इश्क़ के जुनून ने दो प्रेमियों को सात समंदर पार मिलाया
सोहम की सादगी देख अमेरिका में रहने वाली रेने अपना दिल दे बैठी। उनकी मुलाकात इंटरनेट पर हुई और इसी प्लेटफॉर्म पर उनका प्यार परवान चढ़ता रहा। वे बातें करते अपनी भावनाएं व सोच साझा करते हुए एक-दूजे के करीब आए। इस रिश्ते को अंजाम तक पहुंचाने उन्हें आठ साल लग गए। आखिरकार रेने सात समुंदर पार से कोरबा आई और सोहम के साथ आर्य मंदिर में वैदिक रीति-रिवाज के साथ परिणय सूत्र में बंधे और दाम्पत्य जीवन में प्रवेश किया।कहते हैं कि प्यार की बोली रंग और भाषा की मोहताज नहीं होती। शारदा विहार में रहने वाले सोहम सरकार व अमेरिका के एलेवामा की दाना रेने पाटिन का मर्ज भी कुछ ऐसा ही था, जो बिना एक दूसरे को देखे-मिले ही दिल दे बैठे। सोहम बाल्को में काम करते हैं।सोहम के एक मित्र अमेरिका में ही रहते हैं और रेने उन्हीं की पड़ोसी है। उस दोस्त के माध्यम से रेने भी सोशल साइट्स पर सोहम से कनेक्ट हुईं और दोस्ती गहरी होने के साथ उनके बीच एक नया रिश्ता गहराता चला गया। आठ साल लगातार हुई चेटिंग के प्लेटफॉर्म ने उन्हें एक-दूसरे को समझने में अहम भूमिका निभाई, जिसने उन्हें करीब लाने अहम भूमिका निभाई और इस तरह उनके बीच इंटरनेट पर चेटिंग का सिलसिला चल पड़ा। आठ साल चेटिंग के जरिए एक-दूसरे को समझने और जानने के बाद दोनों ने एक होने का फैसला कर लिया और 20 फरवरी तक वीजा लेकर भारत आई रेने ने हिंदू रीति से सोहम के संग सात फेरे लिए।
अपना अनुभव साझा करते हुए रेने ने बताया कि उनके लिए शादी होने तक यहां निभाया गया हर रिवाज उत्सुकता भरा था। पहले हल्दी लगाने की रस्म फिर मेहंदी और खासकर पिता का अपनी कन्या का हाथ वर के हाथ में देने की परंपरा ने उन्हें बहुत रोमांचित किया।
उन्होंने बताया कि रस्में निभाने थोड़ी कठिनाई तो हुई, लेकिन उनके पीछे छुपे गूढ़ बातों को जान कर काफी अच्छा लग रहा था। रेने का वीजा 20 फरवरी तक का है, लिहाजा वे इससे पहले अमेरिका लौटकर वहीं अपने नए जीवन की शुरुआत करेंगे।
वीडियो कॉल से रूबरू हुए दोनों परिवार
रेने अपने माता-पिता के साथ एलेवामा में रहती हैं। जब उसने अपने व सोहम के रिश्ते के बारे में बात की, तो वे अपनी बेटी की खुशी के लिए पहले ही राजी हो चुके थे। सोहम के माता-पिता वीडियो कॉल के जरिए रेने व उसके परिवार से रूबरू हुए। सोहम से उनकी मां ने खुद पूछा था कि उसके मन में क्या है? जब सोहम ने अपने रिश्ते को लेकर गंभीरता बताई, तो वे भी अपने बेटे के लिए खुशी-खुशी राजी हो गईं और अब अपने परिवारों की रजामंदी से एक होकर एक नए जीवन की शुरुआत की है।