वन रक्षक का साहसिक कारनामा जिसने अवैध कटाई के मामले में अपने रेंजर के विरुद्ध ही कर दी कानूनी कार्यवाही -,चारों ओर मिल रही प्रशंसा
रायपुर वैसे तो आपने ऐसे बहुत से अधिकारी देखे होंगे जो अपने मातहतों को उनकी गलती में चमकाते धमकाते रहे हो यहां तक उन्हें सेवा पृथक की बात भी कही जाती रही हो परन्तु कटघोरा में परिसर रक्षक शेखर सिंह रात्रे रक्षक बांकी वन मण्डल कटघोरा के द्वारा कुछ ऐसा कार्य कर दिया कि जिसने भी सुना या देखा उसके कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी कार्य शैली का कायल हो गया तथा उसकी पीठ थपथपा कर प्रशंसा किए बगैर स्वतःको रोक नही पाया संपूर्ण घटना के बारे में बताया गया है कि परिसर रक्षक शेखर सिंह रात्रे को वन मंडला अधिकारी कटघोरा की तरफ से दिनांक 15/07/2020/को एक आदेश क्रमांक 3210 प्राप्त हुआ था जिसमे उसे रानी कुंडी से ट्री गार्ड लाने कहा गया जबकि ज्ञात हुआ है कि कटघोरा में ही बड़ी संख्या में ट्री गार्ड रखे हुए है वह उसी दिन मरवाही निकल गया तथा जब वह वापस पहुंचा तब उसे ज्ञात हुआ कि बांकी क्षेत्र के हल्दीबाड़ी जो बांस वन क्षेत्र है तथा रिजर्व फॉरेस्ट के अंतर्गत आता है उसके कक्ष क्रमांक आर.एफ.790 में अज्ञात लोगों द्वारा बांस भिर्रा से लगभग 353 नग बांस काट दिया गया मौका स्थल पर जब इसकी जानकारी जुटाई तो 11 श्रमिक जो ग्राम गुररु मुड़ा निवासी थे उनके द्वारा 353 नग महिला,पकिया,गिला, ताज़ा हरे बांस काट दिया गया था वन रक्षक शेखर रात्रे द्वारा जब इनसे बांस कटाई के आदेश के बारे में पूछा तब श्रमिकों ने कटघोरा परिसर रक्षक राम कुमार यादव द्वारा उन्हें प्रति दिन ढाई सौ रुपये पारिश्रमिक की दर से लाया जाना बताया जब परिसर रक्षक राम कुमार यादव से इस संदर्भ में पूछ ताछ किया तो उसके द्वारा कोई भी कटाई आदेश नही दिखाया गया तथा उसने भी इसे परिक्षेत्राधिकारी मृत्युंजय शर्मा के आदेश से कटाई किया जाना बताया परन्तु जब रेंजर से भी कटाई के बारे में पूछा गया तब वह भी संतोष जनक जवाब या कटाई आदेश नही दिखा पाया जिससे वनरक्षक शेखर रात्रे द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते तत्काल पंचनामा बनाकर उनके विरुद्ध कार्यवाही की तथा मौका स्थल से 11 कुल्हाड़ी सहित 11 लोगों को हिरासत में लेकर वन अधिनियम आरक्षित वन की धारा 26/1 एव धारा 4 व 5 में प्रतिबंधित क्षेत्र में कटाई करते पाए जाने तथा धारा 52 के तहत जप्ती की कार्यवाही की जो अजमानती है जिसमे एक वर्ष की सजा एव पन्द्रह हजार का जुर्माना या दोनो साथ साथ है उसके तहत कार्यवाही की गई अब सवाल उठता है कि क्या संपूर्ण कटाई प्रकरण सुनियोजित था क्योंकि वनरक्षक शेखर सिंग रात्रे को एक दिन पूर्व अन्यंत्र भेजा जाना तथा बगैर आदेश की कटाई करना अनेक सन्देह को जन्म देता है उल्लेखनीय है कि वन मण्डलाधिकारी शमां फारुखी का नाम भी इसके पूर्व अनेक अवैधानिक कार्यों में आ चुका है तथा किराए की गाड़ी से लेकर वन मंत्री के रिश्तेदारी को लेकर भी उनके द्वारा विभाग में धौंस जमाने वाले समाचार प्रकाशित हो चुके है यही नही विभिन्न कैम्पा मदों में वन क्षेत्रों में कराए जाने वाले स्तर हीन कार्यों को लेकर खरीदी और गड़बड़ी में संलिप्तता के चर्चे भी होते रहे है उनके ही मातहतों द्वारा बगैर आदेश के पातन कार्य किया जा रहा है जो उनके कार्यशैली पर उंगली उठना लाजिमी है तथा इससे यह भी साबित हो जाता है कि वन कर्मियों की मिली भगत से कटघोरा वन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में काष्ठों की तस्करी अनवरत जारी है बताते चले कि घटते वन क्षेत्रों की दशा
देखते हुए संवेदनशील प्रदेश सरकार के वन मंत्री मोहम्मद अकबर के द्वारा जहां पूरे प्रदेश में पांच करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य वन विभाग के समक्ष रखा है वही विभाग के ही वन कर्मियों के द्वारा किये जा रहे अवैध कटाई संशय की स्थिति निर्मित कर रहा है दूसरी ओर कर्तव्यनिष्ठ ईमानदार वन रक्षक शेखर सिंह की कटाई पर की गई उक्त वैधानिक कार्यवाही जो संभवत प्रदेश इतिहास का यह पहली कार्यवाही है जिसमे एक अधीनस्थ वन रक्षक द्वारा अपने अधिकारी के ऊपर अवैध कटाई का प्रकरण दर्ज कर एक मिसाल कायम की है जो पूरे आसपास क्षेत्र में उसकी भूरी भूरी प्रशंसा हो रही है वही मामला के प्रकाश में आने से यह चर्चा भी जोरो पर है कि ऊपर बैठे घाघ अधिकारी प्रकरण के लीपा पोती कर वन रक्षक को ही कार्यालय अथवा अन्य क्षेत्र में भेज सकते है वही कुछ ईमानदार अधिकारी जो इस कथन से सहमत न होकर उनके द्वारा यह कहा जा रहा है कि ऐसे वनरक्षक को अन्यंत्र भेजे जाने की बजाए दोषी और संलिप्त अधिकारियों पर कार्यवाही कर ऐसे साहसिक कार्य का प्रतिसाद उसे मिलना चाहिए