तीन शाही गेट और पैंतीस वॉल डिजायनर फेंसिंग की कीमत डेढ़ करोड़ रुपये से ऊपर .... जाते जाते भी आक्सीजोन में एम डी. राजेश गोवर्धन ने लाखों का भ्रष्टाचार कर दिया

तीन शाही गेट और पैंतीस वॉल डिजायनर फेंसिंग की कीमत डेढ़ करोड़ रुपये से ऊपर .... जाते जाते भी आक्सीजोन में एम डी. राजेश गोवर्धन ने लाखों का भ्रष्टाचार कर दिया



फॉरेस्ट क्राइम/अलताफ हुसैन


 


रायपुर ई ए सी कॉलोनी स्थित आक्सिजोन का लोकार्पण हो गया मगर साथ ही छोड़ गया अनेक सवाल जिसके निर्माण से लेकर अब तक भ्रष्टाचार,गड़बड़,घोटाले, और अनियमितता,कमीशनखोरी का अटूट सिलसिला थमा नही जो लोकार्पण पश्चात अब भी अनवरत जारी है आक्सिजोन निर्माण में चाहे अब पेड़ पौधे क्रय का मामला हो काली उपजाऊ मिट्टी,या मुरुम रेत सीमेंट खरीदी हो या फिर अन्य निर्माण सामग्री क्रय की बात की जाए प्रत्येक क्रय में बड़े गड़बड़ घोटाले,कमीशन खोरी हुई है जिसमे ऊंचे पद पर बैठे अधिकारी मलाई मार दिए तो निचले स्तर के अधिकारीयों को खुरचन में ही संतुष्ट होना पड़ा ऐसे पीड़ित अधिकारी अपने फूटे करम का रोना रोए भी तो किसके सामने बस, मन मसोस कर शेष सेवा दे रहे है और ऊंचे पद पर बैठे अधिकारियों के फेंके गए फंदे में केवल उलझ कर रह गए इस दरमियान ऊंचे पद पर बैठे मलाई मारने वाले अधिकारी ने खेत प्लॉट से लेकर पॉश इलाकों में लाखों के मकान क्रय कर लिया तो किसी अधिकारी ने अपनी नौकरी की साख बचाने में ही समय व्यतीत कर दिया जब कोई खुरचन नही मिला तो कुछ बड़े से लेकर छोटे अधिकारियों ने आक्सिजोन में लगने वाली निर्माण सामग्री यहां तक कुर्सी पाइप, सीमेंट ईट तक अपने रायपुर स्थित निवास और दुर्ग स्थित आवास में ले गए क्योंकि भ्रष्टाचार,गड़बड़, घोटाले, और कमीशनखोरी में उनकी कलम जो फंस चुकी थी मगर ऊंचे पद पर बैठे प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन बार नवापारा की आर. जी. एम. डॉ सोमदास मैडम और डिविजनल मैनेजर मुदलियार जैसे अधिकारीयों ने जाते जाते भ्रष्टाचार का एक बड़ा और लंबा हाथ मारने में पीछे नही रहे



जाते जाते भी भ्रष्टाचार का रायता फैला ही दिया बताते चले कि ई ए सी कॉलोनी स्थित आक्सिजोन में प्रारंभ निर्माण काल 2017 से ही बगैर प्राकलन एव परियोजना के आक्सिजोन निर्माण किया गया बगैर कार्य योजना के प्रारम्भिक निर्माण काल से ही बड़े सुनियोजित तरीके से भ्रष्टाचार, गड़बड़ घोटाला,कमीशनखोरी,एवं अनियमितताओं का खेल खेला जा रहा है जो अनवरत तीन वर्षों तक निर्बाध रूप से जारी है परन्तु आक्सिजोन के लोकार्पण पश्चात जाते जाते भी भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का सबसे बड़ा खेल लोहे,बीड़ के विशाल शाही गेट एवं 35 लोहे के डिजायनर वाल फेंसिंग में हो गया जिसमे लाखों का वारा न्यारा हुआ है आक्सिजोन का संभवतः यह सबसे अंतिम और बड़ा कार्य होगा जिसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ हो बताया जाता है कि घनत्व हीन लोहे के पोलकी और बीड़ से निर्मित उक्त लोहे के तीन गेट और 35 लोहे बीड़ के डिज़ाइनर वॉल फेंसिंग आक्सिजोन में लगाया गया है जिसकी कीमत जानकर ही पाठकों के होश फाख्ता हो जाएंगे अति विश्वसनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि उक्त तीनों विशाल गेट की कीमत डेढ़ करोड़ रुपये से ऊपर बताई गई है यानी प्रत्येक गेट लगभग पचास लाख रुपये में क्रय किया गया है वह भी नागपुर या राजस्थान के किसी शहर से इसे मंगाया गया है अब कोई भी आम इंसान उक्त गेट को देखकर ही बता सकता है कि गेट की कीमत कितनी होगी ? सवाल उठाया जा रहा है कि आक्सिजोन में इतने विशालकाय गेट लगाने की क्या आवश्यकता थी ? जबकि नवा रायपुर अटल नगर में आक्सिजोन से भी वृहद विशाल भूभाग में निर्मित जंगल सफारी जिसकी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बन चुकी है वहां भी ऐसे गेट नही लगाए गए है जितना बड़ा तीन ओर से तीन विशाल आकर के शाही गेट छग राज्य वन विकास निगम ने ई ए सी कॉलोनी स्थित आक्सिजोन में करोड़ो की लागत से लगाए है जिसमे सीधे सीधे भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी की बू बास आ रही है अब आम जनता भी इस विषय पर चर्चा कर रही है कि करोड़ों की लागत से निर्मित आक्सिजोन में यदि स्थानीय स्तर पर मजबूत लोहे के गेट निर्माण करवाया जाता तो ऐसे एक दर्जन लोहे के गेट बन जाते परन्तु यहां पर तो बड़े शाही गेट लगाने के पीछे का आशय केवल कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार को अंजाम देना था इसलिए भी गेट स्थानीय स्तर पर निर्माण न करवाकर इसे अन्य प्रदेश नागपुर, राजस्थान से निर्माण कर मंगवाया गया जो सीधे-सीधे भ्रष्टाचार किए जाने के संकेत देता है क्रय किए गए शाही गेट के संदर्भ में जब इसकी सूक्ष्मता से जानकारी ली गई तो विभागीय स्तर पर यह ज्ञात हुआ है कि गेट निर्माण का संपूर्ण ठेका अन्य किसी एजेंसी को दे दिया गया था जिनके माध्यम से गेट निर्माण किया गया इसे लेकर अब यह सवाल उठाया जा रहा है कि जब संपूर्ण आक्सिजोन निर्माण छग राज्य वन विकास निगम के प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन,आर.जी. एम.डॉ सोमदास मैडम और डी एम मुदलियार बारनवापारा के द्वारा स्वयं की उपस्थिति और देखरेख में सम्पन्न कराया गया तो केवल गेट निर्माण और उसे फिट करने किसी बाहरी अन्य संस्था को ठेका क्यों दे दिया गया ? क्या यह एक सोची समझी साजिश के तहत ठेके में कार्य संपादित नही कराया गया ? जिसके माध्यम से छग राज्य वन विकास निगम को लाखों का चूना लगाया जा सके जिससे यह मालूम होता है कि करोड़ों की राशि कमीशन खोरी,और भ्रष्टाचार के माध्यम से खुर्दबुर्द करने ठेकेदार वाला स्वांग रच कर भ्रष्टाचार का खेल खेला गया जबकि जानकार बताते है कि जितनी राशि मे लोहे पोलकी,बीड़ के तीन गेट और 35 डिजायनर वॉल फेंसिंग आक्सिजोन में लगाया गया है उतनी राशि मे वैसे ही मेटल के अतिरिक्त लगभग आधा दर्जन गेट का निर्माण स्थानीय स्तर पर हो जाता परन्तु बाहरी ठेके स्तर पर अधिकारियों द्वारा गेट निर्माण के पीछे की मंशा शासन की राशि मे भ्रष्टाचार कमीशन खोरी और घोटाले का खेल जो खेलना था यह बात जब प्रकाश में आई तो जिसने भी सुना दांतो तले अपनी उंगली दबा लिया तथा यह शब्द उसके मुख से स्वतः निकल पड़ा कि यह कैसा आक्सिजोन निर्माण है जहां जनता के पैसों का खुले आम भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के माध्यम से दुरूपयोग हो रहा है और इस पर कोई कार्यवाही भी नही की जा रही है उल्लेखनीय है कि किसी भी शासकीय कार्य जो मण्डल कार्यालय स्तर पर संपादित किया जाना हो वह भी जमीनी स्तर पर रेंजर द्वारा एक लाख अथवा मंडल अधिकारी स्तर पर दो लाख रूपये तक बगैर निविदा बुलाए कार्य संपादन का अधिकार होता है उसके ऊपर राशि होने पर बकायदा समाचार पत्रों के माध्यम से निविदा प्रकाशन कर कम राशि वाले निविदाकार को कार्य संपादन के कार्य आदेश जारी किए जाते है परन्तु आक्सिजोन में ऐसे बहुत से कार्य जो लाखों के ही नही बल्कि करोड़ों के है जिनके न ही निविदा प्रकाशन किया गया और न ही ठेकेदारों को आमन्त्रित किया गया सीधे अपने चहेते ठेकेदार जो उन्हें कमीशन की राशि तथा बिल बाउचर में कूट रचना कर लाखों की गड़बड़ी,घोटाले और भ्रष्टाचार में सहयोग करते रहे ऐसे पेटी ठेकेदार से ही पूरा कार्य संपादित करवाया गया जिनमे चारों ओर की वॉल फेंसिंग पोलकी लोहे की जाली घेरे की बात हो या उसमे लगने वाले पोलकी भाला की जिसमे लाखों के खेल हो चुका है उसके ही फर्जी बिल और बाउचर फॉरेस्ट क्राइम को सूचना के अधिकार में बिल और दस्तावेज दे दिया गया जिसकी पड़ताल करने में बड़े गड़बड़ उजागर हुए, वही पथ वे पर बिजली फिटिंग के नाम पर भी बड़ा भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया काली मिट्टी और मुरुम रेत खनन कर उसके परिवहन के पीछे का खेल पौधे खरीदी जिसे स्थानीय नर्सरी से क्रय कर जो पांच से दस रुपये में क्रय किया गया उसके बिल पचास रुपये से लेकर दो सौ रुपये तक का फर्जी बिल के माध्यम से लाखों रुपये आहरण कर घोटाला पाया गया यही नही अन्य निर्माण सामग्री के फर्जी बिल आवेदक को दिए गए जो अब इनके गले की फांस बन चुकी है अब अंतिम कार्य के रूप में घनत्व हीन लोहे की पोलकी और बीड़ निर्मित तीन शाही गेट सहित पैंतीस डिजायनर वॉल फैंसिंग भी शामिल है जिसका न ही समाचार पत्रों में निविदा कॉल प्रकाशन किया गया और न ही किस ठेकेदार के नाम निविदा खुला और किसके नाम का कार्य आदेश जारी किया गया उसकी जानकरी नही मिल पाई जो सीधे सीधे गड़बड़ घोटाला,कमीशन खोरी,और भ्रष्टाचार किए जाने का संकेत दे रहा है


 



मजे की बात यह है कि छग राज्य वन विकास निगम के नव पदस्थ अध्यक्ष के रूप में देवेंद्र बहादुर सिंह की हाल ही में नियुक्ति हुई है जबकि गेट क्रय के समय छग राज्य वन विकास निगम में पदेन अध्यक्ष के रूप में स्वयं प्रदेश के वन मंत्री मो.अकबर थे और उनकी जानकारी के बिना उनके नाक के नीचे निगम अधिकारियों द्वारा इतना बड़ा घोटाला एव भ्रष्टाचार को अंजाम दे दिया गया और उन के कानों तक यह खबर नही लगी ऐसा तो हो नही सकता आश्चर्य तो तब और होता है जब भ्रष्टाचार का ऐसा ऊंचा खेल प्रदेश के वन मंत्री मोहम्मद अकबर के बगैर संज्ञान में लिए हो गया ? जो अनेक संदेह को जन्म दे रहा है ? यदि इस संदर्भ में आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो सरकारी जांच एजेंसी द्वारा जांच करायी जाए तो आक्सिजोन में एक बहुत बड़े भ्रष्टाचार गड़बड़ घोटाला,और कमीशनखोरी का भंडाफोड़ हो सकता है क्योंकि संपूर्ण 21 एकड़ भूभाग में निर्मित आक्सिजोन की कुल लागत पूर्व अधिकारियों के कथनानुसार एवं समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार के अनुसार 11 एकड़ भूभाग के लिए पहले शासन द्वारा 11से 13 करोड़ रुपये लागत की राशि जारी किया जाना बताया गया था एव शेष नौ एकड़ भूभाग हेतु सात करोड़ की अतिरिक्त राशि कांग्रेस शासन काल मे जारी की गई थी जो कुल राशि 18 से 20 करोड़ के लगभग होती है उस हिसाब से देखा जाए तो आक्सिजोन जो बीस से 21 एकड़ भूभाग में निर्माण किया गया है उस के प्रति एकड़ भूभाग के आंतरिक एव बाह्य निर्माण में लगभग 95 लाख से ऊपर प्रत्येक एकड़ अर्थात लगभग 1 करोड़ रुपये प्रति एकड़ भूभाग में आक्सिजोन निर्माण में व्यय किया गया ? अब छग राज्य वन विकास निगम के उच्च अधिकारी,राजेश गोवर्धन,आर जी एम डॉ सोमदास मैडम और बार नवापारा डी एम मुदलियार मैदान के रेंजर अधिकारी ऋषि शर्मा यह बताने का कष्ट करें कि आक्सिजोन निर्माण के प्रति एकड़ भूभाग में ऐसा कौन सा चांदी का पथवे अथवा सोने के पेड़ लगाए है जिसमे एक एकड़ के भूभाग में लगभग एक करोड़ की राशि व्यय किया गया हो ? क्योंकि नवनिर्मित आक्सिजोन के प्रति एकड़ भूभाग में ऐसा कोई भी निर्माण कीमती अथवा आकर्षण परिलक्षित नही होता जिसमे एक एकड़ में लगभग एक करोड़ का निर्माण करवाया गया हो ? इसकी वैभवता या कांक्रीटीकरण या बांस के पगोड़े निर्माण में ही एक करोड़ रुपये व्यय किया गया जो यह प्रदर्शित करता हो कि आक्सिजोन के एक एकड़ भूभाग में एक करोड़ रुपये राशि का आकर्षक कार्य संपादित कराया गया हो ? यह कथ्य आम इंसान के गले से नही उतर रही है इसका सीधा तात्पर्य यह है कि आक्सिजोन निर्माण में खुलकर भ्रष्टाचार हुआ है जबकि तकनीकी रूप से गुणा भाग करने वाले जानकर बताते है कि ई ए सी कॉलोनी स्थित नव निर्मित आक्सिजोन में सात से आठ करोड़ में ही निर्माण कार्य सम्पन्न हो गया है बाकी की राशि कमीशनखोरी और गड़बड़ घोटाला कर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है वही सात एकड़ भूभाग के मध्य आक्सिजोन क्षेत्र में बांस बंबू से निर्मित पगोडे का निर्माण भी किया गया है जिसे बस्तर नारायणपुर के कारीगरों द्वारा निर्मित किया गया है उसमें भी प्रति पगोडे की लागत दो लाख रुपये से ऊपर बताई गई है जो कुल आठ पगोडे सोलह से अट्ठारह लाख रुपये में निर्माण किए गए है जो अविश्वसनीय है क्योंकि पगोड़े निर्माण कार्य कर रहे श्रमिको ने बताया कि उन्हें रायपुर वन मंडल कार्यालय के समीप स्थित बंबू मिशन के कार्यालय में कार्यरत किसी त्रिवेदी ने ठेके पर लाया है जिसके द्वारा उन्हें पन्द्रह से बीस हजार रुपये पारिश्रमिक मिलेगा बाकी पगोडे निर्माण सामग्री निर्माणकर्ता के द्वारा दी जाएगी इस प्रकार आठ बांस से निर्मित पगोडों में भी भ्रष्टाचार हुआ है बताते चलें कि वन विकास निगम के प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन द्वारा रेग्युलर फॉरेस्ट से अपने सुपुत्र को वन विकास निगम में प्रति नियुक्ति दिलाकर बंबू हेंडी क्राफ्ट आर्ट मिशन में लाखों के अनुदान दिलवाकर पदस्थ किया जिसमें यह भी शंका व्यक्त की जा रही है कि आक्सीजोंन में नव निर्मित बांस के पगोड़े का ठेका उन्हें ही पुत्र को दिया गया जबकि पगोड़े निर्माण में किसी त्रिवेदी नामक बंबू आर्ट्स संचालक का नाम सामने आ रहा है परन्तु बांस के पगोड़े निर्माण में भी भ्रष्टाचार हुआ है क्योंकि देखने मे तो यह भी आया था कि ऋतु परिवर्तन और हवा के तेज बहाव में ही कुछ पगोड़े क्षतिग्रस्त हो गए थे जिन्हें बाद में सुधरवाया गया था यानी पगोड़ों की गुणवत्ता परिणाम अभी से जनमानस के समक्ष आने शुरू हो गए आक्सिजोन मुख्य मार्ग में आकर्षक सीमेंट के स्तंभकार जाली दीवारों के किनारे लगाए गए है जिसके क्रय कीमत और निर्माण में भी घोटाला किए जाने को लेकर सवाल उठाए जा रहे है तथा इनके क्रय से लेकर फिटिंग तक कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार की बात कही जा रही है जबकि लोकार्पण पूर्व दो नवीन बांस एवं टीन से निर्मित पगोडे निर्माण किया गया जो अति विशिष्ठ अतिथि को ध्यान में रखकर निर्माण किया गया है जिसमे किचन लेट बाथ की सुविधा भी बताई जा रही है उसके निर्माण लागत सुनकर भी पाठकों के होश उड़ जाएंगे दोनो पगोड़ों की लागत दस लाख रुपये बताई जा रही है जबकि दस लाख रुपये में पक्के सीमेंट के दो मकान बन सकते है सभी पगोडे निर्माण हेतु हरे बांस की व्यवस्था बारनवापारा के सिरपुर क्षेत्र से किया गया था जिसका परिवहन भी वन विकास निगम की गाडी से किया जाना बताया गया कुल मिलाकर पगोडे निर्माण में भी भ्रष्टाचार की बू आ रही है वही क्षमता से अधिक मंगाए गए पौधे अभी भी छग राज्य वन विकास निगम प्रबन्ध संचालक के फॉरेस्ट कॉलोनी स्थित शासकीय आवास में बड़ी संख्या में पड़ा हुआ जो आक्सिजोन में लगाया जाना था ज्ञात हुआ है फॉरेस्ट कॉलोनी स्थित आवास से सेवानिवृत्त होने के पूर्व समस्त सामान रात के अंधेरे में नवीन भवन जो लाखों की राशि से क्रय किया था जो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के निवास स्थल के समीप स्थित पॉश कॉलोनी में परिवहन करते देखा गया है ताकि किसी को भी लाखों में लिए गए फ्लैट की भनक न लगे आक्सिजोन के भ्रष्ट पैसों से प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन द्वारा अब तक कितनी अचल संपत्ति क्रय किया है उसका भंडाफोड़ अगले अंक में विस्तार से किया जाएगा जो अब फॉरेस्ट कॉलोनी में डंप रखे सैकड़ों की संख्या में पौधे सेवानिवृत्त होने वाले राजेश गोवर्धन साहब बताएं कि पौधों को नए रायपुर वाले भवन में लगाएंगे या दूसरे अन्य प्लाट में जो आक्सिजोन की राशि से क्रय किए गए है सिमगा के समीप स्थित खेत मे बड़ी संख्या में बांस रोपण किया गया है जो निगम की राशि से क्रय कर अपने निजी खेत मे निगम के ही कर्मचारियों के द्वारा रोपण कराया गया यहां तक निगम के ही श्रमिक एवं राजसात की हुई गाड़ी का खुलकर निजी उपयोग किया गया बताया तो यह भी जा रहा है कि बड़े चट्टान से लेकर काली मिट्टी और मुरुम परिवहन करने से गाड़ी के इंजन जवाब दे चुके है तथा गाड़ी क्षतिग्रस्त भी हुई है अब वही गाड़ियों की मरम्मत और सुधार हेतु लाखों रुपये निगम से व्यय किए जा रहे है निजी मकान एव खेत मे कार्यरत श्रमिकों का वेतन भुगतान निगम के द्वारा किया गया पूर्व में जब इस संबन्ध में समाचार प्रकाशन किया गया तब जाकर स्थानीय सिमगा के समीप ग्राम के दो चार मजदूरों को खेत कार्य में रख कार्य संपादित करवाया गया जिनका भुगतान भी निगम राशि से किया गया अर्थात एम डी राजेश गोवर्धन साहब के निजी कार्य मे भी वन विकास निगम की राशि का खुलकर दुरुपयोग किया गया अब इसे कहां और किस मद से एडजस्ट किया गया यह जांच का विषय है और इसे डी एम मुदलियार साहब और रेंजर ऋषि शर्मा ही बता सकते है जबकि आक्सिजोन में कार्यरत जो वास्तव में नवा रायपुर में आठ साल दस साल से दैनिक वेतन भोगी चौकीदार है जिनकी संख्या बाइस से पच्चीस है उनसे आक्सिजोन में मजदूरी करवाकर उनका एक माह का पारिश्रमिक भुगतान अब तक नही किया गया भुगतान राशि ही लाखों में होना बताया गया है जो रेंजर ऋषि शर्मा के द्वारा भुगतान किया जाना था परन्तु अब तक श्रमिक अपने पूर्व भुगतान की बाट जोह रहे है और रेंजर ऋषि शर्मा द्वारा उनके पारिश्रमिक भुगतान लंबित कर रखा है यही परिस्थिति स्टेडियम के समीप कराए जाने वाले प्लान्टेशन में भी है जहां वर्षों से चौकीदारी करने वाले श्रमिकों को कार्य पर न रख कर आरंग एव आसपास क्षेत्रों से श्रमिक बुलाए गए तथा रेंजर ऋषि शर्मा एवं डिप्टी रेंजर टण्डन के द्वारा फर्जी नाम से चेक बनवाकर राशि आहरण किया गया चर्चा यह भी हो रही है कि वन विकास निगम के प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन साहब के निजी भूमि और खेत पर पौधा रोपण और उस में लगने वाले जैविक एवं रसायनिक खाद इत्यादि भी निगम के ही डाला गया सीमेंट पोल और फैंसिंग तार का घेरा तूता नर्सरी एव सांकरा आक्सीजोंन से लाकर खेत को घेरा गया वर्तमान में सेक्टर 27 नवा रायपुर स्थित कायबान्ध क्षेत्र में कराए जा रहे वृक्षारोपण,और प्लांटेशन कार्य मे रोपण पौधों में कोई भी खाद इत्यादि नही डाला जा रहा है उच्च अधिकारी राजेश गोवर्धन के निजी खेत मे उपयोग कर लेने से वन विकास निगम के प्लांटेशन में डाले जाने वाले खाद का अब पौधों में कमी महसूस की जा रही है जिससे रोपण पौधों पर भविष्य में इनके ग्रोथ पर संशय की स्थिति निर्मित हो गई है इस प्रकार अनवरत छग राज्य वन विकास निगम में आक्सिजोन सहित अन्य परियोजना क्षेत्रों में लाखों करोड़ों के भ्रष्टाचार का खेल बदस्तूर हो गया है ताज़ा समाचार यह भी मिल रहे है कि छग राज्य वन विकास निगम के प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन सेवानिवृत्त होने के पूर्व सामग्री सप्लायरों से अपने कमीशन की राशि लेकर बगैर निविदा बुलाए सामग्री सप्लाय की अनुमति दे रहे है फिर भी उच्च स्तर पर मनमानी करने वाले ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर किसी प्रकार की कार्यवाही नही किया जाना अनेकों सन्देह को जन्म देता है शीघ्र ही आक्सिजोन में हुए बड़े भ्रष्टाचार घोटाले को लेकर सरकारी जांच एजेंसी आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो ,सहित अन्य सरकारी एजेंसियों में जांच कराने हेतु प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाएगा ताकि आक्सिजोन में हुए भ्रष्टाचार का निष्पक्ष जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.बताते चले कि छग राज्य वन विकास निगम में सेवानिवृत्त होने। वाले प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन,आर जी एम सोमादास मैडम,तथा डी एम मुदलियार, ने इतने बड़े बड़े घोटालों को अंजाम दिया है कि आने वाले प्रबन्ध संचालक केवल यहां के गड्ढे पाटते पाटते हलाकान हो जाएगा एक प्रकार से आने वाले प्रबन्ध संचालक पद पर जिसकी नियुक्ति की जाएगी उसके लिए वन विकास निगम केवल काजल की काली कोठरी साबित हो सकती है इसके लिए वे पहले से ही तैयार रहे