वन विकास निगम के नव पदस्थ अध्यक्ष के समर्थकों के खानपान का बिल पचास हजार से ऊपर मैनेज के लिए अधिकारियों का छूटा पसीना
रायपुर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के समीप स्थित वन श्री रेस्ट हाउस इन दिनों चर्चा में है इसकी वजह यहां विशेष अतिथियों के ठहरने को लेकर नही बल्कि विशेष अतिथि के समर्थकों की वजह से है जो दारू मुर्गा सहित ऐसे मांग जो प्रतिदिन ही खानपान एव दारू की वजह से संबंधित विभाग को हजारों का चूना लग रहा है परन्तु समर्थक है कि उनकी मांग कम होने का नाम ही नही ले रहा है और मिलने वाले बिल ने भी अधिकारियों और कर्मचारियों के माथे पर पसीना ला दिया जिससे अब बात बाहर निकलनी शुरू हो गई है आधिकारिक तौर पर मिले पुष्ट समाचार के अनुसार वन विकास निगम में बसना विधायक देवेंद्र बहादुर सिंह नव नियुक्त अध्यक्ष पद पर कांग्रेस पार्टी ने नियुक्त किया स्थानीय तौर पर उन्हें किसी प्रकार का आवास आबंटित नही किया गया है जिसके चलते उन्हें जोरा स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के समीप वन श्री रेस्ट हाउस में कमरा आबंटित किया गया है जहां पर शपथ ग्रहण के पश्चात ही उनका वहां आवागमन अनवरत जारी है वह भी अकेले नही बल्कि पूरे लाव लश्कर के साथ लगभग आधा दर्जन से ऊपर समर्थक भी रेस्ट हाउस में पहुंचते है और खानपान के अलावा दारू मुर्गा की पृथक मांग कर पार्टी मना रहे है जिससे निगम अधिकारियों को राशि मैनेज करने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है ज्ञात हुआ है कि खानपान दारू मुर्गा में अब तक पचास हजार से ऊपर बिल बन चुका है भुगतान समस्या को लेकर अधिकारी,कर्मचारी, हाथ पैर मार रहे है कि इसे कहां मैनेज किया जाए ? वही समर्थक है कि नए नए फरमाइश और मांग करने में तनिक भी कोताही नही बरत रहे है समर्थकों में तो यह भी ज्ञात हुआ है कि बकायदा एक पत्रकार महोदय भी दारू मुर्गा की मांग करने में तनिक भी नही झिझक रहे है और बिल का ग्राफ है कि धीरे धीरे कोरोना मरीज के ग्राफ की भांति बढ़ता ही जा रहा है उल्लेखनीय है कि वन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष श्री निवास राव मद्दी जब उनकी वन विकास निगम में नव पदस्थापना हुई थी तब कांकेर स्थित सम्मेलन में अपने सौ डेढ़ सौ समर्थकों को लेकर स्थानीय डी एफ ओ को उनके खानपान और पार्टी का जिम्मा सौंपा गया तब डी एफ ओ महोदय ने स्पष्ट उनका आदेश न मानते हुए यह कह कर हाथ खड़ा कर दिया कि इतने लोगों के खानपान पार्टी का बजट नही है चाहे तो आप मेरे ऊपर जो भी कार्यवाही करना है कर लिजिए ? मैं कहां से इतने लोगों का मैनेज करूंगा ? और एक प्रकार से डी एफ ओ महोदय का कथन भी सौ फीसदी सत्य था क्योंकि विधायक अथवा नव नियुक्त अध्यक्ष बनने पर समर्थक अति उत्साहित होकर उस विभाग पर ऐसे रौब डालते है जैसे वे स्वयं अध्यक्ष पदस्थ कर दिए गए हो फिर हर जायज नाजायज मांग दारू मुर्गा नाच गाना सब शुरू हो जाता है और अध्य्क्ष अपने समर्थकों को नाराज नही करना चाहते इसलिए विभागीय अधिकारी कर्मचारियों को सब मांग पूरी करने कहते है जिससे विभाग का अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ जाता है जिसे इन्ही अधिकारी कर्मचारियों को मैनेज करना होता है अब वन विकास निगम के नव नियुक्त अध्यक्ष देवेंद्र बहादुर सिंह के समर्थक भी उसी लय पर चल रहे है तब स्वभाविक है निगम अधिकारियों कर्मचारियों के समक्ष समस्या उत्पन्न होगी है ऐसे में ये कहां से राशि मैनेज करेंगे इतना भान तो नव पदस्थ अध्यक्ष महोदय को तो होना ही चाहिए ,,,फिलहाल अध्यक्ष महोदय तो अपने समर्थकों के साथ वापस अपने क्षेत्र चले गए है परन्तु निगम अधिकारी कर्मचारी वन श्री का पचास हजार से ऊपर का बिल पटाने की जुगत में लगे हुए है कि इसे कहां से मैनेज किया जाए ?