क्या लॉकडाऊन हैं कोरोना वायरस का हल

क्या लॉकडाऊन हैं कोरोना वायरस का हल 


 चंचल अवस्थी



बिलासपुर । छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों में कोरोना वायरस के बचाव को लेकर दोबारा लॉकडाउन किया गया हैं । जिससे सब की आर्थिक स्थिति पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा हैं । हम सब को पता हैं कि राज्य में लगातार कोरोना वायरस के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं । जिसके साथ- साथ लॉकडाऊन की अवधि को भी बढ़ाया जा रहा है ।जिसके चलते लोगों को आर्थिक समास्याओं का सामना करना पड़ रहा है ।लॉकडाउन के कारण सभी क्षेत्रों में काम काज को स्थगित किया गया है जो लोग मजदूरी करते हैं ,उनके सामने आज बहुत सारी परेशानी खड़ी हो गया हैं । जिसका सामना यह लोग करने में असफल है , वजह ना काम और ना ही वेतन । इसी प्रकार हर क्षेत्र के लोग जो अपना कर अपने वेतन के आधार पर ही चलाते थे। आज इस महामारी के कारण और बढ़ते लॉकडाउन के चलते अपना और अपने परिवार कि मुलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में असफल है , देखा जाए तो कोरोना वायरस महामारी से बचने के लिए यह लॉकडाउन सही है पर हर क्षेत्र में लागू होना चाहिए सरकारी दफ्तरों में काम काज बंद है फिर भी वहां के कार्यरत कर्मचारियों को समय पर उनके वेतन का भुगतान किया जा रहा है पर उन लोगों का क्या जो किसी सरकारी दफ्तरों के कर्मचारी नहीं है। आय के साधन तो थे पर अब वो भी बंद हो गये है तो यह मध्यम और मजदूर वर्ग के लोग क्या करे जो आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं जैसे वकील जिसके आय का साधन न्यायालय है वह भी बंद हैं। मजदूर की मजदूरी बंद, ना काम और ना ही वेतन। एक रिक्शा चलाने वाला जो सिर्फ रिक्शा चला के दिन रात मेहनत कर के सवारी ढो के अपने और अपने परिवार का पेट पालता था, आज वह रिक्शा चालक भी एक- एक पैसे का मोहताज है । एक गरीब आदमी बिना किसी काम के बिना किसी वेतन के अपना घर कैसे चलाएं उसके पास ना काम है और ना ही सरकारी नौकरी जो हर महीने उसे वेतन दिया जाए जब तक हाथ में पैसा है तब तक कोरोना का डर है । जब ये पैसा हाथ से खत्म हो जायेगा । तब कोरोना का डर भी खत्म हो जायेगा तब लोग काम करने के लिए मजदूर मजदूरी तलाशने के लिए भटकेंगे तब उन मजदूरों को कोरोना से मरने का डर नहीं बल्कि भूख से मर जाने का डर सता रहा होगा । लॉकडाउन ही इस बीमारी से लड़ने का एख मात्र हल नहीं है ।


 निश्चित रुप से कोरोना के बचाव को लेकर सरकार और जिला प्रशासन को घर - घर जाकर कोरोना का टेस्ट कराना चाहिए ,जब चुनाव के समय राजनीति करने वाले लोग घर - घर वोट मांगने जा सकते हैं तो फिर कोरोना का टेस्ट कराने के लिये इस तरह का प्रयोग क्यों नहीं की जा रही हैं । आज कोरोना के रोकथाम के लिए लॉकडाउन किए जाने से सबको आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा हैं। वहीं सरकारी कार्यालय बंद किए जाने से जरुरतमंद कर्मचारियों का भी काम काज प्रभावित हो रहे हैं । वहीं विद्यार्थियों का भविष्य भी खराब हो रहे हैं क्योंकि आनलाइन शिक्षा के बाद अब लाऊडस्पीकर से पढ़ाई कराने से छत्तीसगढ़ सरकार शिक्षा को पूरी तरह से मजाक बना दिए हैं । बहरहाल कोरोना महामारी ने सबकी आर्थिक स्थिति बिगाड़ दी हैं और लाभन्वित हो रहे हैं तो केवल सरकारी कर्मचारी और मंत्री,विधायक, सांसद जिसे बिना कामकाज के हर महीने मोटी तन्ख्वाह मिल रही हैं