पत्रकारों के अधिकारों का हनन...
जिला जन संपर्क विभाग में नियमित,अनियमित का खेल.. पैसे लेकर नियमित प्रमाण पत्र जारी कर रहे है बड़े बाबू..
फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़
रायपुर छग शासन पत्रकारों के सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक कल्याण के लिए एक ओर पत्रकार सुरक्षा कानून लागू कर उनके आर्थिक प्रगति एव सामाजिक सुरक्षा का मार्ग प्रशस्त कर बीमा सहित वरिष्ठ पत्रकारों को मिलने वाली आर्थिक वजीफा में इजाफा कर नाना प्रकार का जतन कर रही है वही दूसरी ओर शासन का रायपुर जिला जनसंपर्क विभाग पत्रकारों के अधिकारों का हनन करने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहा है रायपुर जिला जन संपर्क विभाग में बैठे बड़े बाबू अनिल सिंह एवं तृतीय वर्ग पटेल नामक कर्मचारी द्वारा लगातार नियमित प्रमाण पत्र जारी करने के नाम पर एक बड़ा खेल खेला जा रहा है जिसकी वजह से जिले के पत्रकार मानसिक,शारीरिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित हो रहे है
ज्ञातव्य हो कि रायपुर जिला जनसंपर्क विभाग में जिला रायपुर से समयावधि नियमित प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र पत्रिकाओं को प्रकाशकों द्वारा जमा कराना होता है जिसके एवज में जिला जनसंपर्क विभाग नियमित प्रमाण पत्र जारी करता है इसी के आधार पर सरकारी एजेंसी छग संवाद एव जन संपर्क विभाग विज्ञापन जारी करता है परन्तु रायपुर जिला जन संपर्क कार्यालय में बैठे बड़े बाबू अनिल सिंह एव तृतीय श्रेणी कर्मचारी पटेल द्वारा अधिकांश साप्ताहिक,पाक्षिक एवं मासिक पत्र पत्रिकाओं के प्रकाशकों से कोरोना काल मे देर सबेर प्रति जमा करने की वजह से उनके पत्र पत्रिकाओं को अनियमित सूची में डाल कर हजारों रुपये लेकर नियमित प्रमाणपत्र जारी कर रहे है जबकि पीड़ित पत्रकारों द्वारा यह बताया गया कि उसके द्वारा नियमित पत्र, पत्रिका छोड़ने के बावजूद उसे नियमित रजिस्टर में दर्ज नही किया गया और न ही उनकी पत्र पत्रिका जन संपर्क विभाग से कहां गया यह भी बताया नही जा रहा है जबकि उनके द्वारा नियमित निकलने वाली कॉपी दिखाया गया जिसे देखकर उपस्थित बड़े बाबू अनिल सिंह का कथन कि देर सबेर जमा होने वाली पत्र पत्रिकाओं का रजिस्टर में नियमित सूची में अंक जमा नही हो पाता जिसकी वजह से प्रति माह पांच तारीख को सूची नया रायपुर के जन संपर्क विभाग और छग संवाद भेज दिया जाता है बाद में ऐसी विकट परिस्थिति निर्मित होती है जबकि नियमानुसार जिले भर से देर से जमा होने वाली पत्र पत्रिका का रजिस्टर में समायोजन कर अंकित करना उनका मूल कार्य है न कि समयावधि में जमा न होने पर पत्र पत्रिकाओं के नाम को संपूर्ण रजिस्टर में विलोपित कर उन्हें अनियमित श्रेणी में डालना एक सोची समझी रणनीति के तहत की जा रही है जिसकी वजह से प्रकाशकों के समक्ष एक बड़ी समस्या खड़ी हो और उनसे मुंह मांगी रकम वसूली जा सके बताया तो यह भी जा रहा है कि जिला जनसंपर्क विभाग में जमा की गई समस्त पत्र पत्रिकाओं को ही यहां से गायब कर दिया गया जिसकी सूक्ष्मता से पड़ताल की जानी चाहिए गायब पत्र पत्रिकाओं के आधार पर बड़े बाबू अनिल सिंह एव तृतीय वर्ग कर्मचारी प्रकाशकों से नियमित प्रमाण पत्र जारी करने के एवज में हजारों रुपये लेकर नियमित प्रमाणपत्र जारी कर रहे है अनेकों प्रकाशक द्वारा यह भी बताया गया है कि पत्र पत्रिका जमा कराने के पश्चात रिसीव लेने पर एक सील मुहर रख दिया गया है तथा जिसे स्वयं जमाकर्ता द्वारा सील मुहर लगाकर उस पर भी किसी कर्मचारी द्वारा हस्ताक्षर नही किया जा रहा है जिससे नियमित प्रकाशन एवं उसके जमा किए जाने की संपूर्ण विश्वसनीयता समाप्त हो जाती है तथा रजिस्टर में भी उनके द्वारा पत्र पत्रिकाओं को दर्ज नही किया जाता है इस सब के पीछे अनिल सिंह बड़े बाबू का मत है यह सब कोरोना से सुरक्षा के दृष्टिकोण किया जा रहा है जबकि कोरोना की आड़ में जनसंपर्क विभाग में प्रकाशकों से पैसे ऐंठने का सुनियोजित बड़ा खेल खेला जा रहा है ज्ञात तो यह भी हुआ है कि ऐसे कई पत्र पत्रिका जिनका लंबे समय से प्रकाशन पूर्णतः बंद था उन्हें भी नियमित प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया तथा वे बकायदा जनसंपर्क एव संवाद से विज्ञापन के पात्र बन गए वही नियमित प्रकाशकों को नियमित रजिस्टर सूची में अनियमित दर्शाकर उन्हें नियमित श्रेणी से बाहर कर दिया गया इस सन्दर्भ में मुख्यमंत्री रायपुर कलेक्टर सहित जनसंपर्क आयुक्त को पत्र लिख कर वस्तुस्थिति से अवगत करा जांच एवं दोषी कर्मचारियों पर कार्यवाही की मांग की जाएगी साथ ही सूचना के अधिकार 2005 के तहत वर्ष 2019 से लेकर अक्टूबर 2020 तक के नियमित जमा होने वाले पत्र पत्रिकाओं के मुख पृष्ठ की सत्यापित छायाप्रति मांगी जाएगी ताकि रायपुर जिला जन संपर्क विभाग में हो रहे नियमित अनियमित के भ्रष्ट खेल का भंडाफोड़ हो सके