12 साल नक्सालाईट क्षेत्र में काम करने वाले का नहीं हो रहा पति- पत्नी के आधार पर स्थानांतरण
तरुण कौशिक ,कार्यकारी संपादक, डिसेंट रायपुर अखबार
रायपुर । छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़िया सरकार भूपेश बघेल की सरकार का नारा सबके साथ होगा न्याय ,यह एक ढकोसला बनकर रह गई हैं और कई ऐसे कर्मचारी - अधिकारी हैं जो पति -पत्नी के आधार पर स्थानांतरण को लेकर अपने विभाग से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगा रहे हैं परंतु न्याय नहीं मिल पा रहा हैं ।
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में भी मोटी रकम भेंट चढ़ाने पर ही स्थानांतरण किया जा रहा हैं ,शायद यहीं कारण हैं कि गृह विभाग में स्थानांतरण पर कोई रोक नहीं लगने के बाद भी बस्तर संभाग के कोण्डागांव में पदस्थ आरक्षक संदीप उरांव को इस संभाग में 12 साल से नौकरी करने के बाद भी पति - पत्नी के आधार पर स्थानांतरण नहीं मिल रहा हैं । बता दें कि इनकी पत्नी सुनिता उरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जरहागांव, जिला मुंगेली में पदस्थ हैं । जिन्होंने अपने पति का स्थानांतरण की मांग को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ,गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, मुंगेली जिले के प्रभारी मंत्री टी.एस.सिंहदेव,विभागीय अपर सचिव सुब्रत साहू के साथ ही पुलिस महानिदेशक डी.एम. अवस्थी से कई बार ज्ञापन पत्र सौंपकर मुंगेली जिले में स्थानांतरण करने की मांग की मगर 12 साल नक्सालाईट क्षेत्र में नौकरी करने वाले इस जवान का अब तक स्थानांतरण नहीं हो सका। ठीक इसी तरह कोण्डागांव के ही उप पुलिस अधीक्षक कपिल चंद्रा का प्रतिनियुक्ति पर राज्य अपराध अन्वेषण ब्यूरो में पदस्थ किया हैं । जबके इनकी पत्नी पूर्णिमा चंद्रा लोक निर्माण विभाग में अनुविभागीय अधिकारी के पद पर यहीं पदस्थ हैं दो साल का एक बच्चा होने के कारण इन्हें इस जगह पर यथावत पदस्थ करने के लिए बस्तर के कांग्रेसी सासंद दीपक बैज के अनुशंसा के बाद भी स्थानांतरण में संशोधन नहीं किया गया ।
इसी तरह बिलासपुर जिले के मस्तूरी में पदस्थ कृषि विस्तार अधिकारी यू.एस.चंदेल 30 साल तक नक्सालाईट व आदिवासी क्षेत्र में सेवा करने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर प्रमोशन पाने पर कृषि विभाग के तत्कालीन संचालक टामन सिंह सोनवानी ने कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के आदेश पर भी उनके अधिकार क्षेत्र में होने के बाद भी अपने क्षेत्र अधिकार होने की बात कहकर संशोधन नहीं की गई ,जबकि सन् 2022 में सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं और सरकारी सिस्टम की बात करें तो सेवानिवृत्त की अवधि में गृह जिले में पदस्थ करने का प्रावधान हैं । इसी तरह की स्थिति बिलासपुर के तत्कालीन अतिरिक्त कलेक्टर बी.सी. साहू का हैं जो अगले वर्ष यानि कि सन् 2021 में सेवानिवृत्त अवधि होने पर इन्हें अपने गृह जिला गरियाबंद से लगभग चार सौ किलोमीटर दूर नवगठित जिला पेण्ड्रा- गौरेला- मरवाही में पदस्थ किया हैं जो पूर्व भाजपा सरकार की मंत्री रमशीला साहू की ओएसडी रहे ।
सरकारी कर्मचारियों का शोषण यहीं नहीं रुकता हैं डिसेंट रायपुर के पास ऐसे हजारों की संख्या में दस्तावेज हैं जिनमें साल भर नहीं दस साल से स्थानांतरण की मांग कर रहे है मगर मोटी रकम भेंट न चढ़ाने के कारण जरुरतमंदों और नियमों में होने के बाद भी स्थानांतरण और पदस्थापना नहीं हो पा रहा हैं । कुछ ज्ञापन पत्रों को हम प्रकाशित भी कर रहे हैं ताकि कांग्रेस सरकार को इस का अहसास हो ।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए सबसे बडी हैरानी की बात यह हैं कि उनके ही मंत्री,सासंद, विधायकों के स्पष्ट लिखित आदेश पर भी संबंधित विभाग के सचिव, संचालक जरुरतमंद सरकारी कर्मचारियों का कार्य नियम कायदें में होने के बाद भी नहीं कर रहे हैं तो फिर सरकार कहाँ सबके साथ न्याय कर रही हैं ?