- छग राज्य वन अनुसन्धान केंद्र का सहायक तकनीक कर्मचारी कर रहा है फर्जीवाड़ा प्रबंधन ने दे रखी है छूट
फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़/अलताफ हुसैन
रायपुर छग राज्य वन अनुसंधान एव प्रशिक्षण संस्थान में फर्जी बिल के माध्यम से राशि आहरण करने का मामला प्रकाश में आया है उक्त फर्जीवाड़ा मामले में छग राज्य वन अनुसन्धान के ही तकनीकी सहायक पाटले का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है बताया जाता है कि तकनीकी सहायक द्वारा फर्जी बिल के माध्यम से स्वयं हस्ताक्षर कर बिल पास कर लिया जाता था तथा वन अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान को लाखों की राशि फर्जी बिल के माध्यम से आहरण कर चुना लगाया जा चुका है सहायक तकनीक कर्मचारी का फर्जीवाड़ा यही समाप्त नही हुआ बल्कि अनुसन्धान में कार्यरत दैनिक मजदूरों के बिल बाउचर में भी गड़बड़ी कर राशि आहरण कर डकार ली गई
बताया जाता है कि 28 मजदूर जो नियमित संस्थान में अपनी सेवाएं देते है उनमें ही एक मजदूर जो कोरोना पीड़ित होने की वजह से मात्र दस दिन ही कार्य मे उपस्थित हो पाया था मगर तकनीक सहायक द्वारा पूरे 26 दिन का वेतन जारी कर उक्त दैनिक श्रमिक को दस दिन का वेतन देकर शेष राशि डकार ली गई बताया तो यह भी जा रहा है कि कुछ अन्य श्रमिकों के परिजन मित्रों के नाम जिनका बैंक अकाउंट खाता है उनके नाम से भी बाउचर बना कर बैंक के माध्यम से राशि निकाल कर फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया जा रहा है
उसके उक्त फर्जीवाड़ा कृत्य में अनुसन्धान के दो अन्य वन रक्षक भी तकनीक सहायक के फर्जीवाड़ा में सम्मिलित होने की जानकारी मिली है फर्जी वाड़ा की राशि से दारू मुर्गा की पार्टी मनाई जाने के चर्चे भी आम हो चुके है उल्लेखनीय है कि छग राज्य वन अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान में एक सीमित संख्या में श्रमिक रखने का नियम है जिसमे केवल 28 मजदूर ही संस्थान में कार्यरत है जिसमे एक श्रमिक जो पूर्व पीसीसीएफ थे उन के निवास पर कार्य कर रहा है परन्तु उक्त श्रमिक का भुगतान भी वन अनुसंधान संस्थान से जारी हो रहा है जबकि नियम यह है कि जिस संस्थान में कार्यरत श्रमिक कार्य संपादित करता है उसी संस्थान से उसका वेतन भुगतान जारी होता है परन्तु अन्य डिपार्टमेंट में तबादला होने के बावजूद एक मजदूर का वेतन भुगतान विगत कई महीनों से वन अनुसन्धान से ही जारी हो रहा है वही पाटले नामक उक्त सहायक कर्मचारी द्वारा लाइट से लेकर अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामानों का बिल भी स्वयं पास करवाकर राशि निकाल ली गई है उसके बारे में जानकारी मिली है कि संस्थान के बगल में नव निर्मित हॉस्टल में नल फिटिंग से लेकर अन्य सामग्री क्रय में भी फर्जीवाड़ा करने के समाचार मिले है जिसका साक्षात उदाहरण इस बात से लगाया जा सकता है
कि कंप्यूटर दुकान का बिल लगाकर नवीन छात्रावास में लगाए जाने वाले जल शुद्धिकरण यंत्र (फ्यूरिफायर ) जिसमे एम.एस.कंप्यूटर राधाकृष्ण मंदिर टिकरापारा के बिल क्रमांक 661 के दिनांक 29/05/2020/ को 9650 रु का बिल पास करवा दिया गया अब सवाल उठाया जा रहा है कि कंप्यूटर दुकान में कब से जल शुद्धिकरण यंत्र मिलने लग गए ? जबकि बिजली सामग्री रायपुर की बजाए यहां से लगभग तीस किलोमीटर दूर से साहू इलेक्ट्रिक वर्कशॉप चंदखुरी के बिल क्रमांक 71 दिनांक 11/06/2020/को प्रस्तुत कर लगभग 4 हजार की राशि आहरित कर ली गई सवाल उठता है कि रायपुर राजधानी जहां सैकड़ों इलेक्ट्रॉनिक दुकान उपलब्ध है वहां से सामग्री क्रय न कर के तीस किलोमीटर दूर चंदखुरी से ही सामग्री क्यों क्रय की गई ज्ञात तो यह भी हुआ है कि मृदा लैब प्रशिक्षण शाला तथा कक्ष क्रमांक 15 में इस प्रकार का कोई भी कार्य संपादित नही हुआ उसी प्रकार दोंदेकला स्थित गणेश हार्डवेयर रायपुर के बिल क्रमांक 158 में दिनांक 28/05/2020/ को नवीन छात्रावास में वाटर टैंक फिटिंग का कार्य संपादित कराया गया जिसमे टैंक में पाइप की कीमत 4500 रुपये दर्शाई गई है तो वही फिटिंग चार्ज 3000 रुपये बताई गई है अर्थात पारिश्रमिक एव सामग्री में मात्र एक हजार का अंतर दिख रहा है जिसमे स्पष्ट फर्जीवाड़ा करने की दशा परिलक्षित हो रही है सहायक तकनीक सहायक द्वारा अनुसन्धान स्थित कॉलोनी के रंग रोगन कार्य दस माह पूर्व करवाया गया था जिसमे भी बड़ी मात्रा में फर्जीवाड़ा किया गया था क्योंकि बाह्य स्तर पर किसी प्रकार जा रंग रोगन होना दिखाई नही दे रहा है अनुसन्धान परिसर में ही अन्य वानिकी कार्यों में भी उसके द्वारा खुलकर फर्जी बिल के माध्यम से फर्जीवाड़ा को अब भी अंजाम दिया जा रहा है फिर भी अनुसन्धान प्रबंधन द्वारा कथित सहायक तकनीक सहायक पर कार्यवाही करने की बजाय उस पर क्यो इतना अधिक मेहरबान है यह समझ के परे है क्योंकि अब तक उस पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही न करना अनेक सन्देह को जन्म दे रहा है