प्लांटेशन और वृक्षारोपण क्षेत्र में भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारीयों कर्मचारियों पर वन विकास निगम हुई सख्त -गड़बड़ी करने वाले अधिकारी कर्मचारी अब बख्शे नही जाएंगे
फॉरेस्ट क्राइम न्यूज/अलताफ हुसैन
रायपुर छग राज्य वन विकास निगम के पाना बरस परियोजना मंडल राजनांदगॉव के द्वारा मोहला परिक्षेत्र में वर्ष 2018 में किए गए सागौन प्लांटेशन में हुए अनियमितता,भ्रष्टाचार और गड़बड़ी को लेकर कड़े कदम उठा रहा है जो पूर्व में किए गए भ्रष्टाचार पर एक प्रकार से नकेल कसने जैसा कदम माना जा रहा है इससे निचले मैदानी अमलों में दहशत का माहौल निर्मित हो गया है वन विकास निगम के इस सख्त कार्यवाही को लेकर तरह तरह के चर्चे और क़यास लगाए जा रहे है वही कुछ कर्मचारी यह चर्चा कर रहे है कि इसमें उच्च स्तरीय अधिकारियों की मिली भगत का परिणाम है कि छग वन विकास निगम में भ्रष्टाचार अपनी चरम में पहुंच चुका है तो वही कुछ कर्मचारियों का मत कि ऐसी कार्यवाही करने से अब कार्यों में कसावट के साथ निष्ठा पूर्वक ईमानदारी से भी कार्यों का सफल क्रियान्वयन हो सकेगा क्योंकि अमूमन देखा यह जा रहा था कि छग राज्य वन विकास निगम का मैदानी अमला केवल अर्थ लाभ के चलते कार्यों में भ्रष्टाचार को बेखौफ होकर ,,सैय्या भयो कोतवाल तो अब डर काहे का,, की तर्ज पर अंजाम दे रहा था इसके पीछे की वजह ज्ञात करने पर उनका एक ही मत होता है कि अधिकारियों सहित राजनीतिक पार्टी कार्यकर्ता,पत्रकार,समाज सेवी संस्था जैसी अनेक व्यवस्थाओं में पैसे व्यय हो जाते है परन्तु वास्तविकता यह है कि ऐसी व्यवस्था केवल औपचारिक होती है जिसमे राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं को चंदा स्वरूप और पत्रकार बन्धुओं को गाड़ी खर्चे के नाम पर हजार दो हजार में ही निपटा लिया जाता है जबकि अधिकारियों के आगमन पर भी एक बड़ा उपहार परंपरा अनुसार दिया जाता रहा है तो फिर लाखों रुपये के व्यवस्थान राशि जाती है तो कहां जाती है ? प्लांटेशन कर्ता या मैदानी अमले जब ऐसे उपहार को अंजाम दे देते है तब इनकी मानसिकता यह बन जाती है कि उच्च अधिकारी को प्रसन्न कर उसने रण का मैदान फतेह कर ली है फिर ऐसे मैदानी अमले के अधिकारी कर्मचारी यह सोचकर निश्चित हो जाते है कि उच्च अधिकारी का वरद हस्त प्राप्त हो जाने पर वे भ्रष्टाचार,गड़बड़ी,और अनियमितता का खुलकर खेल खेलते है तथा हजारों के व्यय को लाखों में बता कर लाखों का वारा न्यारा कर लेते है और जब वास्तविकता का सही मूल्यांकन वन निगम वर्ष दो वर्ष पश्चात करता है तो वास्तविकता की धरा पर कुछ अलग नज़ारा होता है न ही पूर्व किए गए गणना अनुसार रोपण पौधों की संख्या होती है और न ही समय पर मिलने वाली व्यवस्थापन राशि का समयानुसार सदुपयोग किया जाता है परिणामतः भगवान भरोसे किए प्लांटेशन की स्थिति बड़ी दयनीय हो जाती है तब वह विकास निगम द्वारा जारी नोटिस को लेकर कर्मचारी अपना छाती पीट कर रुदाली रोना रोते है जिससे इनके सारे काले भ्रष्ट कारनामों का भंडाफोड़ हो जाता है प्रदेश भर में किए गए प्लांटेशन के मूल्यांकन की वर्तमान स्थिति कुछ यही दशा बयां कर रही है गत वर्षों में किए गए प्रदेश भर के प्लान्टेशन वृक्षारोपण क्षेत्र की स्थिति बड़ी दयनीय स्थिति में देखा जा सकता है ताज़ा तरीन समाचारों में पाना बरस परियोजना मंडल को ही देखा जाए तो ज्ञात हुआ है कि अधिकारियों द्वारा वर्ष 19/10/2019 में मोहला परिक्षेत्र प्रवास के दौरान सागौन वृक्षारोपण वर्ष 2018 के कक्ष क्रमांक पी एफ/783 कूप 8 ग्रास 50 हेक्टेयर के नेट 40 हेक्टेयर में औधौगिक वृक्षारोपण (आई पी डी) के तहत लगभग एक लाख पौधों का रोपण किया गया था जो मंडल प्रबंधक औधौगिक वृक्षारोपण कोरबा द्वारा पानाबरस परियोजना मंडल के द्वारा सागौन वृक्षारोपण वर्ष 2018 का प्लांटेशन स्थल पर मौका मुआयना कर उसका मूल्यांकन लगभग 90 प्रतिशत सफल रोपण दर्शाया गया था पश्चात प्रतिवर्ष मिलने वाली व्यवस्थापन राशि जो रोपण क्षेत्र के समुचित देख रेख, रख रखाव,सहित उसके उपचार,दवा खाद, इत्यादि के लिए जारी की जाती है उसे बंदरबांट कर लिया गया उसके पश्चात जब इसका पुनः निरीक्षण माह अक्टूबर वर्ष 2019 में अधिकारी द्वारा किया गया तो समस्त अव्यवस्था एव देखरेख के अभाव में वृक्षारोपण क्षेत्र में केवल 30 प्रतिशत ही जीवित अवस्था में पौधे पाए गए जिसे संज्ञान में लेकर कड़े शब्दों में मुख्यालय छग राज्य वन विकास निगम द्वारा पत्र जारी करते हुए अनियमितता का उल्लेख करते हुए 90 प्रतिशत जीवित पौधों में 60 प्रतिशत पौधों की कमी किन कारण से हुई इसका कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया तथा इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि समस्त प्रोजेक्ट प्राक्कलन में प्रावधानित पूर्ण बजट जारी कर दिया गया था उसके बावजूद मैदानी अमले के अधिकारी कर्मचारी द्वारा वृक्षारोपण क्षेत्र में समुचित देखभाल,एव रख रखाव में असावधानी बरती गई एवं वन विकास निगम द्वारा प्रदत प्रोजेक्ट राशि को डकार लिया गया जिससे एक बड़ी क्षति निगम के समक्ष आ खड़ी हुई आगे निगम के पत्र में उल्लेख किया गया है कि अपने कर्तव्यों एव कार्यों के प्रति ढिलाई और विमुखता के कारण ऐसी स्थिति निर्मित हुई है जिसे लेकर वन विकास निगम तल्ख होकर लिखा कि ऐसे कार्यों के प्रति लापरवाही बरतने वाले दोषी अधिकारियों कर्मचारियों का पदनाम एव नाम सहित सात दिवस के भीतर मुख्यालय को प्रेषित करें ताकि उन पर कड़ी कार्यवाही की जा सके छग राज्य वन विकास निगम मुख्यालय के इस पत्र से पानाबरस परियोजना मण्डल में हड़कंप मच गया था जो सात माह गुजर जाने के पश्चात भी उक्त कार्यवाही को लेकर इसके बचाव के लिए संलिप्त अधिकारी कर्मचारी नाना प्रकार से प्रयासरत है हालांकि देखा यह जाता है कि अल्प समय मे ही अनेक अधिकारी कर्मचारी या तो सेवानिवृत्त हो जाते है या अन्यंत्र ट्रांसफर कर दिए जाते है तब आने वाले ऐसे अधिकारी कर्मचारियों की जान सांसत में फंस जाती है जब इस प्रकार का लेटर मुख्यालय से जारी होता है या यूं कहें कि "करे कोई और भरे कोई" की स्थिति निर्मित हो जाती है जबकि कारण बताओ नोटिस में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि ऐसे अधिकारी कर्मचारी जिनके कार्यकाल में जिनके द्वारा वृक्षारोपण अथवा प्लांटेशन किया गया था उनका पदनाम एव नाम प्रेषित करने कहा गया है पानाबरस परियोजना मंडल के कार्यालय में इस बात को लेकर भी चर्चा जोरों पर है कि एक कर्मचारी जो सेवानिवृत्त हो गया हो या अन्यंत्र पदस्थ कर दिया गया हो या रेंजर स्तर के अधिकारी जिसका वेतन ही हजारों में होता है वह लाखों की भरपाई मैनेज के नाम पर कैसे करेगा ? या तो फिर दूसरे मद में हेराफेरी या गड़बड़ी भ्रष्टाचार कर इसकी भरपाई करेगा या फिर व्यवस्थापन राशि मे गड़बड़ी कर मुख्यालय में बैठे अधिकारी कर्मचारियों को सैटिंग कर भरपाई करने का जतन करेगा दोनों ही परिस्थिति में गड़बड़ी या भ्रष्टाचार करने की अवस्था कई गुना बढ़ जाती है या फिर एक प्रकार से वन विकास निगम ही अधिकारी कर्मचारियों को भ्रष्टाचार, गड़बड़ी करने हेतु प्रोत्साहित करता है ताकि वे भ्रष्टाचार का ए बी सी वाले गुणाभाग में परिपक्व हो जाएं ? वहीं कुछ कर्मचारी यह चटकारे लेकर उवहास उड़ाने में पीछे नही हटते कि प्लांटेशन या वृक्षारोपण पश्चात मिलने वाली व्यवस्थापन राशि को परस्पर बांटने में "जियो और जीने दो की तर्ज पर" बड़ा आनंद मिलता रहा उस समय तो केवल रुपयों लेने और डकारने में मौज उड़ाते रहे जब हक़ीक़त सामने आई तो हाथ पांव फूलने लगे हालांकि कर्मचारियों का यह भी आरोप की प्लांटेशन की व्यवस्था राशि गड़बड़ी में ऊपर से नीचे तक सब का हिस्सा बंधा हुआ होता है परन्तु मैदानी अमला और प्रभारी यह भूल जाते है कि जांच होने पर उसकी स्वयं की कलम ही फंसी है बाकी अन्य की नही ? स्पष्ट करते चले कि मिलने वाली व्यवस्था राशि जो प्लांटेशन पश्चात किश्तों में जारी होती है जो प्रथम चरण में लागत राशि से आधी जैसे दस लाख के वृक्षारोपण कार्य सम्पन्न पश्चात प्रथम किश्त की राशि आधी यानी पांच लाख रुपये जारी होता है दूसरी किश्त में तीस प्रतिशत राशि तथा अंतिम किश्त की राशि पन्द्रह प्रतिशत होती है जो केवल वृक्षारोपण पश्चात जारी होता है वह भी तीन अथवा पांच वर्ष के अनुबंध अनुसार उपरोक्त राशि जारी होता है यह राशि प्लांटेशन या वृक्षारोपण क्षेत्र में रोपित पौधों के रख रखाव देखरेख,समय पर दवा खाद से उपचारित करना एव पौधों के मृत होने या क्षति होने पर कैज्युवल्टी के नाम पर पुनः पौधे रोपण करने राशि जारी होता है परन्तु अधिकारी कर्मचारी मिलने वाली उक्त व्यवस्थापन राशि का नाम मात्र उपयोग कर परस्पर बंदरबांट कर लेते है अब ताज़ा उदाहरण बारनवापारा परियोजना मण्डल के आरंग परिक्षेत्र के अंतर्गत लोहारडीह ग्राम के समीप को ही ले लिया जाए जहां वर्ष 2018 में 35 हेक्टेयर में कक्ष क्रमांक 848 ए में वृहद भूभाग पर 87500 सागौन प्लांटेशन किया गया जहां वर्तमान स्थिति देखने पर लगता ही नही की इतनी बड़ी संख्या में प्लांटेशन हुआ है यत्रतत्र कुछ स्थानों पर ही एक फीट से लेकर डेढ़ फीट के सागौन जो सिर्फ प्रकृति और भगवान के भरोसे स्वतः सर्वाइव कर रहे है उनका ग्रोथ इन दो वर्षों में इतना भी नही बढ़ा की जिसे देखकर यह कहा जा सके कि उक्त स्थल में गत दो वर्ष पूर्व सागौन प्लांटेशन किया गया वह भी प्लांटेशन रोपण कार्य प्राकृतिक वनों पर हिंसा कर समूल दोहन करने के पश्चात किया गया इसके लिए भी छग राज्य वन विकास निगम द्वारा प्लांटेशन पश्चात व्यवस्थापन राशि बकायदा जारी की गई परन्तु मौका स्थल के मुआयना पर ऐसा दृष्टिगोचर नही होता कि प्लांटेशन क्षेत्र में किसी प्रकार की व्यवस्था में सुधार की गई हो न ही उसमे गाला बनाया गया और न ही दवाखाद से उपचारित किया गया जिसकी वजह से कई पौधे मर गए और कुछ पौधे मरने की स्थिति में पहुंच गए उन्हें मिलने वाली समस्त व्यवस्थापन राशि परस्पर बंदरबांट कर लिया गया और प्लांटेशन भगवान भरोसे छोड़ दिया गया अब यदि सत्तर प्रतिशत भी सफल प्लांटेशन दृष्टिगत न हो तो ऐसे संलिप्त अधिकारी कर्मचारीयों पर तो कार्यवाही करने का अधिकार छग राज्य वन विकास निगम का तो बनता है ऐसे बिगड़े और औसत से कम मात्रा वाले प्लान्टेशनों की सुध " देर आयद दुरुस्त आयद की " उक्ति पर यदि छग वन विकास निगम ले रहा है तो यह बहुत ही सराहनीय कदम है परन्तु देखा गया है कि कारण बताओ नोटिस के बाद उच्च अधिकारी संलिप्त अधिकारीयों से एक समझौते के तहत एक बड़ी राशि स्वयं लेकर नाममात्र अल्प राशि का वसूली कर फाइन लगाकर इन्हें बख्श देते है जो वन विकास निगम के प्रति सौपे गए दायित्वों और कर्तव्यों का हनन है ऐसे अधिकारी भी बराबर के दोषी वाले श्रेणी में आते है जो अधिकारी कर्मचारियों को आर्थिक मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के जवाबदेह है ऐसे भ्रष्ट उच्च अधिकारीयों पर पीड़ित कर्मचारी विधिक सहायता लेकर वैधानिक कार्यवाही का दरवाजा खटखटा सकते है परन्तु जो स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त हो वह ऐसे विधिक कार्यवाही करने में खुद को असहाय महसूस करता है जिसका लाभ ऊपर बैठे अधिकारी कर्मचारी पूरी तरह से उठते है बहरहाल, भ्रष्ट संलिप्त अधिकारी कर्मचारियों से छग राज्य वन विकास निगम यदि इस तरह की भरपाई के लिए एक सार्थक कदम उठता है तो यह एक सराहनीय कदम है जो भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी साबित होगा वही जो अधिकारी व्यवस्था के विरुद्ध जाकर संलिप्त अधिकारी कर्मचारी को मानसिक शारीरिक प्रताड़ना देता है तो इन पर भी कठोर वन अधिनियम के तहत कार्यवाही सुनिश्चित किया जाना चाहिए यह तब ही संभव है जब उच्च स्तर पर बैठे कर्मचारी न्यायसंगत कार्यप्रणाली के तहत ईमानदारी और निष्ठा पूर्वक कार्य करेंगे अन्यथा परिस्थिति यथावत पूर्ववत रही तो भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुके छग वन विकास निगम में ताला लगने से कोई रोक नही सकता फिर बाद में छग राज्य वन विकास निगम का नाम सिर्फ इतिहास के पन्नो में ही सिमट कर रह जाएगा इसके लिए प्रदेश में नई कांग्रेस की सरकार बैठी है जहां वन मंत्री के रूप में मोहम्मद अकबर जैसे कद्दावर मंत्री भी है जो इस ओर सार्थक पहल कर सकते है