वन विकास निगम का सहायक लेखा अधिकारी बगैर उपस्थिति दर्ज किए उठा रहा है वेतन का लाभ-वेतन जारी करने वाले डी एम भी दोषी - पानाबरस परियोजना मण्डल कार्यालय में हो चुका खेल

 वन विकास निगम का सहायक लेखा अधिकारी बगैर उपस्थिति दर्ज किए उठा रहा है वेतन का लाभ-वेतन जारी करने वाले डी एम भी दोषी - पानाबरस परियोजना मण्डल कार्यालय में हो चुका खेल


 


फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़/अलताफ हुसैन


 


रायपुर छग राज्य वन विकास निगम में दस्तावेजो में कूट रचना एवं मनमानी कर भ्रष्टाचार एवं अनियमितता का एक और प्रकरण प्रकाश में आया है जिसमे सहायक लेखा अधिकारी के द्वारा विगत कई वर्षों से पाना बरस परियोजना मण्डल कार्यालय में अपनी उपस्थिति के नाम पर किसी प्रकार की भी मासिक वर्क डायरी या उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर किए बगैर अपनी ड्यूटी का निर्वहन लंबे समय से करते आ रहे है तथा नियमित वेतन लाभ उठा रहे है मजे की बात यह है कि वन अधिनियम के विपरीत जाते हुए वेतन लाभ लेने वाले उक्त अधिकारी को कभी किसी अधिकारी ने उनके इस कृत्य के लिए पूछा और टोका भी नही बल्कि आंख मूंद कर उनकी उपस्थिति ज्ञात किए बगैर वेतन रिलीज करते रहे जिसकी वजह से अब उनकी कलम भी फंसते नज़र आ रही है तथा वे अधिकारी भी वन नियम कानून में फंसते नजर आ रहे है ज्ञात तो यह भी हुआ है कि कथित सहायक लेखा अधिकारी बकायदा एक अतिरिक्त इंक्रीमेंट का लाभ भी उठा रहे थे जिस पर यदि प्रधान कार्यालय द्वारा इसकी सूक्ष्मता से जांच करती है तो लाखों रुपयों की रिकवरी कथित सहायक लेखा अधिकारी से कर सकती है बताते चले कि फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र के द्वारा दिनांक 06/06/2020/को जन सूचना अधिकारी पाना बरस परियोजना मण्डल राजनांदगांव के समक्ष सूचना के अधिकार 2005 के अंतर्गत वरिष्ठ सहायक लेखा अधिकारी की मासिक उपस्थिति पंजी की एक जनवरी 2018 से 06 जून 2020 तक सत्यापित प्रति मांगी गई थी जिसके प्रेषित जवाब में छग राज्य वन विकास निगम के पानाबरस परियोजना मंडल कार्यालय में कार्यरत सहायक प्रबंधक लेखा को तृतीय श्रेणी अधिकारी के समकक्ष बता कर सहायक प्रबंधक लेखा द्वारा मासिक दैनन्दिनी आवेदक द्वारा चाहे गए तिथि से 06 जून तक किसी प्रकार के उपस्थिति रजिस्टर पंजी इत्यादि नही लिखा जाना बताया गया तथा यह भी उल्लेख किया गया है कि न ही उनके लिए कोई उपस्थिति पंजी संघारित है अब सवाल उठाया जा रहा है कि जब निचले स्तर के कर्मचारियों सहित कार्यालयीन समस्त कर्मचारियों की उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर करना अनिवार्य माना जाता है जो नियम में प्रावधानित है जिसके आधार पर ही किसी भी कर्मचारी अधिकारी के वेतन जारी किए जाते है परन्तु सहायक लेखा अधिकारी जो वर्षों से अपने गृह क्षेत्र राजनांदगांव में रहते हुए छग राज्य वन विकास निगम में अपनी लंबी सेवा दे रहे है उन्हें बगैर उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर तथा बगैर वर्क डायरी प्रस्तुत किए किस आधार पर उनका वेतन जारी होता रहा है ? यह लोगों में अब कौतूहल का विषय बन गया है जबकि बताया तो यह जाता है कि वन अधिनियम के अंतर्गत कोई भी आई एफ एस अधिकारी हो रेंजर हो या डी एम हो या कार्यालयीन कर्मचारी हो उसे या तो होम वर्क डायरी तिथिवार या निचले स्तर के कर्मचारी हो तो उपस्थिति पंजी या रजिस्टर में अपना हस्ताक्षर कर उपस्थिति दर्शना अनिवार्यतः होता है फिर पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालय में ऐसे कौन से नियम के तहत सहायक लेखा अधिकारी को छूट प्रदान की गई कि उनके द्वारा लंबे समय के संपूर्ण सेवा कार्यकाल में न ही किसी प्रकार की होम वर्क डायरी प्रस्तुत की गई जिसमे यह दर्शाया गया हो कि फलां तारीख से इस तारीख तक उनके द्वारा यह कार्य संपादित किया गया है या इतने दिन अनुपस्थित रहा इसका आकलन किस आधार पर किया जाता रहा होगा क्योंकि उनके द्वारा कभी भी उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर ही नही किया गया है तो फिर कार्यों एवं उनके तिथिवार उपस्थिति का मूल्यांकन एव समीक्षा कर उनके वेतन प्रदाय को आधार मानकर किस प्रकार वेतन का मापदंड सुनिश्चित किया गया परन्तु ऐसा न उन्होंने किया और न ही मंडल कार्यालय के किसी डिविजनल मैनेजर ने उनसे यह पूछने की हिम्मत दिखाई कि आपको किस आधार पर भुगतान जारी किया जाए वर्षों से बिना वर्क डायरी,एवं उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर देखे बिना उनका किन मूल्यांकन को आधार बनाकर उन्हें वेतन जारी किया जाता रहा है यह समझ के परे है यदि डी एम द्वारा ऐसा किया जाता रहा है तो यह असंवैधानिक है इसमें कथित सहायक लेखा अधिकारी को वेतन जारी करने वाला डी एम भी पूरी तरह से जिम्मेदार और दोषी है क्योंकि वेतन जारी करने में डी एम की कलम भी फंसती है जिन्होंने उनके बगैर होम वर्क डायरी अथवा उपस्थिति पंजी देखे बिना उन्हें किस आधार पर वेतन जारी कर दिया ? बताया तो यह भी जा रहा है कि कथित लेखा सहायक अधिकारी एक वेतनमान का अतरिक्त इंक्रीमेंट 


का लाभ भी उठा रहे थे अब यदि छग राज्य वन विकास निगम उनके उपरोक्त विषय को लेकर जांच करती है तो लाखों रुपयों की रिकवरी निकाल सकती है क्योंकि उन्होंने लंबे समय से अतिरिक्त इंक्रिमेंट का लाभ उठाया है लेकिन छग राज्य वन विकास निगम में तो खुद अधिकारी पैर के नाखून से लेकर सिर के बाल तक भ्रष्टाचार और घोटाले में डूबे है तो वे क्यों किसी अधिकारी कर्मचारी की जांच में अपना समय व्यर्थ गवाएंगे क्योकि सहायक लेखा अधिकारी स्वयं लेखा शाखा में पदस्थ है तथा पानाबरस के समस्त कार्यों का लेखा जोखा, काला पीला सब उनके द्वारा ही सम्पन्न किया जाता रहा है निश्चित रूप से सब कर्मचारियों का काला चिट्ठा उनके द्वारा ही संपादित किया गया है यदि उनपर किसी प्रकार का आक्षेप रोपण होता है तब वे सब के काले चिट्ठे सार्वजनिक कर सकते है अर्थात हम तो डूबेंगे सनम तुम्हे भी ले डूबेंगे वाली कहावत चरितार्थ होती है कथित सहायक लेखा अधिकारी के बारे में अनेक फर्जीवाड़ा किए जाने की बात भी कही जा रही है इस संदर्भ में ज्ञात हुआ है कि किसी चोपड़ा नामक ठेकेदार के सैकड़ों फर्जी बिल से लाखों नही बल्कि करोड़ों का खेल खेला गया है चोपड़ा के अलावा अन्य फर्जी ठेकेदारों के फर्जी बिल को भी पास कर बड़े खेल खेला जाना बताया गया है इस प्रकार के फर्जी वाड़ा को अंजाम देने में महारत सहायक लेखा अधिकारी को उनके इसी कृत्य यानी काले को सफेद और सफेद को काला करने की कला की वजह से वहां से अब तक किसी भी डी एम ने उन्हें हटाया नही इसलिए मनमर्जी से ड्यूटी में आना जाना बगैर उपस्थिति दर्ज करके बगैर होम डायरी प्रस्तुत करके टशन से कार्यों को अंजाम देते रहे और न ही उनके द्वारा मासिक होम वर्क डायरी अथवा उपस्थिति पंजी के बारे में पूछा गया उनके सन्दर्भ में कहा तो यहां तक जा रहा है कि यदि किसी ने इनके विरुद्ध जाकर न्यायलयीन दरवाजे में दस्तक दे दी तब इन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के साथ साथ लाल बंगला का सुख भी मिल सकता है साथ ही अनेक सेवानिवृत्त डी एम पर भी सेवा अधिनियम के विपरीत जाकर सहायक लेखा अधिकारी को वेतन रिलीज करने में सहयोगी बनने के अपराध में कानूनी कार्यवाही एव लाल बंगला जाने से कोई नही रोक सकता विश्वस्त सूत्रों से तो यह भी ज्ञात हुआ है कि एक वेतन मान का अतिरिक्त इंक्रिमेंट उठाने नवा रायपुर मुख्यलय से रिकवरी लेटर भी जारी किया गया था लेकिन उक्त लेटर को भी दबा दिया गया है यह तो हुई सहायक लेखा अधिकारी के कारनामे वही पाना बरस परियोजना मंडल के नए इमारत निर्माण में भी अनेक विसंगतियां है जिसको लेकर सूचना के अधिकार में जानकारी मांगने पर भी ठीक से जानकारी नही दी जाती बताया जाता है कि पानाबरस परियोजना मण्डल कार्यालय के नवीन भवन में पांच ए सी लगाने का प्रावधान था एयर कंडीशन लगाने का बजट भी जारी हुआ परन्तु वहां केवल दो ए. सी. ही लगाए गए है बाकी के तीन ए. सी. न जाने किसके घर की शोभा बनकर किस अधिकारी को ठंडक पहुंचा रहे होंगे यह भी जांच का विषय है हालांकि पुराने पांच ए. सी. में से दो ही यहां लगे हुए है तथा नए तीन ए. सी.कहां गए किसी को ज्ञात नही विगत काफी दिनों से यह बात भी उठ रही है कि नवा रायपुर प्रधान कार्यालय के शंकर नगर से स्थानांतरण पश्चात जब श्री निवास राव मद्दी छग राज्य वन विकास निगम के अध्यक्ष थे तब कार्यालयीन उपयोग एवं कॉन्फ्रेंस हॉल के लिए लाखों की कुर्सी क्रय किया गया था जिसमे एक बड़ा भ्रष्टाचार का खेल हुआ था फॉरेस्ट क्राइम समाचार पत्र ने इस विषय को लेकर प्रमुखता से प्रकाशन किया था तथा इसके जांच की मांग भी की गई थी परन्तु ऐसा ज्ञात होता है कि कथित जांच की आंच से बचने के लिए लगभग दो दर्जन से उपर कुर्सियां को आनन फानन में इधर से उधर कर दिया गया था अभी ज्ञात हुआ है कि प्रधान कार्यालय की दो दर्जन से ऊपर कुर्सियां जिसमें लाखों का व्यय किया गया था वह पाना बरस मंडल कार्यालय में एक कक्ष में धूल खाती पड़ी हुई है जिसका कोई उपयोग नही किया गया अब यह छग राज्य वन विकास निगम की राशि का दुरुपयोग नही तो और क्या है बताया जाता है कि पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालय सहित अन्य मण्डल कार्यालयों में बैठने के लिए कुर्सी नही है वही प्रधान कार्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल की समस्त कुर्सियां पाना बरस परियोजना मंडल कार्यालय में धूल खाते पड़ी हुई है कार्यालयीन कर्मचारियों में इस बात को लेकर चर्चा गर्म है कि वर्षों से धूल खाती एक कमरे में कैद बड़ी संख्या में कैद कुर्सी का शीघ्र ही उद्धार हो सकता है क्योंकि जिस प्रकार वन विकास निगम के अलम बरदार प्रबंधन द्वारा रेती सीमेन्ट से लेकर नवीन भवन निर्माण में कार्यरत ,श्रमिकों से लेकर आसपास पौधे रोपण तक से लेकर सीमेंट की कुर्सी का सरकारी राशि लगाकर निजी उपयोग उच्च पदस्थ अधिकारी द्वारा किया गया है ठीक उसी तरह पानाबरस परियोजना मण्डल कार्यालय में वर्षों से धूल खाती लाखों की कुर्सी भी उन्ही वरिष्ठ अधिकारी के नवा रायपुर स्थित निजी नवीन भवन की शोभा बढ़ाने काम आएगी ज्ञात तो यह भी हुआ है कि उच्च अधिकारी द्वारा प्रशासनिक उच्च अधिकारी को भी अरण्य भवन से मात्र दो किलोमीटर के अंतराल में नव निर्मित उनके तीन नए भवन में बंबू शिल्प कारीगरी का लाभ श्रमिकों से ,पेड़ पौधों का रोपण सहित कई लाभ निगम राशि से सम्पन्न करवा कर शासकीय राशि के दुरूपयोग के संकेत मिल रहे है जिसकी पड़ताल की जा रही है जिसे अगले अंक में विस्तार पूर्वक समाचार प्रकाशन किया जाएगा