सावधान....गौण खनिज रेत , फर्शी के लगातार दोहन से भूस्खलन और भूकंप का खतरा बढ़ा पारागांव,मूढ़ेना, घोडारी, को सर्वाधिक खतरा ..तत्काल फर्शी ख़दान पर रोक लगाना जरूरी
फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़/अलताफ हुसैन
रायपुर कोरोना काल किसी के लिए मुसीबत बन कर आया है तो किसी के लिए सोने का अंडा देने वाला समय बन गया है वह इसलिए कि सरकार के प्रशासनिक अधिकारी कोविड 19 महामारी को नियंत्रण करने भिन्न भिन्न प्रकार से जतन करने में लगे है तो वही अवैध कार्यों में लिप्त लोगों के लिए यह स्वर्णिम अवसर बनता जा रहा है नशे के कारोबार से जुड़े अपराधी पड़ोसी राज्यों से सोना,चांदी,नगदी सहित गांजा चरस, एव अन्य मादक पदार्थ परिवहन करने में मस्त है तो स्थानीय ग्राम के ग्रामीण क्षेत्र से गौण खनिज का अवैध उत्खनन कर अपनी जेब गर्म करने में लगे है न ही इन्हें किसी विभागीय अधिकारियों का डर है और न ही किसी प्रकार के कानूनी कार्यवाही होने का खौफ है इसके पीछे की वजह यह ज्ञात हुआ है कि मंत्रियों से लेकर अधिकारियों तक को एक बड़ा हिस्सा पहुंचा दिया गया है अब प्रदेश के रायपुर,महासमुंद जिला के महानदी से रेत उत्खनन हो या अवैध मुरुम गिट्टी फर्शी पत्थर का खनन हो इससे उन्हें कोई फर्क नही पड़ता मीडिया लाख इनके विरुद्ध आवाज बुलंद करे लेकिन खनिज विभाग सहित अन्य विभाग के अधिकारी अपना हिस्सा लेकर अब आंख मूंद कर कुंभकर्णीय नींद सो गए है
आए दिन समाचार पत्रों के माध्यम से प्रदेश के रायपुर एव महासमुंद जिले के किनारे बसे ग्रामींण क्षेत्र से गुजरती महानदी किनारे बसे ग्राम के ग्रामीणों द्वारा बेखौफ होकर एक बड़े हिस्से से अवैध रेत खनन अनवरत जारी होने के समाचार प्रकाशित हो रहे है यही नही रेत उत्खनन को लेकर जनप्रतिनिधियों सहित पत्रकारों पर भी हमलों की छुटपुट घटानाएं जन मानस के समक्ष आ चुकी है फिर भी शासन प्रशासन स्तर पर इस पर कोई नकेल नही कसी जा सकी है उल्टे अवैध उत्खनन मामले में समाचार संकलन को गए पत्रकारों को इनके अभद्रता का शिकार होना भी ज्ञात हुआ है इससे मालूम होता है कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने और खनिज विभाग में बैठे प्रशासनिक अधिकारियों ने ऐसे अवैध उत्खनन कर्ताओं को मुक्त हस्त छूट दे रखी हो और नियम कानून कायदा सब इनके जेब मे रख दिया गया हो यही वजह है कि वर्षाकाल में उत्खनन प्रतिबंधित होने के बावजूद गौण खनिज रेत, मुरुम फर्शी पत्थरों का अवैध खनन अब भी बदस्तूर जारी है और खनिज विभाग के संबंधित अधिकारी कान में तेल डाल कर बैठ इन अवैध उत्खनन कर्ताओं पर किसी भी प्रकार की कोई ठोस कार्यवाही अब तक नही कर रहे है
ऐसा ही उत्खनन का मामला आरंग के समीप स्थित पारा गांव के समीप गुजरती महानदी तट पर देखने को मिला जहां भरी दोपहर में पांच दर्जन से उपर ट्रेक्टर ट्राली में लगभग सैकड़ों मजदूरों के सहयोग से रेत खनन कर परिवहन करते आसानी से देखा जा सकता है जब मौका स्थल पर जाकर पतासाजी की गई तो रेत उत्खनन करने वाले मजदूरों के पास न ही किसी प्रकार का कोई ट्रांसपोर्टिंग परमिट था और न ही खनिज विभाग से जारी होने वाला कोई पीट पास जारी करवाया गया था एक प्रकार से सैकड़ों ट्रेक्टर ट्राली रेत का अवैध परिवहन किया जा रहा था यह स्थिति यही नही बल्कि नदी किनारे बसे समस्त ग्रामवासियों द्वारा अवैध कृत्य में संलिप्तता बताई गई है सिरपुर जैसे संरक्षित क्षेत्र में भी यही स्थिति दृष्टिगोचर हो रही है जहां पर भी 300 ग्रामीणों द्वारा सैकड़ों ट्रेक्टर में रेत परिवहन कर लक्ष्मण मंदिर शिव मंदिर के समीप ग्राम क्षेत्र सड़क में अवैध रेत डंप कर हाइवा ट्रक में प्रदेश सहित उड़ीसा,एव महाराष्ट्र तक ओवरलोड करके सप्लाई की जा रही है सवाल तो यह भी उठाया जा रहा है कि राजधानी से परिवहन होने वाली बड़ी हाइवा डंपर गाड़ियों पर क्या किसी भी विभाग अथवा यातायात कर्मचारीयों की नज़र नही पड़ती जो इन ओवरलोड गाड़ियों पर कार्यवाही करे ? क्या केवल आम जनता ही चालान काटने के लिए इन कर्मचारियों के निशाने पर रहते है ? इससे भान होता है कि एक सोची समझी रणनीति के तहत उक्त अवैध रेत खनन कर अन्य प्रदेशों में परिवहन किया जा रहा है जबकि राज्य के पदस्थ मंत्री संसदीय सचिव एव जनप्रतिनिधियों सहित अनेक बड़े अधिकारियों का गुजर कथित क्षेत्रों से होता है परन्तु किसी भी जनप्रतिनिधि एव अधिकारी में इतनी हिम्मत नही कि इस अवैध कृत्य पर कोई कानूनी कार्यवाही के आदेश दे जबकि कार्यरत मजदूरों से इस संदर्भ में और जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि हमारी सैटिंग स्थानीय विधायक से लेकर मंत्री और खनिज विभाग और संबंधित अन्य सभी अधिकारियों तक है तुम्हे जो लिखना है लिख दो.. बताते चले कि गौण खनिज उत्खनन मामले में स्थानीय ग्राम के सरपंच एव पंचायत की विशेष भूमिका होती है वही तय करते है कि क्षेत्र से गौण खनिज का दोहन करने हेतु लीज पर भूमि देना है अथवा नही इसके बदले में गौण खनिज कर्ता द्वारा ग्राम पंचायत को बड़ी रकम के रूप में रॉयल्टी प्रदान करते है जिससे उक्त राशि का ग्राम विकास में उपयोग किया जाना होता है परन्तु ऐसे गौण खनिज खनन हेतु एक निर्धारित मापदंड घन मीटर मानक तक खनन किए जाने हेतु अनुमति एवं एन ओ सी दी जाती है उसके हिसाब से ही खनन किया जाना सुनिश्चित होता है परन्तु देखा यह जाता है कि निर्धारित घनमीटर से कई गुना अधिक घनमीटर अवैध खनन कर शासन के राजस्व को क्षति पहुंचाई जाती है जिसमे ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों को भी इसका अतिरिक्त लाभ मिलता है वही संरक्षित सिरपुर में तो आसपास के सैकड़ों महिला पुरुष को डेढ़ सौ रुपये की मजदूरी तय की गई है
जहां पर सरपंच का एक प्रतिनिधि टोकन के माध्यम से ट्रेक्टर ट्राली से रेत परिवहन करवाता है पूछने पर उसने बताया कि रेत स्थानीय ग्रामीण स्वयं के उपयोग के लिए कर रहे है जबकि सिरपुर ग्राम पंचायत में इतना अधिक कोई निर्माण कार्य नही दिखाई दिया जहां सैकड़ों ट्रक रेती की दरकार हो इस संदर्भ में ग्राम पंचायत के सरपंच से जब अवैध खनन को लेकर चर्चा की गई तब उसका कथन कि क्षेत्र में उत्पाती गजदल द्वारा फसल को नुकसान किया जाता है उसकी सुरक्षा के लिए ग्रामीण रेत खनन में कार्यरत है जिन्हें डेढ़ सौ रुपये रोजी दी जाती है इससे ये फसल बचाने डी आईं तार से बैटरी चलित विधुत फेंसिंग कराते है जबकि संपूर्ण क्षेत्र में बैटरी चलित विद्युत तारों की फैंसिंग पूर्व में ही किया जा चुका था तो फिर पंचायतों में ग्राम विकास हेतु लाखों की राशि कहां उपयोग की जाती है यह जांच का विषय है वही गौठान निर्माण के बारे में पूछने पर सरपंच का कथन की उसे फॉरेस्ट विभाग द्वारा निर्माण किया जाएगा अब यह हास्यास्पद विषय है कि वन विभाग,अधिकारियों, कर्मचारियों के समक्ष यही एक कार्य करना शेष रह गया था कि वनों की सुरक्षा छोड़ कर अब वे गौठान निर्माण कराते रहे ? जबकि यह उनका कार्य क्षेत्र भी नही है फिलहाल ग्राम सरपंच द्वारा ऐसा बयान देना हास्यस्पद लगता है बताते चलें कि ग्राम पंचायतों को 14 वें वित्त योजना के अंतर्गत शौचालय निर्माण एव प्रधान मंत्री आवास योजना अंतर्गत मई माह में लगभग दस लाख रुपये जारी किए गए थे वही उपरोक्त योजना के लगभग 552 करोड़ 80 लाख रुपये राशि प्रदेश के लगभग साढ़े पांच हजार ग्राम पंचायतों को जारी हो चुकी है फिर भी ग्राम सरपंच राशि न मिलने का रुदाली रोना रोकर अन्य दूसरे अवैध खनन कार्यों में अपना पूरा ध्यान केंद्रित करके रखे हुए है तथा उक्त खनन राशि का भी ग्राम पंचायत में कोई विकास कार्य नही हो रहा है जैसा की ग्राम सरपंच द्वारा गौण खनिज उत्खनन से प्राप्त रॉयल्टी एव खनिज मद से विकास किया जाना बताया जाता है दिनांक 22 सितंबर को हाल ही समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार की माने तो स्थानीय विधायक धनेंद्र साहू की अनुशंसा पर आरंग क्षेत्र के लिए जिला खनिज न्यास निधि से स्कूल,सभा भवन, और शेड के लिए तीन करोड़ बीस लाख रुपये आरंग ब्लॉक पंचायतों हेतु स्वीकृत किए गए जो राष्ट्रीय ग्रामीण मिशन से जुड़े महिला समूह के कार्य स्थल शेड, भवन, स्कूल में प्रार्थना शेड,मध्यान्ह भोजन शेड,पेवर्स ब्लॉक फ्लोरिंग इत्यादि के लिए प्रदान किया गया है जब यह राशि खनिज न्यास निधि से जारी किए गए है तो फिर ग्राम पंचायतों को मिलने वाली गौण खनिज रेत,मुरुम फर्शी,इत्यादि की रॉयल्टी की राशि जो सरपंच को मिलती है वह कहां जाती है ? यही स्थिति फर्शी खनन को लेकर भी सामने आई है जहां सुरक्षा और पर्यावरण दृष्टिकोण से जारी समस्त गाइड लाइन को अनदेखा कर फर्शी खनन किया जा रहा है ग्राम पंचायत की एन ओ सी की अनुशंसा पर ही इन्हें लंबे समय तक लीज पर भूमि आबंटित होती है खदान अथवा माइंस, यदि वन विभाग क्षेत्र अंतर्गत है तो वहां से भी एन ओ सी लेनी होती है यदि खदान वन क्षेत्रों में है तथा खदान के लगाने से पेड़ पौधों को क्षति पहुंचने की दशा में एवं खदान से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ, द्रव्य,राख कण, यदि पेड़ पौधों,वातावरण एवं मानव वन प्राणियों के स्वस्थ्य को प्रदूषण के माध्यम से क्षति पहुंचाने की दशा में वन विभाग सहित पर्यावरण विभाग से भी एन ओ सी लेना अनिवार्यतः हो जाता है यही नही राजस्व विभाग के अंतर्गत आने वाले खदान माइंस की वह स्थिति जिसके उत्खनन से ग्राम क्षेत्र के ग्रामीणों के स्वास्थ्य,प्राण,जीवन यापन, में विपरीत दुष्प्रभाव उत्प्न्न वाली परिस्थिति में खदान अथवा माइंस को हरगिज प्रारंभ करने की अनुमति प्रदान नही की जा सकती परन्तु पारा गांव , निसदा, मूढ़ेना,घोडारी,बरबसपुर ,सिरपुर सहित ऐसे सैकड़ों ग्राम है जहां फर्शी खदान बिल्कुल नदी से सटे हुए है इसके बावजूद फर्शी खनन बे खौफ होकर निर्बाध गति से अनवरत जारी है
जहां एक ओर महानदी से रेत खनन कर मृदा एवं कछार कटाव की स्थिति में पृथ्वी की अधोसंरचना में आमूलचूल परिवर्तन हो रहा है तो वही महानदी किनारे संचालित खदान को हजारों वर्ग फीट फर्शी खनन के नाम पर भूगर्भ के आधारशिला को खोखला कर दिया गया है जिससे उपरोक्त ग्राम क्षेत्र में कभी भी प्राकृतिक आपदा भूस्खलन,भूकंप आने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता उपरोक्त ऐसे सैकड़ों ग्राम इसकी ज़द में है उपरोक्त ग्रामों में संचालित फर्शी खदान जहां पर असीमित घनमीटर फर्शी खनन कर दिया गया जबकि गाइड लाइन तो यह भी है कि जिस क्षेत्र में खदान माइंस इत्यादि है वह नदी से कम से कम दस किलोमीटर दूर की परिधि में होना चाहिए वही खदान के आसपास पेड़ पौधे और सामाजिक उत्तरदायित्व निर्वहन के तहत जनहित में खदान मालिक या संचालक द्वारा पर्यावरण सुरक्षा सहित जनहित में अनेक कार्य करे जिसमे सड़क,नाली,पुल निर्माण से लेकर, वृक्षारोपण,चौक चौराहे सौंदर्यीकरण जैसे अनेक कार्य समाहित है अनिवार्य होता है जिसे जिला खनिज न्यास विभाग में राशि प्रदान कर भी उक्त सामाजिक उत्तरदायित्व उत्थान कार्य करवाए जा सकते है जिसमे भी इनके द्वारा अल्प राशि दी जाती है जिसका उपयोग जनहित में न के बराबर होता है तथा कागजों में ही सब दर्शाकर एक बहुत बड़ी राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है वही इन खदानों के आसपास की फ़सल भी प्रदूषण एवं सफेद राख से बर्बाद हो रही है सड़कों में बड़े बड़े गड्ढे हो चुके है फर्शी पत्थरों को वन क्षेत्र सहित आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में फेंक दिया गया है सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से किसी भी वर्कर के पास सुरक्षा किट अथवा ढंग के जूते नही है कई फर्शी खदान में वर्षा की वजह से जलभराव की स्थित निर्मित हो चुकी है जहां पर ग्राम के पालतू पशु दुर्घटना ग्रस्त हो कर असमय काल का ग्रास बन चुके है खदान के समीप किसी प्रकार की चेतावनी बोर्ड भी नही लगाया गया है जिससे अज्ञात व्यक्ति पशु दुर्घटना के शिकार हो सकते है खदान के इर्द गिर्द किसी प्रकार की सुरक्षा घेरा बंदी भी नही की गई है जो सीधे सीधे मानव जीवन से खिलवाड़ है जबकि नदी किनारे बसे ग्रामों के समीप स्थित फर्शी खदान को लेकर पर्यावरण विद से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि जिस प्रकार बेतहाशा खनन कार्य बदस्तूर जारी है उससे भविष्य में अनेक ग्राम भूस्खलन,भूकंप जैसे प्राकृतिक विपदाओं से ग्रसित हो सकते है उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि यदि उपरोक्त माइंस फर्शी खदानों को तत्काल बंद कर नही रोका गया तो भविष्य में जानमाल की बहुत बड़ी क्षति होने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है ऐसे अवैध संचालित फर्शी खदानों में अधिकारियों के द्वारा समय समय पर भौतिक सत्यापन एवं निरीक्षण न करने का ही परिणाम है कि गौण खनिज माफियाओं के हौसले और ज्यादा बुलंद है तथा मनमाने रूप से अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है मगर चंद रुपयों की निजी लाभ की खातिर खनिज विभाग अधिकारी कर्मचारी क्षेत्र के आसपास के ग्राम वासियों और नागरिकों की जान जोखिम में डालने से भी गुरेज नही कर रहे है इस विषय को लेकर अखिल भारतीय गौड़वाना पार्टी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मज़हर इकबाल ने कहा है कि प्रदेश के संवेदनशील क्षेत्रों में संचालित फर्शी खदान से अवैध उत्खनन को लेकर एक लिखित आवेदन तहसीलदार, जिला कलेक्टर, छग प्रदेश के मुख्यमंत्री,राज्यपाल, सहित प्रधानमंत्री राष्ट्रपति तथा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय नई दिल्ली को प्रेषित कर आम व्यक्ति के जानमाल की सुरक्षा की दृष्टिकोण से जनहित में तत्काल ऐसे फर्शी खदान,माइंस,एव रेत खनन को बंद कराने की मांग की जाएगी