रायकेरा रोपणी तंगहाल प्राकृतिक वनों में कटाई बेहाल....अधिकारी हो चुके मालामाल ..नियम कानून बना जी का जंजाल ...
अलताफ हुसैन
किसी समय एशिया की सर्वश्रेष्ठ रोपणी के रूप में पहचान रखने वाला ऐतिहासिक नगरी सिरपुर परिक्षेत्र के समीप स्थित रायकेरा नर्सरी आज बदहाली,तंगहाली, एव अव्यवस्था का शिकार हो चुका है न ही वहां रहने का ढंग का कोई ठौर है और न ही सुरक्षा की दृष्टिकोण से कोई ठिकाना यही वजह है कि विगत कुछ वर्षों से रायकेरा रोपणी उपेक्षित रहा है रोपण कार्य के नाम पर मात्र कुछ पौधे रोपण होते रहे है जो इसके गरिमा के विपरीत कहा जा सकता है लगभग चालीस वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश के अधीन में रहते हुए छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक सिरपुर क्षेत्र से लगभग सात किलोमीटर की दूरी पर प्राकृतिक वन क्षेत्र के मनोहारी वातावरण के एक वृहद भूभाग में रायकेरा रोपणी का उदय हुआ था जैना साहब जैसे कुशल कर्त्तव्य निष्ठ,ईमानदार अधिकारी के मार्ग दर्शन में सागौन सहित मिश्रित प्रजातियों के रोपणी का यह प्रमुख केंद्र बिंदु रहा है यहां के पेड़ पौधे प्रदेश ही नही वरन अन्य राज्यों में भेजे जाते रहे है तथा आज वही पेड़ गगनचुंबी स्वरूप में अपनी वैभवशाली इतिहास का साक्ष्य भी है कभी प्रदेश के किसी सागौन वन परिक्षेत्र से गुजर हो तो इन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे हवा में लहलहाते इठलाते अपने जन्म स्थल रायकेरा रोपणी के गौरव का स्तुति गान कर रहे हो हालांकि परिवर्तित कालचक्र में अनेक पी सी सी एफ और अधिकारी का चेहरा बदलता गया कभी जैना साहब तो कभी मिश्रा साहब के हाथों से होता हुआ उक्त रोपणी अनेक अनुभवी दक्ष कर्तव्यनिष्ठ पीसीसीएफ के छत्र छाया में फलता फूलता हरा भरा रहा वर्तमान में श्री राजेश गोवर्धन साहब इस सुप्रसिद्ध रायकेरा रोपणी के मुखिया है वही रोपणी में अधिकारियों के रूप में चौहान साहब ने इसकी रूप रेखा को संवारने का प्रयास किया तो सक्सेना साहब जैसे कड़क अधिकारी ने इसके स्वरूप को निखारा रोपण सहित अनेक आधुनिक।तकनीकी से प्रयोग से पैदावार बढ़ाने का प्रयास किया पश्चात अशोक वर्मा साहब से लेकर अनेक परिक्षेत्राधिकारीयों के चेहरे बदलते रहे परन्तु नही बदला तो केवल एक ऐसे व्यक्ति का चेहरा जो अनवरत पैतीस वर्षों से अधिक अपनी लंबी सेवाएं केवल रायकेरा रोपणी में ही व्यतीत कर दिया जिनका नाम एंब्रोस एक्का है वर्तमान में वे रायकेरा सहित आरंग रेंज के परिक्षेत्राधिकारी का दोहरा प्रभार सम्हाले हुए है परन्तु एक तरफ रायकेरा रोपणी में जनक की भूमिका निभाने वाले तथा वहीं दूसरी ओर मैदानी क्षेत्रों में वृक्षों का संहार करने वाले एक जिम्मेदार अधिकारी को क्या कहा जाए ? इस पर बाद में आगे चर्चा करेंगे पहले रायकेरा नर्सरी पर चिंतन किया जाए पिछले कुछ वर्ष से रायकेरा रोपणी की स्थिति बड़ी चिंता जनक हो चुकी है छग राज्य वन विकास निगम के प्रबंध संचालक राजेश गोवर्धन साहब ने वर्ष 2019-20 कार्य योजना के तहत प्रारंभ वर्ष मार्च अप्रेल 2020 में रायकेरा नर्सरी को ऑक्सीजन देने का कार्य करते हुए 2000 बेड पर लगभग 14 लाख से ऊपर सागौन बीज का सफल पौधा रोपण का आदेश जारी किया जिसे रोपणी प्रभारी के कुशल मार्ग दर्शन एव देखरेख में सम्पन्न किया गया वर्तमान में रोपण कार्य होने से यहां की हरियाली वाली स्थिति में बहुत कुछ सुधार दिखाई दे रहा है वरन पूर्व में रोपण क्षेत्र पूर्णतः चटियल मैदान सदृश्य प्रतीत हो रहा था केवल औपचारिक रूप से मांग अनुसार कुछ पौधों का ही रोपण क्षेत्र में परिलक्षित होता रहा था जिसमे तीन वर्ष पूर्व लगाए गए औषधि पेड़ जिनमे शतावर,सफेद मूसली सर्पगन्धा इत्यादि का रोपण पूर्व एम डी शिरीष चंद्र अग्रवाल साहब के कार्यकाल में किया गया था जो खरीददार के अभाव में या अधिक आर्थिक लालसा में उसकी बिक्री नही हो पाई जो लाखों रु की औषधि अब रोपणी के एक अंधेरे कमरे में कैद है इसकी बिक्री न होने के पीछे की वजह तत्कालीन समय मे माकूल दाम का नही मिलना बताया गया है रोपण परिसर क्षेत्र में परिक्षेत्राधिकारी एव डिप्टी रेंजर सहित सहायकों के लिए निर्मित आवासीय कक्ष जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गए है जिसकी वजह से कोई भी अधिकारी कर्मचारी अब यहां रहना नही चाहता रंग रोगन के अलावा क्षतिग्रस्त दीवारें तथा परत छोड़ती छत कभी भी दुर्घटना की संभवना को प्रबल करती है रोपणी क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टिकोण से लगाए गए बारबेट कांटेदार तार पर्याप्त नही माना जा रहा है जिसकी वजह से जंगली जानवरों का भय सदा बना हुआ होता है इसका उदाहरण दो चार माह पूर्व उन्मादी हाथी दो से तीन मर्तबा रायकेरा रोपणी क्षेत्र के भीतर पहुंच चुका है जान की हानि तो नही हुई परन्तु पाइप इत्यादि को क्षतिग्रस्त अवश्य कर चुका है उपस्थित चौकीदार चोवाराम परिवार सहित छत पर चढ़कर जान बचाई कथन आशय है कि रायकेरा नर्सरी अब भी पूरी तरह असुरक्षित है पांच पम्प में से मात्र दो से तीन ही पंप चालू है जिससे दो हजार बैड में रोपे गए सागौन की सिंचाई सुनिश्चित की गई है जबकि वर्ष 2016-17 में रोपे गए 14 लाख की संख्या में छ से आठ फिट ऊंचाई वाले पौधे जो अपनी जड़ें मजबूत कर चुके थे उन्हें जेबीसी मशीन से निकाला गया था जिसमे एक बड़ी क्षति वन विकास निगम का होना पाया गया था वही अनेकों बार सब मर्सिबेल पंप को सुधार कार्य किया गया है केवल दो तीन पंप के सहारे संपूर्ण रायकेरा नर्सरी की सिंचाई व्यवस्था अधिकारी कर्मचारी कब तक संभालेगे यह सवाल खड़ा हुआ है या कब तक इन्हें वर्षा आधारित ऋतु पर निर्भर रहते हुए रोपणी में सिंचाई हेतु आसमान की ओर सर उठा कर तांकना पड़ेगा ? इसी प्रकार आधुनिक तकनीक से रोपण हेतु रायकेरा रोपणी में ही लाखों की लागत से प्रयोगशाला हेतु पृथक चेंबर का निर्माण भी किया गया था जहाँ ऑक्सीजन मशीन समुचित तापमान हेतु कांच का ढांचा तैयार किया गया था जो पूरी तरह से जीर्ण शीर्ण स्थिति में पहुंच चुका है बगल में ग्रीन पर्दे का ढांचागत ग्रीन रुम तैयार किए गए थे वहां भी आधुनिक तकनीक से पौधों पर प्रयोग किया जाना बताया गया परन्तु वह भी पूरी तरह से तबाह हो चुका है बर्मी कम्पोस्ट खाद हेतु अलग भंडार गृह है वहां के टीन शेड उखड़ चुके है वैसे भी ज्ञात हुआ है कि वर्षों से उपजाऊ स्थल होने की वजह से वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग अल्प मात्रा में किया जाता है लेकिन इसके क्रय किए जाने के लिए लाखों रुपए व्यय किए जाते रहे है जबकि रोपणी स्थल में ही वर्मी कम्पोस्ट खाद निर्माण हेतु बेड निर्माण किया जाना बताया गया है अब इसे लापरवाही कहें या आर्थिक लाभ अर्जित किए जाने का साधन माने जो वर्षा में खाद खराब करने के लिए टूटे फूटे छत के नीचे छोड़ दिया गया है यही स्थित सागौन बीज की भी है वन क्षेत्रों से संग्रहित कर लाए गए बीजों को गर्मी में कुछ दिन नमी कर उसे सुखाया जाता है पश्चात उसे रोपा जाता है परन्तु बताया गया है कि बहुत से बीज अनुकूल वातावरण न मिलने के कारण लग नही पाए समस्त बीज सुखाने से लेकर रोपण प्रक्रिया तक 25 प्रतिशत राशि ही व्यय होती है वही कभी कभी रुट सूट से भी पौधे तैयार कर लिए जाते है यानी हींग लगे न फिटकरी रंग भी चोखा आए वाली उक्ति यहां चरितार्थ होती प्रतीत होती है पूर्व में ही रोपणी परिसर में अधिकारियों और कर्मचारियों के निवास हेतु प्रारंभिक काल मे निर्मित कक्ष के समक्ष पूर्व में बेहतर तरीके से छोटा सा गार्डन निर्माण किया गया था जहां आकर्षक फलदार फूलदार मिश्रित पौधे लगाए गए थे जो देखरेख और व्यवस्था के अभाव में अब पूरी तरह से तबाह व नष्ट हो चुके है कुल मिलाकर रायकेरा रोपणी अपनी बदहाली की गाथा स्वयं बखान कर रहा है यह बड़े अफसोसजनक बात है कि लाखों रुपये का राजस्व देने वाला रायकेरा रोपणी या निगम की आर्थिक रीढ़ माने जाने वाले रायकेरा रोपणी के आवासीय परिसर सहित रख रखाव एव व्यवस्था की ओर किसी प्रकार का ध्यान नही दिया जाना यह संकेत कुछ सही दिखाई नही पड़ रहे है छग प्रदेश में सर्वाधिक बड़ी रोपणी के रूप में चिन्हित रायकेरा रोपणी के लिए निगम प्रबंधन द्वारा क्या उसकी सुरक्षा व्यवस्था या मेंटनेंस के लिए कोई राशि जारी नही किया जाता या फिर रोपणी प्रभारी एव अधिकारियों की मिली भगत से संपूर्ण राशि डकार ली जाती है जबकि परिक्षेत्राधिकारी एवं प्रभारी एक्का साहब का दोहरा प्रभार दायित्व मिलने से रायकेरा रोपणी के प्रति उनका उत्साह पूर्व की भांति काफी फीका पड़ चुका है उनका संपूर्ण ध्यान आसपास के क्षेत्रों में वर्ष 2018-19 में किए गए सागौन और मिश्रित प्रजाति के प्लान्टेशनों में लगा रखा है उनके ही दिशा निर्देश में लोहारडीह के कक्ष क्रमांक 848 में किए गए सागौन प्लांटेशन में भारी गड़बड़ी और घोटाला हुआ है जहां पर 87500 सागौन रोपण की बात कही गई थी परन्तु उक्त स्थल मुआयना में तीस प्रतिशत से अधिक जीवित पौधे दिखाई नही पड़ते बताया जाता है कि रोपण वर्ष पूर्व बड़ी मात्रा में थिनिंग के नाम पर पातन कार्य हुआ था जिसका दोहरा लाभ उठाया गया कटाई किए गए चट्टा में मैदानी कर्मचारियों ने बट्टा लगाया है सागौन रोपण के नाम पर सामने की ओर कम मात्रा में रोपण दर्शा कर एक बड़ी राशि में गड़बड़ घोटाला किया गया वही कक्ष क्रमांक 859 ए में अब भी 10 से 15 की बड़ी मात्रा में चट्टा सहित परिपक्व इमारती काष्ठ की थप्पी छुपाई गई है ऐसे परिपक्व पेड़ जिनमें बिना मार्किंग के भी पेड़ है जो लगभग आठ से दस ट्रक ऊपर काष्ठ परिवहन हेतु पड़ा हुआ है उसे अब तक थिनिंग क्षेत्र से नही उठवाया गया जो मैदानी अमले के द्वारा निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने के उद्देश्य वाली शंकाओं को जन्म दे रहा है एक्का साहब जो स्वयं पेड़ पौधों के जनक के रूप में पहचाने जाते है उनके द्वारा अपने अधीनस्थों के माध्यम से कूटरचना कर रोपण क्षेत्र में कम मात्रा में पौधा रोपण किया जाना या बर्बरता पूर्वक प्राकृतिक वनों का संहार करना शोभा नही देता बताते चले कि वर्ष 2018-19 में कक्ष क्रमांक 848 में किए गए सागौन रोपण की व्यवस्थापन राशि भी डकार ली गई न ही रोपण क्षेत्र में कोई गाला बनाकर दवा खाद दिया गया और न ही कैज्युवल्टी की गई वृहद भू भाग में या तो पूर्व के प्राकृतिक पेड़ दिख रहे है या फिर रोपे गए सागौन पौधों में ग्रोथ नज़र नही आ रहा है बड़ी संख्या में कई पौधे मृत हो चुके है संभावना व्यक्त की जा रही है कि रायकेरा नर्सरी में भी पौधे बिक्री के मामलों में एक्का साहब के द्वारा भारी गड़बड़ी की गई है रोपणी के मेंटनेंस सहित बीज खाद एव अन्य सामग्री खरीदी पर बड़े घोटाले से इंकार नही किया जा सकता है क्या यह सब ऊपर बैठे अधिकारियों की मिली भगत से किया गया है इसलिए भी रायकेरा प्रभारी एक्का साहब द्वारा रायकेरा से अपनी दूरी बनाए हुए है तथा अपना सारा ध्यान फील्ड में लगाए रहते है ताकि बड़ी मात्रा में थिनिंग के नाम पर हो रही कटाई छुपाए गए अवैध काष्ठों के हेराफेरी गड़बड़ी में सहभागिता तथा प्लान्टेशनों से किस प्रकार अर्थ लाभ उठाया जाए इसके अवसर तलाशते रहे है एक ही थाली के चट्टे बट्टे वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए अपने अधीनस्थ प्रभारी डिप्टी लोकेश साहू एव अन्य कर्मचारियों को दिशा निर्देश देकर कागजो एव दस्तावेजों में कूटरचना कर पर्दे के पीछे रहते हुए अवैध कृत्य को अंजाम दे रहे है अब दस्तावेजों में कूटरचना की बात चली है तो स्वभाविक है पानाबरस परियोजना मंडल का नाम स्वतः आना आवश्यक हो जाता है क्योंकि राजनांदगांव पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय एक ऐसा कार्यालय है जहां पर वर्षों से पदस्थ स्थानीय राजनांदगांव निवासी जो लेखा शाखा में सहायक पद पर रहते हुए वर्षों से पानाबरस परियोजना मण्डल में अपनी सेवाएं दे रहे है एक प्रकार से उन्होंने अपना पूरा सेवा काल कथित परियोजना मंडल कार्यालय में व्यतीत कर दिया है यहां जीवन भर रहते हुए उनके द्वारा दस्तावेजों में कूटरचना कर रेत में से कैसे तेल निकाला जाता है इस हुनर के मास्टर माने जाते है उन्होंने अब तक अनेक अनैतिक एव फर्जीवाड़ा को पूर्ण रूप से अंजाम दिया है उनके भ्रष्ट कार्यों को लेकर परियोजना मंडल में उनके चर्चे आम हो चुके है ठेकेदारों की शिकायत को आधार बनाकर प्रधान कार्यालय वन विकास निगम से भी पत्र जारी किया जा चुका है विशेषकर ठेकेदारों के द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों में कूट रचना करते हुए लाखों का गड़बड़ी किए जाने की जानकारी प्राप्त हुई है एक तरह से उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में ठेकेदार (प्रेम) चोपड़ा की भूमिका निभाने जैसा अभिनय को जिया है और अपने आकाओं को इनके ही फर्जीबिल और गड़बड़ घोटाला के माध्यम से लाभ पहुंचाया है उनके द्वारा अनुपस्थित रहते हुए तथा अनेक घोटालों को अंजाम देने वाले सन्देहास्पद भूमिका को समझने के लिए फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई है यही नही अपने ऊपर बैठे आकाओं को प्रसन्न करते करते वे इतने हावी हो चुके थे कि मनमर्जी से ऑफिस आना एव कभी भी कार्य विवरणी डायरी भी मेंटेनेंस नही किया बता दे कि शासकीय कर्मियों के लिए मासिक डायरी लिखना अनिवार्य होता है यह वो क्रिया है जो फील्ड सहित कार्यालय में तैनात सभी आई एफ एस अधिकारी अन्य कर्मचारीयों के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों के प्रति सजगता योजनाओं के क्रियान्वयन एव उनकी उपस्थिति को दर्शाता है निचले कर्मचारियों के लिए उपस्थित रजिस्टर होता है जिस पर हस्ताक्षर कर उनके कार्यों की समीक्षा होती है तथा उपस्थिति एवं हस्ताक्षर के आधार पर वेतन का मापदंड तैयार किया जाता है यही मासिक डायरी बड़े अधिकारी रेंजर से लेकर ऊपर बैठे वरिष्ठ अधिकारियों के तिथिवार कार्य पर उपस्थित रहने का प्रमाण होता है जिसे तीन माह के भीतर जमा करना आवश्यक होता है परन्तु पानाबरस परियोजना मण्डल में ही नही बल्कि प्रदेश भर के कई परियोजना मंडल कार्यालयों में इसका अनुपालन नही होता ज्ञात हुआ है कि कथित वरिष्ठ लेखा अधिकारी के द्वारा इस प्रकार की कोई भी मासिक डायरी प्रस्तुत नही किया गया बावजूद इसके बरसों से वे वेतन आहरण करते आ रहे है क्योंकि वन अधिनियम के अंतर्गत यह प्रावधान है कि चाहे वह आई एफ एस अधिकारी हो रेंजर हो उन्हें अपने मासिक कार्यों का लेखाजोखा लिखकर तीन माह के भीतर जमा करवाना अनिवार्य हो जाता है इसी आधार पर उनका वेतन जारी होता है यदि किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा अपने वरिष्ठता के आधार पर यह कथन कि मैं वरिष्ठ अधिकारी हूं तथा अपनी कार्य विवरणी डायरी प्रस्तुत नही कर नियमित वेतन आहरण करते पाए जाने पर वह असंवैधानिक एव फर्जी माना जाता है यही नही कार्य पंजी डायरी ही उसके सेवानिवृत्त होने पर उसके कार्यों की समीक्षा के आधार पर राशि का निर्धारण सुनिश्चित होता है यदि किसी प्रकार की कमी पाए जाने पर भ्रष्ट कार्यों में लिप्त पाए जाने पर या बिना आवेदन के अनुपस्थित रहने पर उसके विरुद्ध उच्चाधिकारियों द्वारा कार्यवाही करने तथा आर्थिक दंड लगाने हेतु स्वतन्त्र होता है बताया तो यह भी जाता है कि कार्य विवरणी पंजी के गुमने या प्रस्तुत नही करने पर सेवा निवृत्त पश्चात उसके मिलने वाली भविष्यनिधि राशि सहित अन्य आर्थिक गतिविधियां शून्य मानी जा सकती है इसके लिए न्यायालयीन आदेश है कि सेवानिवृत होने के तीन से छ माह या वर्ष पूर्व इसकी समीक्षा प्रधान कार्यालय द्वारा कर लिया जाए
मासिक डायरी न लिखने पर ऐसे अधिकारियों पर वन अधि नियम का सामना करना पड़ सकता है
वन अधिनियम में मासिक डायरी के कुछ नियम यहां दिए जा रहे है
फिल्ड में तैनात सभी अधिकारियों कर्मचारियों को मासिक डायरी लिखना ज़रुरी हैं जो उनके कार्य पर उपस्थित रहने का प्रमाण हैं
रेंजर सहित ऊपर के अधिकारी कर्मचारियों को मासिक. डायरी 3 महीने के अंदर जमा करना जरुरी होता है तब ही उसे यात्रा भत्ता दिया जाता है।
डायरी ना देना अनुशासन हिनता है डायरी ना देने पर वेतन रोका जा सकता है ।
डायरी से ही उनके कार्य का आकलन किया जाता है उप मंडल प्रबंधक,
रेंजर और उससे निचे के पद के कर्मचारी को महीने में 11 रात मुख्यालय से बाहर रात्रि विश्राम करना जरूरी है यदि 3 महीने के अंदर डायरी जमा कर दिए हैं तो भत्ता पास होकर पैसे मिल जाते है डायरी जमा होने के बाद उच्च अधिकारी द्वारा आकलन कर टीप दी जाती है और उससे उपर के अधिकारी द्वारा संतुष्ट हो जाने पर __देखा . नस्तीबद्ध कर -- हस्ताक्षर करते हैं। उदाहरण के लिए रेंजर की डायरी का आकलन उप मंडल प्रबंधक करते हैं । मंडल प्रबंधक नस्तीबद्ध करते हैं।
यह वन विकास निगम के नियम में है।परन्तु कई अधिकारी कर्मचारी इसका अनुपालन करते नही दिख रहे है जिसकी समीक्षा आवश्यक है मासिक डायरी प्रस्तुत न करने के पीछे ऐसे अधिकारी कर्मचारियों की भ्रष्ट कार्यशैली को मिलीभगत से विलोपित करने का प्रमुख उद्देश्य माना जा रहा है वही परियोजना मंडल कार्यालय अथवा मुख्यालय वन विकास निगम अधिकारी इस तारतम्य में तीन माह के भीतर अधीनस्थ कर्मियों से कार्य विवरणी डायरी नही देखते है तो वे भी उतने ही दोषी है जितने समयावधि में अपनी डायरी न प्रस्तुत करने वाले कर्मचारी है यदि इसकी समीक्षा होती है तो अनेक बड़े गड़बड़ घोटाले और भ्रष्टाचार उजागर हो सकते है