फॉरेस्ट क्राइम न्यूज/ अलताफ हुसैन
रायपुर छग के वन क्षेत्रों में लगातार हो रही हाथियों की मौत को लेकर वन विभाग अब सवालों के घेरे में आ गया है लगातार हो रही हाथियों की मौत को लेकर वन मंत्री मो.अकबर ने भी जांच के निर्देश दे रखे है तथा एक दो अधिकारियों को भी निलंबित किया जा चुका है परन्तु वन विभाग के अधिकारी हाथियों की मौत को लेकर संतोषजनक जवाब नही दे पा रहे है तथा मौत नाना प्रकार की वजह से होना बता रहे है फिर भी वन विभाग अब सवालों के घेरे में आ गया है
बड़ी संख्या में प्रदेश के वन क्षेत्रों में विचरण कर रहे हाथी दल के हाथी का अकाल मृत्यु लोगों के मन मे सन्देह और सवाल छोड़ता जा रहा है जबकि वन विभाग ने हाथियों के संरक्षण हेतु एलिफेंटा प्रोजेक्ट के अंतर्गत करोड़ो रूपये व्यय कर दिए है इसके लिए बैंगलुरु और कर्नाटका से प्रशिक्षित पांच कुमकी हाथी को लाया गया तथा बार नवापारा के एकांत प्रिय क्षेत्र में प्रशिक्षित महावत एव कबाड़ी को भी बुलवाया गया था बार नवापारा के वन क्षेत्र में विधुत प्रवाहित तारों से घिरे कुमकी हाथियों के साथ प्रशिक्षितों से सरगुजा क्षेत्र के तमोर पिंगला क्षेत्र में विचरण कर रहे हाथियों पर लगाम कसने की योजना भी थी जिसके लिए अन्य योजनाओं में व्यय हेतु कैम्पा मद से करोड़ों का बजट जारी किया गया जो 2019 में लगभग 400 करोड़ रुपये था उतनी ही राशि व्यय न होने की वजह से डंप थी अर्थात कुल 800 करोड़ रुपये गजराज योजना कॉरिडोर सहित विभिन्न मदों में उक्त राशि व्यय किया जाना था परन्तु कुमकी हाथी जो प्रशिक्षण हाथी थे उनके द्वारा भी उत्पाती हाथियों पर लगाम कसा नही जा सका बल्कि इनकी संख्या में अनवरत इजाफा होता चला गया जो आज की तिथि में लगभग 250 के करीब है कुमकी हाथियों का लाना और उत्पाती गजराज झुंड पर इसका कोई उपयोग नही होना यह तो केवल शासकीय राशि का दुरुपयोग ही माना जाएगा पूर्व के 8 वरिष्ठ अधिकारीयों द्वारा बैंगलुरु और कर्नाटक हाथियों के लाने हेतु कि किस प्रकार हाथियों को लाया जाए उसका प्रशिक्षण प्राप्त कर के लाखों की लागत से छग प्रदेश में इन्हें लाया गया कुमकी हाथी भी केवल कागजों में सिमट कर रह गया उल्टा इन की तीमारदारी में इनके ऊपर करोड़ो रुपये खर्च कर दिए गए परन्तु आज तक उसका नतीजा सिफर रहा इस तारतम्य में तात्कालिक पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ श्री शिरीष चन्द्र अग्रवाल ने कहा था कि कुमकी हाथी विरासत में बोझ के रूप में मिले है जो बिन बुलाए मेहमानों की मेहमान नवाजी कर लाखों करोड़ों व्यय किया जा रहा है जो उनका कथन को सौ फीसदी सत्य माना जा सकता है लोगों में अब सवाल उठ रहा है कि बार नवापारा अभ्यारण्य क्षेत्र सहित प्रदेश के गजराज प्रभावित क्षेत्र में चार वर्ष पूर्व प्रशिक्षण हेतु बाहरी प्रदेश से बुलाए गए प्रशिक्षु और कुमकी हाथी कहां गए ? वही एलिफेंटा परियोजना के तहत इनके रख रखाव कॉरिडोर के लिए सूरजपुर सहित 1000 वर्ग फीट वन क्षेत्र में रखने की योजना थी जो फिसड्डी साबित हुई वन विभाग से जिन प्रशिक्षित महावतों और हाथी मित्र के लिए लाखों की राशि जारी होती थी अब न ही वे प्रशिक्षित महावत नज़र नज़र आते है और न ही कुमकी हाथी जिसे बाड़े में रखा गया था तात्कालिक पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ आर के सिंह साहब के समय लाए गए ये कुमकी हाथी को अब वह विभाग बड़ी शिद्दत से याद कर रहा है जबकि उनके पश्चात आए श्री शिरीष चन्द्र अग्रवाल साहब इसके पक्ष में कतई नही थे बदलते समय के साथ साथ मानव एवं गज द्वंद से अनेक मानव हलाक हो चुके है फिर लोगों में सबसे बड़ी उत्सुकता इस बात को लेकर भी हो रही है कि इतनी बड़ी संख्या में गजदल का प्रवेश छग प्रदेश के वन क्षेत्रों में कैसे संभव हो गया ? क्या छग प्रदेश के वन विभाग के सीमाक्षेत्र में किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था नही की गई और यदि सुरक्षात्मक दृष्टि कोण से नही की गई तो यह सबसे बड़ी मानवीय भूल माना जाना चाहिए क्योंकि सुरक्षा न होने से एक तो काष्ठ माफ़ियाओं तस्करों एव शिकारियों के लिए यह क्षेत्र सोने का अंडा देने वाला क्षेत्र बन गया वही अनेक अनैतिक कार्य करने के लिए उन्हें खुला आमंत्रण भी मिल गया वही ऐसे स्वच्छंद वन्य प्राणियों के प्रदेश के वन क्षेत्रों में बेधड़क प्रवेश करने का सुगम साधन भी बन जाता है जिससे प्रदेश में एक बड़ी वन जन धन की क्षति होने से इनकार नही।किया जा सकता जिसका साक्षात उदाहरण हाथियों की लगातार असमय हो रही मृत्यु एव वर्तमान घटनाक्रम को देख कर किया जा सकता है वही दूसरी ओर हाथियों के प्रदेश भर में धमक की वजह से शिकारियों के हौसले भी बुलन्द हो गए है वन विभाग कर्मचारियों की लगातार लापरवाही और अपने क्षेत्र में मुस्तैदी से उपस्थित नही रहने का परिणाम है कि अब हाथियों को चुन चुन कर विभिन्न युक्तियों से शिकार किया जा रहा है कहीं खाने में, कहीं पानी मे, तथा कहीं विधुत करंट से इनकी मृत्यु आम लोगों के मन मे कुछ यही सन्देह पैदा कर रही है कहा जाता है कि जीवित हाथी लाख रुपये का होता है और मर गया तो सवा लाख का हो जाता है कहीं हाथियों की लगातार मौत सवा लाख रुपये पाने का षड्यंत्र तो नही ? इस प्रकार के सवाल उठना अब लाजिमी हो गया है क्योंकि प्रदेश वन विभाग में वन्य प्राणियों के संरक्षण संवर्धन हेतु अनेक योजनाओं की घोषणा की गई जिसमें एलिफेंटा योजना के अलावा जामवंत योजना भी शामिल है जिसमे भालुओं के संरक्षण हेतु लाखों करोड़ों की राशि जारी होती है परन्तु प्रदेश में लगातार भालुओं के हमले से सैकड़ों इंसान घायल हो जाते है तथा कई की मृत्यु भी हो जाती है इसके एवज में घायलों और मृतकों को प्रारंभिक सहायता राशि पांच सौ रुपये और मृत्यु होने पर पांच हजार रुपये प्रारंभिक उपचार एव क्रियाकर्म हेतु दे दिया जाता है शेष राशि वन कर्मचारी स्वयं डकार लेते है परन्तु वन विभाग द्वारा अब तक जामवंत योजना को वास्तविकता की धरा पर नही उतारा जिसमे उसके खानपान जिसमे फल शहद,पेयजल व्यवस्था सहित उसके रहवास को सुगम क्षेत्र बनाना तथा उनके संरक्षण हेतु उपाय करना शामिल है यह योजना का क्रियान्वयन न होने से तब यह सवाल उठना लाजिमी है कि वन्य प्राणियों के संरक्षण संवर्धन हेतु केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी करोड़ों की राशि और मद विभाग को प्राप्त होती है वह राशि जाती कहाँ है ? इससे स्पष्ट हो जाता है कि वन विभाग में बैठे अधिकारी कर्मचारी इन राशियों को सीधे सीधे डकार जाते है और छोड़ जाते है मानव और वन्य प्राणियों को उनके हाल पर जो धीरे धीरे विकराल स्वरुप में नज़र आ रहा है लगातार हो रही हाथियों की मौत से ऐसा ज्ञात हो रहा है कि सुनियोजित तरीके से कोई शिकारी गिरोह सक्रिय है जो इन पर हमला कर हाथियों के बेशकीमती दांत सहित हाथियों की हड्डियों की तस्करी को अंजाम दे रहा है जिससे लाखों के वारे न्यारे हो रहे है तथा वन विभाग केवल इनके मृत्यु को लेकर ही जांच और निलंबन के फेर में पड़ा हुआ है वही शंका यह भी व्यक्त की जा रही है कि इन शिकार गिरोह के पीछे किसी न किसी राजनीतिक वरद हस्त प्राप्त है तभी क्षेत्र में लगातार हाथियों के लगातार मृत शरीर मिल रहे है जो विभाग के लिए जांच और विवेचना का विषय है फिलहाल पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ़ अतुल शुक्ला साहब धरमजयगढ़ के छाल रेंज के बहरामार के लिए रवाना हो गए है उनके साथ दो अन्य विशेषज्ञ भी गए है जहां छठवें हाथी की मौत हुई है वहां धरमजयगढ़ के डीएफओ सहित सभी अधिकारी मौजूद है देखे जांच में आगे और क्या निकलता है