कटघोरा वन मंडल बांस कटाई जांच में लीपा पोती वन विभाग की कार्य प्रणाली को लेकर उठ रहे है सवाल - वन मंत्री की हो रही छबि धूमिल
फॉरेस्ट क्राइम / अलताफ हुसैन
रायपुर वन मण्डल कटघोरा में विगत दिवस कटाई के मामले को देखकर दो प्रेरक प्रसंग का उल्लेख करना अति आवश्यक हो गया है जिसका प्रकाशन विगत वर्ष बकायदा समाचार पत्रों में हुआ था जिसमे एक घटना सऊदी अरब की है जहां पर एक क्लीनर द्वारा तीर्थ स्थल में सफाई कर रहा था उसके कार्य के प्रति लगन निष्ठा और ईमानदारी देख कर एक महिला ने उसे कुछ राशि देने की पेशकश की जिसे उस व्यक्ति ने ठुकरा दिया क्योंकि उसे वहां की सरकारी संस्था ने कार्य पर रखा था और बकायदा उसे वेतन जारी किया जाता परन्तु जिस स्थान पर उसे महिला द्वारा राशि पेशकश की थी उनके द्वारा होने वाले संवाद एवं गतिविधियों को सामने लगे कैमरे से सीधे अपने कार्यालय कक्ष में बैठा सीनियर अधिकारी देख रहा था महिला द्वारा दिए जा रहे राशि और कर्मचारी द्वारा उसे ठुकराए जाने पर अधिकारी बड़ा प्रसन्न हुआ और इस घटना की संपूर्ण जानकारी सऊदी अरब के सुल्तान को बताई सुल्तान भी उसकी ईमानदारी से काफी प्रसन्न हुआ और उसे अपने महल बुला कर उसे प्रोत्साहन राशि सहित ऊंचे पद पर पदासीन किया वही दूसरी घटना भारत की है जहां पर एक हीरा कारोबारी के अलग अलग कार्यालय थे और उसका मालिक का रहन सहन सर्व साधारण था कोई भी यह नही सोच सकता कि वह अरब पति हीरा व्यापारी है एक बार वह अपने कार्यालय में पहुंचा गेट पर खड़े रहने वाले दरबान जो उसे नही पहचानता था उसे अंदर जाने से रोक दिया जिससे मालिक उस दरबान से कुछ खफा हो गया वहां उपस्थित अन्य कर्मचारीयो ने जब उसे जब यह बताया कि आगन्तुक इस कार्यालय और फैक्टरी का मालिक है तब वह दरबान भयभीत हो गया कि अब उसकी नौकरी गई परन्तु कुछ समय बाद उस दरबान को मालिक ने तलब किया और उसकी अपने कार्य के प्रति निष्ठा देख कर उसे उपहार और नौकरी में बड़ा पद देकर सम्मानित किया यहां पर दोनों प्रसंग से अवगत कराने के पीछे का आशय यह है कि
ईमानदारी,कर्तव्यनिष्ठा, एव जुझारू प्रवृत्ति जो बगैर लोभ के सौपे गए दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी पूर्वक निर्भय होकर करने पर उसका प्रतिसाद परितोष उपहार के रूप में पीठ थपथपा कर मिलता है परन्तु प्रदेश का यह कैसा वन विभाग है जो अपने ही सत्यवान कर्तव्यनिष्ठ ईमानदार कर्मचारी को उसके निश्छल कार्यों के प्रति उपहार और इनाम से नवाज़ने की बजाए उसे ही दोषी और अपराधी घोषित करने पर तुला है जो एक अली बाबा और चालीस चोर की उक्ति को सार्थक करता हुआ प्रतीत होता है भले ही वन विभाग अपने अधिकारियों और वन विभाग की साख बचाने एक व्यक्ति को बलि की वेदी पर चढ़ाने आतुर दिख रहा है परन्तु वायरल वीडियो ने वन विभाग की कार्यशैली और सच्चाई की कलाई खोल कर रख दी है इस एक घटना के बाद चारों ओर वन विभाग की छीछालेदर हो रही है क्योंकि यह घटना ने आम जनता के सामने विभाग की छबि को आईने के समान पारदर्शिता के साथ सबके सामने ला दिया है
कटघोरा वन मंडल अंतर्गत बांकी मोगरा हल्दी बाड़ी के रिजर्व फॉरेस्ट में हुए अवैध कटाई को लेकर जिस तरह बीट गार्ड शेखर रात्रे की कार्यशैली को लेकर उसे पुरुस्कृत करने की बजाए उसे ही दोषी बना दिया गया वह प्रदेश के वन विभाग के सभी वन मंडल कार्यालय के अंतर्गत होने वाले कार्य प्रणाली को लेकर अनेक सवाल खड़ा कर दिया है कटघोरा वन मंडल के अंतर्गत कुछ दिन पूर्व बांस कटाई वाली वायरल वीडियों में चल चित्र घटना क्रम के मुताबिक जैसा कि पूर्व में ही सन्देह व्यक्त किया गया था कि ऊपर बैठे धाकड़ अधिकारी अपनी कूटनीति चाल चलकर बीट गार्ड शेखर रात्रे को ही न निपटा दे और जैसी आशंका व्यक्त की जा रही थी और जिस बात का अनुमान लगाया जा रहा था वही हुआ सारे अधिकारी, कर्मचारी निर्दोष साबित हो गए और बीट गार्ड शेखर रात्रे ही दोषी बन गया आरोपों की बौछार में कभी उसके द्वारा अपने अधिकारी को लेकर बदसुलूकी की बात कही जा रही है तो कभी उसके द्वारा ही कुछ दिन पूर्व 250 के लगभग हरे स्वस्थ्य बांस भिर्रा के अवैध कटाई की बात सामने आ रही है परन्तु सब हवा हवाई और कपोल कल्पित लग रहा है क्योंकि वास्तविक धरा पर जिस तेजी से जांच अधिकारी की ताबड़तोड़ जांच और बीट गार्ड को ही सन्देह के कटघरे में खड़ा करना एक सोची समझी रणनीति के तहत किये जाने के संकेत दे रहा है सबसे पहले यदि जांच करवानी ही थी तो विभागीय अधिकारी से नही बल्कि किसी पूर्व आई ए एस अधिकारी को जांच का जिम्मा क्यों नही सौपा गया सारे प्रकरण की लीपा पोती करने विभागीय अधिकारी से ही जांच करवा दी गई क्योंकि सारे संलिप्त दोषी अधिकारी मिलकर एक बीट गार्ड के द्वारा किए गए कार्यवाही को लेकर उसे ही दोषी अपराधी बना देने के साथ ही विभाग के सामने बहुत से यक्ष प्रश्न भी आम लोगों के सामने खड़े कर दिए है जिसमे प्रभारी वन मण्डलाधिकारी कटघोरा जो पूर्व में केसकाल में एस डी ओ के पद पर थी उनके द्वारा दिए गए बयान में यह कथन कि ट्री गार्ड हेतु पूर्व से कटाई हो रही थी तो फिर बीट गार्ड को आदेश क्रमांक 3210 जो 15/07/2020/ को जारी किया गया था उसे मरवाही से ट्री गार्ड लाने आदेश क्यों जारी किया गया ? वन मण्डलाधिकारी कटघोरा के कथनानुसार यह कि कटाई पूर्व से किया जा रहा था तो बांस भिर्रा से कटाई के आदेश क्यों जारी नही किए गए? अपने अधिकारियों से कटाई के संबन्ध में जारी आदेश की प्रति मौका स्थल पर बीट गार्ड शेखर रात्रे द्वारा मांगा गया तो रेंजर मृत्युंजय शर्मा और डिप्टी रेंजर अजय कौशिक ने आदेश की प्रति क्यों उपलब्ध नही कराई ? अगर बीट गार्ड को यह ज्ञात था कि कक्ष क्रमांक आर एफ 790 से बांस पातन किया जा रहा है अथवा सूखे गिरे बांस संग्रहण किया जा रहा है तब उपस्थित रेंजर और डिप्टी रेंजर द्वारा आदेश की प्रति एवं अन्य संबंधित दस्तावेज क्यों दिखाया नही गया ? बीट गार्ड को यदि कटाई किए जाने का पूर्व संज्ञान होता तो वह क्यों पंचनामा तैयार कर आपराधिक प्रकरण दर्ज करता उपस्थित रेंजर डिप्टी रेंजर से आदेश प्रति क्यो मांगता ? रेंजर और डिप्टी रेंजर आदेश कॉपी मांगने पर क्यो खामोशी से इधर उधर चहल कदमी करते रहे बीट गार्ड शेखर रात्रे को उसकी बदसुलूकी पर फटकार क्यों नही लगाई ? एक चोर की मानिंद वे सहमे क्यो रहे ? क्योंकि यदि विधिवत नियमानुसार बांस भिर्रा के गिरे पड़े,टेढ़े मेढे सूखे बांस संग्रहण किया जा रहा था तो लगभग ग्यारह मजदूर के हाथों में कटाई हेतु कुल्हाड़ी क्यों थे यदि सूखे गिरे,टेढ़े,मेढे, बांस संग्रहण किया जाना था तो फिर जांच अधिकारी द्वारा यह कथन कि साफ सफाई के दौरान कुछ हरे पकिया बांस भी कट गए जबकि उपस्थित पत्रकारों ने वहां काटे गए हरे बांस को देखा था तो फिर कौन से सूखे टेढ़े मेढे गिरे बांस को संग्रहण किया जा रहा था ? वही कटाई को वन समिति द्वारा किया जाना भी बताया जा रहा है जैसे कि वीडियो में रेंजर मृत्युंजय शर्मा बीट गार्ड से कह रहे है कि यह विभागीय उपयोग हेतु वन समिति के माध्यम से कटाई की जा रही है तो फिर तात्कालिक समय मे किसी वन समिति का कोई भी सदस्य द्वारा इसका सत्यापन क्यों नही किया गया बाद में वीडियो के माध्यम से एक सोची समझी रणनीति के तहत बीट गार्ड के ऊपर ही कटाई कराने का आरोप रोपण कर दिया गया सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि कटाई वाले मौका स्थल पर स्वयं रेंजर और डिप्टी रेंजर द्वारा खड़े हो कर बांस (कटाई) संग्रहण की बात कही जा रही है जैसा कि जांच में यह बात सामने आ रही है तो फिर बीट गार्ड को बांस कटाई किए जाने और संग्रहण करने का भान पहले से क्यों नही था मान लिया जाए उसे अंधेरे में रख कर उसकी अनुपस्थित में कक्ष क्रमांक 790 से बांस कटाई हो जाती और बड़ी संख्या में हुए अवैध बांस कटाई का परिवहन कर दिया जाता इसे लेकर बाद में बीट गार्ड शेखर रात्रे से पूछताछ की जाती कि तुम्हारे बीट से बड़ी संख्या में बांस की कटाई हो गई तब वह इसका क्या जवाब देता ? एक तरह से उस पर ही समस्त बांस कटाई होने या फिर चोरी करने का दोषारोपण मढ़ दिया जाता ? यही नही पाली एस डीओ वाय पी डड़सेना के द्वारा अपनी जांच रिपोर्ट में यह उल्लेख कि किसी प्रकार की अवैध कटाई नही हुई है तथा पीसीसीएफ को भेजे गए जांच प्रतिवेदन में लिखा गया है बल्कि हल्दीबाड़ी के उस रिजर्व फॉरेस्ट में ऊपर से मिले निर्देश के तहत ट्री गार्ड बनाने के लिए पुराने प्लांटेशन की सफाई कराई जा रही थी। लिहाजा, अवैध कटाई का मामला नहीं बनता इस पर सवाल उठ रहा है कि फरवरी मार्च में होने वाले कूप कटाई के दौरान ही साफ सफाई क्यों नही की गई यदि नया प्लांटेशन किया जाना था तो इसकी सफाई अप्रेल - मई यानी वर्षा ऋतु के पूर्व ही कर दी जाती वर्षा ऋतु के समय ही साफ सफाई की सुध क्यो ली जा रही थी यह वह समय होता है जब वर्षा के जल से संपूर्ण प्राकृतिक अपना हरीतिमा श्रृंगार करती है जब कोई भी इनके पातन से लेकर कटाई छटाई पर प्रतिबंध रहता है तो वन मण्डल कटघोरा को इसी ऋतु में ही वन क्षेत्रों में बांस के साफ सफाई की क्या आवश्यकता आ पड़ी थी ? उस समय तो कोई भी सूखे टेढ़े मेढे गिरे बांस नही होते बल्कि हरित काया वाले सुडौल और स्वस्थ्य परिपक्व पकिया बांस हो जाते है ? फिर रेंजर डिप्टी रेंजर के द्वारा कौन सा सूखे टेढ़े मेढे गिरे हुए बांस की साफ सफाई करवाई जा रही थी ? यह बात भी प्रकाश में आ रही है कि एस डी ओ पाली द्वारा बीट गार्ड शेखर रात्रे के पंचनामा में दर्ज नाम वाले किसी भी व्यक्ति से कोई भी पूछताछ नही की गई है जबकि प्रभारी डी एफ ओ शमां फारुखी सहित अन्य अधिकारियों का यह कथन कि बीट गार्ड को अपने बीट में कटाई होने या मालूम होने पर इसकी सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को देनी चाहिए थी न कि उनसे अभद्रता कर उनके विरुद्ध पंचनामा तैयार कर आपराधिक प्रकरण दर्ज करते यानी बीट गार्ड शेखर रात्रे अपने बीट में हो रहे अनैतिक कर्म के विरुद्ध आवाज न उठा कर अन्य विभागीय संलग्न कर्मचारियों की भांति जैसा कि अमूमन यह होता और देखा जाता रहा है कि निचले स्तर के कर्मचारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष दब कर कार्य करते है और अनैतिक कर्म होने और देखने के बावजूद नन्दी बैल की तरह सिर हिलाते तो उचित था यानी जैसा चल रहा था चलने देते परन्तु दोषी अधिकारियों के विरुद्ध आवाज़ बुलंद कर जैसे बीट गार्ड ने बहुत बड़ा अपराध कर दिया और ईमानदारी पूर्वक उठाया गया कदम उसके लिए बवाले जान हो गया इससे यह तो स्पष्ट लग रहा है कि ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठा अब केवल काली स्याही से लिखा सफेद कागज में एक काला शब्द बन कर रह गया है वास्तविक मौलिक जीवन मे इसका कोई महत्व नही एक प्रकार से प्रदेश का वन विभाग आर्थिक संचय और भ्रष्ट कार्यप्रणाली का बहुत बड़ा अड्डा बन चुका है ऊपर से लेकर निचले कर्मचारियों का नाता चोर चोर मसौरे भाई की तर्ज पर कार्य संपादित हो रहा है लाखों के कार्य योजनाए केवल कागजो में सिमट चुके है तभी तो जो जितना बड़ा भ्रष्ट उसे उतना ही बड़ा पोस्ट मिलता है उदाहरण के लिए केसकाल बस्तर वन मण्डल कार्यालय में एस डी ओ के पद पर पदस्थ शमां फारुखी की भ्रष्ट कार्य शैली किसी से छुपी नही है उन्हें केसकाल का प्रभारी वन मण्डलाधिकारी बना दिया गया वहां वे न ही किसी मजदूर से मिलती थी और न ही किसी महिला समूह की व्यथा सुनती थी अनेकों मर्तबा श्रमिक वर्ग पारिश्रमिक भुगतान के संदर्भ में सैकड़ों की संख्या में उनसे मिलने उनके कार्यालय एव आवास के चक्कर लगाते रहे परन्तु उन्होंने इनसे मिलने कोई रुचि नही दिखाई कभी भी इस ओर तवज्जो नही दिया और न ही उनका लाखों का श्रमिक भुगतान हुआ जिससे आक्रोशित होकर स्थानीय सौकड़ों मजदूर क्षेत्र के विधायक नेताम से मिले और अपनी व्यथा से उन्हें अवगत कराया अंततः क्षेत्र के विधायक नेताम ने मैडम शमां फारुखी प्रभारी वन मण्डलाधिकारी को जम कर फटकार लगाई थी(देखें नीचे वीडियो ) बताया जाता है कि केसकाल प्रभार में रहते हुए मैडम शमां फारुखी ने प्रदेश के वन मंत्री मो अकबर को रिश्तेदार बता कर अपना धौंस जमाने का प्रयास स्थानीय तौर पर किया था वही रौब और धौंस अब यहां कटघोरा वन मंडल कार्यालय और क्षेत्र में भी बरकरार रखी हुई है जिसकी वजह से कटघोरा वन मण्डल क्षेत्र सहित प्रदेश भर में वन मंत्री की छबि पर आंच आ रही है और वन मंत्री के संदर्भ में यह बात क्षेत्र में पूरी तरह प्रचलित हो गई है कि वन मंत्री की ही शह पर मैडम शमां फारुखी सारे भ्रष्ट कार्यों को अंजाम दे रही है जिससे वनमंत्री मो अकबर की छबि भी आम जनता के बीच धूमिल हो रही है (नीचे वीडियो अवश्य देखें)