लावारिश शव को सम्मान पूर्वक मोक्ष मार्ग प्रशस्त करने वाली संस्था को नही मिल रहा शासन प्रशासन का सहयोग- मेकाहारा में बैठने को जगह नही, आर्थिक तंगी भी

 


लावारिश शव को सम्मान पूर्वक मोक्ष मार्ग प्रशस्त करने वाली संस्था को नही मिल रहा शासन प्रशासन का सहयोग- मेकाहारा में बैठने को जगह नही, आर्थिक तंगी भी



फ़ॉरेस्ट क्राइम न्यूज़/अल्ताफ हुसैन 


रायपुर सामाजिक सरोकार एवं मानव सेवा की दृष्टिकोण से अनेक जन कल्याणकारी संस्थाएं प्रदेश भर में संचालित है खाना खिलाने से लेकर ठंड में सोते हुए गरीब को चादर ओड़ाने और निर्धन परिवार के बच्चों को शिक्षा के माध्यम से कॉपी पुस्तक वितरण तक अनेकों संस्थाओं को कार्य करते देखा है और समाचार पत्रों की हेडिंग बनते भी देखा गया है परन्तु अमूमन देखा यह भी गया है कि किसी संस्था को लावारिस शव का कफ़न दफन की बात करें तो वह अपना नाक मुंह सिकोड़ कर मुंह दूसरी ओर मोड़ लेता है परन्तु राजधानी रायपुर में मोक्ष श्रद्धांजलि सेवा संस्थान नामक एक ऐसी भी संस्था है जो लावारिस शव,कटे फ़टे,जले विभत्स दुर्घटना ग्रस्त लाशों का कफ़न दफन कर मृत आत्मा को सम्मान देते है बदले में उन्हें शासन प्रशासन से सहयोग के नाम पर उपेक्षा और परिहास का सामना करना पड़ता है अब तक 2400 से ऊपर लावारिश शव का ससम्मान कफ़न दफन करने वाली स्वयं सेवी मोक्ष श्रद्धांजलि सेवा संस्थान राजधानी रायपुर के मेकाहारा मरचुरी के सामने टेबल कुर्सी लगाकर लावारिश शव का सम्मान पूर्वक कफ़न दफन करने का कार्य विगत 2013 से करती आ रही है



इसके एवज में परितोष के रूप में उन्हें अस्पताल परिसर से मेकाहारा प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने उक्त स्थल से हटाने का फरमान जारी कर दिया और वे अब भी मेकाहारा में घूम कर पुनीत कर्म को अंजाम दे रहे है फिर भी संस्था को कहीं न कहीं राजनीति का शिकार होना पड़ता है मोक्ष श्रद्धांजलि सेवा संस्थान के अध्यक्ष सैय्यद ज़मीर अली एवं ओम प्रकाश मिश्रा ने बताया कि पूर्ववर्ती जोगी शासन काल मे स्व अजीत प्रमोद कुमार जोगी ने उन्हें ग्राम जोरा के समीप 100 डिसमिल भूमि लावारिश शव के ससम्मान कफ़न दफन हेतु प्रदान की थी तो वही स्व.जोगी जी के मृत्यु पूर्व उनके ही प्रयास से लगभग 80 डिसमिल अतिरिक्त भूमि मिली जिसमे संस्था द्वारा लगभग 2400 से ऊपर शव का ससम्मान कफ़न दफन कार्य किया गया इसके एवज में संस्था को मात्र पांच सौ रुपये संबंधित पुलिस थाना से प्रदाय किया जाता है जो आवागमन एवं गड्ढा खोदने वाले मजदूर ही में समाप्त हो जाता है न ही उन्हें कफ़न मिलता है और न ही आवागमन हेतु किसी प्रकार की बढ़ी हुई राशि मिलती है आर्थिक तंगी से जूझती उक्त मोक्ष श्रध्दांजलि सेवा संस्थान को शव दफन कार्य करते हुए लगभग सात वर्ष हो चुके है उन्होंने बताया कि संस्थान, राजधानी में ,2013 से संचालित है एवं लगभग 2400 से ऊपर लावारिश शव का क्रियाकर्म कफ़न दफन कर चुके है उन्होंने बताया कि अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की उपेक्षा के चलते उन्हें बैठने का स्थान नही है यही वजह है कि हालिया एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि वर्ष ऋतु में बारिश में डेढ़ घण्टे तक शव बाहर भीगता रहा जिसे लेकर समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में सुर्खियां बनी रही यदि प्रशासन शासन की ओर से हमे एक शेड बना कर दिया जाता तो यह परिस्थिति निर्मित नही होती अर्थात शासन प्रशासन से किसी प्रकार का कोई सहयोग नही मिलता जिसकी वजह से संस्था से जुड़े कुछ लोग संस्थान से पलायन कर चुके है फिर भी हमारे द्वारा उक्त कार्य को बंद नही किया गया



अध्य्क्ष सैय्यद ज़मीर अली एव वित्त प्रभारी ओम प्रकाश मिश्रा ने बताया कि इसी वर्षा काल मे खोदे गए गड्ढों में पानी भर गया था जिसे भी हमे ही निकलना पड़ता है ऐसे पुनीत कार्य को लेकर कोई सामाजिक संस्था या शासकीय लाभ मिलने की बजाए उल्टे एक सी एस पी द्वारा यह कथन की प्रेस मीडिया को यह सब बातें क्यों बताया जाता है, उन्होंने बताया कि मेकाहारा फोरेंसिंग डिपार्टमेंट कफ़न,पैकिंग कर दे देती है,, बाकी गड्ढा खुदाई मजदूर,, सब का खर्च वहन संस्था को ही करना पड़ता है इसकी भरपाई कैसे होती है पूछने पर उन्होंने बताया कि ऐसे कई शव जो जिन्हें, छग से बाहर ले जाने पर चार गाड़ी संस्था से जुड़ी थी जिसके किराया से संस्था संचालित किया जाता था वर्तमान में सर छुपाने के लिए जगह नही है वही उन्होंने बताया कि छग राज्य में लावारिस शव कफ़न दफन के लिए नाम मात्र शुल्क पुलिस विभाग द्वारा जारी किया जाता है जबकि राजस्थान शासन द्वारा प्रति शव के निष्पादन में 5000 रुपये राशि वहां की संस्थानों को दिया जाता है



अध्यक्ष सैय्यद ज़मीर अली एवं ओम प्रकाश मिश्रा ने बताया कि पूरे रायपुर संभाग के थाना अधिकारी से पूछने पर वह मोक्ष श्रद्धांजलि संस्थान का नाम लेता है परन्तु शासन के असहयोग रवैय्ये से वे और संस्थान पूरी तरह से त्रस्त एवं उपेक्षित है लावारिश शव के अंतिम क्रियाकर्म के बारे में उन्हीने कहा कि यदि डेड बॉडी की धार्मिक पहचान होती है तो उसे 



 वे धार्मिक रीति रिवाज अनुसार उसका अंतिम संस्कार करते है तथा लावारिस अज्ञात शव होने पर शासन के निर्देशानुसार उसका दफन ही किया जाता है यदि समाज के लोग सामने आए और शव की शिनाख्त करे तो उन्हें बॉडी देने में कोई परहेज नही है उन्होंने परिहास उड़ाने का एक घटना का और जिक्र करते हुए यहां तक बताया कि रायपुर शहर के मेयर एजाज़ ढेबर से जब कफ़न दफन को लेकर आर्थिक सहयोग के लिए चर्चा की गई तो उनका कथन कि मैं भी धार्मिक कार्य करता हूँ आप लोगों के पास पैसे हो तो मुझे दीजिए जब शहर का प्रथम नागरिक ही ऐसे शब्द बोले तो फिर किसी से और क्या अपेक्षा की जा सकती है फिर भी सैय्यद ज़मीर अली एव वित्त प्रबंधक ओम प्रकाश मिश्रा का कथन कि जब तक शरीर मे जान है हम अंतिम सांस तक यह पुनीत कर्म करते रहेंगे उन्होंने आगे बताया कि इस संदर्भ में प्रदेश के सभी विधायक गण को अवगत कराते हुए पत्र लिखा गया है ताकि मानवीय दृष्टिकोण से उनका सहयोग प्राप्त हो सके यदि कोई व्यक्ति समाज अपना बहुमूल्य योगदान देना चाहे तो संस्था के वित्त प्रभारी ओम प्रकाश मिश्रा के 916261561877 व्हाट्सएप नम्बर पर संपर्क कर सकते है