव बरगद पेड़ की कटाई को लेकर विगत माह भर पूर्व फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र द्वारा समाचार का प्रकाशन किया गया था तथा बरगद की टहनीयां और नीम पेड़ के तने से की गई कटाई को लेकर फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र द्वारा अपने पत्र 08 जून 2020 को प्रदेश के वन मंत्री मो.अकबर मंत्री छग शासन तथा रायपुर वन मण्डलाधिकारी रायपुर को



पत्र क्रमांक क्रमश 800/एव 801/एफ/सी/06/2020/ के माध्यम से शिकायत की गई थी जिसे संज्ञान में लेकर वन मंत्री द्वारा छग शासन वन विभाग मंत्रालय अरण्य भवन नवा रायपुर को समुचित कार्यवाही किए जाने के निर्देश पत्र प्रेषित किया गया जिस पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के द्वारा आवेदक के पत्र को संज्ञान में लेकर अवर सचिव के पी राजपूत के माध्यम से रायपुर सी सी एफ रायपुर वृत को 29/06/2020/ को पत्र क्रमांक 1038/2020/10-1/ पत्र लिख कर दोषी वन कर्मियों पर नियमानुसार कार्यवाही करने के निर्देश जारी किया गया है बताते चले कि पंडरी वन आवासीय परिसर में वन विभाग का रायपुर रेंज ऑफिस है तथा यहां पर रेंजर अनूप अवधिया सहित अनेक सहकर्मियों का अनवरत आवागमन होता है फिर भी इनके नाक के नीचे औषधि पेड़ नीम एवं बरगद पेड़ की बड़ी टहनियों का पातन कार्य कर दिया गया मगर रेंज ऑफिस के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों ने इस कृत्य के विरुद्ध रोकथाम की पहल नही की



गई निश्चित रुप से यह सवाल उठता है कि जब नज़रों के समक्ष ही पेड़ों की कटाई की जा चुकी है तब रेंज ऑफिस के संपूर्ण रेंज में ही न जाने कितने परिपक्व पेड़ काट दिए जाते होंगे ? मगर इसके जिम्मेदार अधिकारी स्व अर्थ लाभ के चलते केवल अपनी आंखें बंद कर घटते वनक्षेत्रों के संरक्षण के बजाए वनों को भगवान भरोसे छोड़ दिए है न ही रायपुर रेंज के क्षेत्रों में इनकी सक्रियता होती है और न ही शिकायत करने पर किसी भी कटाई के विरुद्ध कोई कार्यवाही की जाती है इसके पूर्व भी फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र द्वारा खरोरा के समीप हो रहे कटाई की सूचना देने के बावजूद वन कर्मियों द्वारा किसी प्रकार की कोई भी वैधानिक कार्यवाही संलिप्त व्यक्तियों पर नही की गई थी बल्कि सैकड़ों परिपक्व पेड़ कटाई करने वाले की निजी भूमि पर होने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया गया था जबकि नियमानुसार खेत इत्यादि से बबूल पेड़ काटने हेतु नियमानुसार सरपंच सहित प्रशासनिक स्तर पर राजस्व अधिकारी से अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है जिसके पश्चात ही कटाई की अनुमति मिलती है परन्तु खरोरा के समीप स्थित वृहद भूभाग से सैकड़ों की संख्या में परिपक्व पेड़ों का पातन कर दिया गया था मजे की बात यह है कि यहां से संपूर्ण कटाई के पश्चात परिपक्व पेड़ खरोरा स्थित आरा मिल पहुंचे थे जो इनके ढीले और लचीले कार्य प्रणाली को लेकर सवाल उठना लाजिमी हो जाता है तथा अधिकारिक तौर पर वनों की सुरक्षा को लेकर महती जिम्मेदारअधिकारी कर्मचारियों से वनों की सुरक्षा की और क्या कल्पना और उम्मीद की जा सकती है यह तो ऊपर बैठे अधिकारियों के लिए विचारणीय पहलू है