श्रमिकों का डेढ़ माह का वेतन हुआ लॉक... आय हुई डाउन.. छग वन विकास निगम के 19 दैनिक वेतन भोगी श्रमिको की नही कोई सुनवाई

श्रमिकों का डेढ़ माह का वेतन हुआ लॉक... आय हुई डाउन.. छग वन विकास निगम के 19 दैनिक वेतन भोगी श्रमिको की नही कोई सुनवाई



फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़


 


रायपुर छग राज्य वन विकास निगम के द्वारा 19 श्रमिको के प्रति अधिकारियों का क्रूर चेहरा सामने आया है विगत फरवरी -मार्च 2020 से लेकर 1 अप्रेल 2020 तक का पारिश्रमिक उपरोक्त श्रमिकों को अब तक प्राप्त नही हुआ जबकि इसकी शिकायत छग राज्य वन विकास निगम के वरिष्ठ अधिकारियों से भी की गई परन्तु नतीजा सिफर रहा यही नही इसकी शिकायत नगरीय प्रशासन एव श्रम मंत्री श्री शिवकुमार डहरिया सहायक श्रम आयुक्त रायपुर से भी की गई जिस सन्दर्भ को लेकर बारनवापारा परियोजना मण्डल के मण्डल प्रबंधक श्री के आर मुदलियार को पत्र प्रेषित कर कोरोना संक्रमण जैसी महामारी बीमारी में श्रमिकों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण से किसी भी श्रमिक को उनके पद से न हटाने व उनके देयक वेतन स्वत्वों को किसी प्रकार की कटौती न करने का स्पष्ट उल्लेख किया गया मगर छग राज्य वन विकास निगम के मैदानी अमले के कर्मचारियों के द्वारा लगातार आर्थिक शोषण अनवरत जारी है ये वे दैनिक वेतन भोगी श्रमिक है जिन की दी गई लंबी पांच वर्ष से लेकर दस वर्षों तक के सेवाओं को नजरअंदाज कर न ही उन्हें हटाया गया बल्कि उनके लगभग डेढ़ माह का पारिश्रमिक भी अब तक लटका दिया गया एक प्रकार से उनका वेतन लॉक ही नही किया बल्कि उनके पारिश्रमिक न प्रदान कर उनके आय को भी डाउन कर दिया



 


अब इन श्रमिकों के समक्ष आर्थिक विपन्नता उत्पन्न हो गई तथा उनके समक्ष खाने पीने के लाले भी उत्पन्न हो गए यही नही वर्षों से नवा रायपुर स्थित रोड नम्बर 2,3,4 में कार्यरत श्रमिकों को कार्य से निष्काषित कर दिया गया भले ही तात्कालिक समय मे 19 चौकीदारों के स्थान पर 75 से ऊपर चौकीदारों की हाजिरी भरी जाती रही हो तथा बड़े स्तर पर गड़बड़ घोटाला कर श्रमिकों का आर्थिक शोषण किया जाता रहा हो बहरहाल निकले गए श्रमिकों ने अपनी आवाज़ बुलंद करते हुए पत्र द्वारा मंत्री एव अन्य स्थानों पर किए गए पत्र व्यवहार के चलते इन्हें पुनः दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्य दिया गया परन्तु वह भी इस शर्त पर की वे प्रतिदिन बीस गड्ढ़े के स्थान पर चालीस गड्ढ़े कर के दे जो सीधे सीधे दो दिन का मानव दिवस बन जाता है तथा कुछ श्रमिकों को उनके ही परिवार के खाता धारकों के नाम देने की अलग शर्त पर कार्य पर रखने की बात बताई गई जिससे इनके समक्ष ऊहापोह की स्थिति निर्मित हो गई अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ते हुए इनके द्वारा छग शासन के श्रम मंत्री सहित सहायक श्रमायुक्त एव रायपुर कलेक्टर इत्यादि को पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया तब उन्हें पुनः दैनिक वेतन भोगी के रूप में आक्सिजोन में पुनः कार्य पर रखा गया परन्तु कथित उन्नीस श्रमिकों का डेढ़ माह का वेतन भी लंबित कर दिया गया वही उक्त श्रमिकों के बारे में यह भी ज्ञात हुआ है कि पूर्व के चौकीदारों एव वर्तमान में श्रमिक का कार्य मे भी छंटनी कर अन्य बाहरी ग्रामीण क्षेत्रों से श्रमिक बुलवाया गया है जबकि श्रम विभाग का नियम यह है कि कार्य स्थल के आसपास ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया जाए जिसमे शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदाय किया जाने वाले पारिश्रमिक की कलेक्टर दरों में भी भिन्नता होती है परन्तु स्टेडियम के समक्ष स्थित बांध में कार्यरत श्रमिक राजिम क्षेत्र से बुलवाए जा रहे है वह भी एक श्रमिक के पीछे दो चार अन्य पारिवारिक खातों के अनुबंध पर कार्य सम्पन्न किए जा रहे है



 


छग राज्य वन विकास निगम अन्तर्गय कार्य सम्पन्न कराने वाले कर्मचारी का नाम रूपेश कुमार टण्डन डिप्टी रेंजर  बताया जा रहा है जो नवा रायपुर बांध के समक्ष कराए जाने वाले कार्य का प्रभारी है छटाई किए गए श्रमिक एक प्रकार से फुटबॉल की भांति पैरों से ठोकर लगाए जा रहे है इन्हें कभी किसी बड़े अधिकारी के खेतों में कार्य सम्पन्न के लिए भेज दिया जाता है तो कभी किसी अधिकारी के नवीन भवन में रंग रोगन में लगा दिया जाता है इस प्रकार से श्रमिको से दोहरा तिहरा लाभ उठाया जा रहा है परन्तु इनकी परेशानियों का अब तक न्यायसंगत हल नही निकाला गया मिलने वाले पारिश्रमिक के बारे में यह भी ज्ञात हुआ है कि इन्हें दिए जाने वाले पारिश्रमिक तो 26 दिन का दिया जाता था उसपर भी छुट्टी एव अन्य कमी बताकर 22 दिन या चौबीस दिन का ही पारिश्रमिक मिलता रहा वे भी आर्थिक शोषण को इसलिए सहते रहे कि एक न एक दिन उनके दिन भी बहुरेंगे और वे भी नियमित कर्मचारी के रूप में अपनी शेष सेवाएं छग वन विकास निगम में देंगे परन्तु लॉक डाउन में यकायक उनकी वर्षों के परिश्रम वाले तपस्या का परिणाम जब छग राज्य वन विकास निगम से पृथक कर दिया गया तो मानों उनके समस्त स्वप्न चकनाचूर हो गए और अब वे वही आकर खड़े हो गए जहां शून्य से इन्होंने अपने जीवन सफर को आरंभ किया था