छग राज्य वन विकास निगम के द्वारा थिनिंग और अतिक्रमण के नाम पर किया जंगल साफ - आरंग परिक्षेत्र का मामला
फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़ /अलताफ हुसैन
रायपुर आज प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने वन विभाग के कामकाज की समीक्षा की और निर्देश दिए कि जिन हितग्राहियों को वन अधिकार के तहत पट्टे दिए गए है उन्हें विभिन्न मदों से किए जाने वाले वृक्षारोपण कार्यक्रम में उनकी सहभागिता सुनिश्चित कर उनके आर्थिक सुदृढ़ता की ओर ध्यान दिए जाने पर जोर दिया उन्होंने यह भी कहा कि हितग्राहियों की जमीन पर मनरेगा तथा वन विभाग की योजनाओं के तहत महुआ, हर्रा, बेहरा,आम आंवला,इमली, चिरौंजी जैसे फलदार औषधियुक्त पौधे रोपे जाएं इससे वन बचेगा तथा हितग्राही वनवासियों को आर्थिक लाभ भी मिलेगा परन्तु वास्तविकता की धरा पर ठीक इसके विपरीत कार्य किया जा रहा है छग राज्य वन विकास निगम के आरंग परिक्षेत्र अंतर्गत वर्तमान में थिनिंग कार्य बड़ी तेजी से किया जा रहा है थिनिंग यानी ऐसे प्लांटेशन के पेड़ जो वन विकास निगम द्वारा विगत दस बीस वर्ष पूर्व लगाए गए हो तथा उसके आड़े तिरछे निकली शाखाओं को काट कर उसे काष्ठागार से नीलामी सूचना के द्वारा विक्रय किया जा सके चूंकि छग वन विकास निगम स्व पोषित संस्था है जो सागौन सहित अन्य मिश्रित प्रजाति के प्लांटेशन कर उस से अर्थ लाभ अर्जित कर निगम का सफल संचालन करती है बदले में लीज पर ली हुई वन भूमि के एवज में शासन को अर्जित आय से लाभांश राशि प्रदान करती है जिसका ग्राफ विगत 45 वर्षों में निरन्तर नीचे गिरता जा रहा है इसके लिए निगम द्वारा 11 वर्षीय से लेकर 41 एव 51 वर्षीय परिपक्व पेड़ों का पातन कर लाभ अर्जित किया जाता रहा है परन्तु थिनिंग के नाम पर आड़े तिरछे बीमार पेड़ों के स्थान पर स्वस्थ पेड़ों की कटाई की जाए तो इसे क्या कहा जाएगा परन्तु आरंग परिक्षेत्र में यह सब हो रहा है कोडार बांध के पीछे ग्राम पंचायत लोहारडीह के आश्रित ग्राम परसापानी के समीप स्थित कक्ष क्रमांक 859 में वनवासियों द्वारा अतिक्रमण करने की बात कहकर निगम कर्मियों द्वारा 70 हेक्टेयर भूभाग में प्राकृतिक वनों का हिंसात्मक तरीक़े से संहार कर दिया गया एक तरह से यह कहा जाए कि वन पूरा मैदान में तब्दील कर दिया तो अतिशयोक्ति नही होगी इस संदर्भ में जब वहां उपस्थित चौकीदार जितेंद्र सरकार से पूछा गया तो उसके द्वारा यह बताया गया कि कक्ष क्रमांक 859 में लगभग सत्तर हेक्टेयर में थिनिंग कार्य किया गया जिसमें परिपक्व पेड़ों के अलावा बल्ली नुमा एव चट्टा की निकासी होना बताया उसने आगे बताया कि अब तक 60 से ऊपर ट्रक काष्ठ परिवहन किया जा चुका है तथा अभी कुछ और फेरा परिवहन शेष है जबकि आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि विगत बीस दिनों से उपर हो गए अनवरत काष्ठ परिवहन किया जा रहा है इसे लेकर आरंग परिक्षेत्राधिकारी श्री एक्का से इस संदर्भ में चर्चा की गई तो उन्होंने लगभग 140 घन मीटर काष्ठों का परिवहन किया जाना बताया वही चट्टा भी700 थप्पी से ऊपर लाने की बात कही जबकि थिनिंग स्थल पर अब भी 50 से ऊपर थप्पी दिखी वही स्वस्थ इमारती काष्ठों की थप्पी भी लगभग इतनी ही संख्या में नज़र आई सम्पूर्ण वास्तविकता ज्ञात करने के लिए जब बार नवापारा परियोजना मण्डल के डिविजनल मैनेजर श्री मुदलियार को मोबाइल से संपर्क किया गया तो वे कव्हरेज एरिया से बाहर पाए गए वही प्रभारी डिप्टी रेंजर लोकेश साहू से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि परसापानी के ग्रामीणों द्वारा थिनिंग क्षेत्र में अतिक्रमण किया जा रहा था इसलिए कक्ष क्रमांक 859 में 70 हेक्टेयर भूभाग को थिनिंग के माध्यम से साफ किया जा रहा है पश्चात यहां पर भविष्य में सागौन प्लांटेशन किया जाना बताया बताते चलें कि प्लांटेशन एरिया में जहां प्लांटेशन किया जाना है वहां वर्षा ऋतु आगमन के माह पूर्व जमीन समतली करण कर तैयारी की जाती है तथा सख्त भूमि पर अलग से काली उपजाऊ मिट्टी लाकर डाली जाती है परन्तु यहां मानसून आगमन को मात्र बीस पच्चीस दिन ही शेष है ऐसे में कक्ष क्रमांक 859 में प्लांटेशन की बात बे मायनी एवं सन्देहास्पद प्रतीत होती है उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में ग्राम लोहारडीह मार्ग के कक्ष क्रमांक 848 में भी 66 हेक्टेयर ग्रास भूमि के 35 हेक्टेयर भूमि में 87 हजार 500 सागौन रोपण किया जाना बताया गया है परन्तु इन दो वर्षों में रोपित पौधों में न ही गाला बनाया गया और न ही दवा खाद से उपचारित किया गया अब हालात यह है कि लाखों की राशि लगाकर किए गए प्लांटेशन की स्थित लगभग मरणासन्न सी हो गई है ऐसी परिस्थिति की जिम्मेदार स्वयं निगम कर्मी है जो प्लांटेशन के पश्चात उसे भगवान भरोसे छोड़ देते है वही प्रति वर्ष व्यवस्था और सुरक्षा के नाम पर मिलने वाली राशि मैनेज करने में स्वाहा हो जाता है या डकार लिया जाता है ऐसे में स्वस्थ प्लांटेशन की परिकल्पना भी नही किया जा सकता है फिर वही पुनरावृत्ति कक्ष क्रमांक 859 में भी अपनाई जा रही है 70 हेक्टेयर भूभाग में प्राकृतिक वनों का दोहन कर आधा ग्रास भूमि दर्शाकर शेष आधे वन भूभाग में प्लांटेशन कर उसे भी भगवान भरोसे छोड़ दिया जाएगा जबकि दर्शाए गए सूचना बोर्ड में रोपित पौधों की संख्या जो हजारों में लिखी होती है उतनी भी संख्या रोपण क्षेत्र में नही होता जबकि रोपण क्षेत्र को निरीक्षण करने आए अधिकारी शत प्रतिशत सफल रोपण का मुहर लगाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान लेते है जो परस्पर मिली भगत का खेल माना जाता है थिनिंग एवं अतिक्रमण के नाम पर सागौन प्लांटेशन के निगम कर्मियों के सन्देहास्पद बयान पर सवाल खड़े हो रहे है कि प्राकृतिक वनों पर हिंसात्मक तरीके से संहार कर नया प्लांटेशन लगाने की क्या आवश्यकता आ पड़ी ? क्या पातन किए गए वन प्राकृतिक आभा छोड़ने में असफल थे जो उन्हें निर्दयता पूर्वक कटाई कर नया सागौन प्लांटेशन रोपण की कवायद चल रही है इसके पीछे केवल अर्थ लाभ अर्जित करना मुख्य उद्देश्य है वही आसपास ग्रामीणों द्वारा यह भी पुष्टि की गई कि थिनिग क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से फलदार वृक्ष भी थे फिर उनके पातन का क्या औचित्य यह समझ से परे है रहा वनों के कटाई के पीछे अतिक्रमण की बात की पुष्टि के लिए जब वन ग्राम परसापानी ग्रामीणों से चर्चा की गई तो उनका कथन कि वर्ष 1981 में शासन द्वारा उन्हें वन अधिकार के तहत पट्टा आबंटित किया गया था जो कक्ष क्रमांक 859 में ही उन्हें काश्तकारी हेतु भूमि दिया गया था केवल हमारे द्वारा फसल कटाई पश्चात धान रखने सड़क के दूसरे छोर अर्थात कक्ष क्रमांक 859 के सामने स्थित कक्ष क्रमांक 850 के ग्राम के समीप सड़क किनारे अस्थायी ब्यारा नुमा बनाया गया है जिसकी अनुमति पूर्व अधिकारियों से भी ली गई है जिसे निगम के प्रभारी डिप्टी रेंजर द्वारा तोड़फोड़ कर दिया गया उन्होंने बताया कि कक्ष क्रमांक 859 के खेत की आधी भूमि सीमा पार किसी प्रकार की कोई अतिक्रमण नही किया गया जबकि पूर्व अधिकारियों ने हमे फसल रखने की अनुमति भी प्रदान की थी परन्तु वर्तमान डिप्टी लोकेश साहू द्वारा अतिक्रमण करने के नाम पर कक्ष क्रमांक 859 में माह भर से पातन कार्य करवाया जा रहा है छग वन विकास निगम के कर्मचारियों को कितने क्षेत्र में कितने घन मीटर, कितने बीमार वृक्ष को कार्यालय द्वारा मार्किंग कर पातन की अनुमति मिली यह अब तक ज्ञात नही हो पाया लेकिन यह अवश्य दिखाई दिया कि कथित कक्ष क्रमांक 859 में बगैर मार्किंग के भी स्वस्थ्य पेड़ों की कटाई भी की गई थी जो वन अधिनियम के विरुद्ध कार्य था अब जब प्रदेश के मुखिया पूरे प्रदेश में पांच करोड़ एक लाख पौधे रोपण का लक्ष्य विभाग को दिया है वह भी वनादिवासियों को विश्वास में लेकर उनके रोजगार सृजन कर आर्थिक सुदृढ़ता की बात कही है ऐसे में छग वन विकास निगम द्वारा ही वनादिवासियों को मिथ्या आरोप मढ़ कर प्राकृतिक वनों का संहार किया जा रहा है ऐसे में मुख्यमंत्री के उक्त निर्देश पर भी अब सवाल खड़ा होना लाजिमी है क्योंकि बताते चले कि प्रति वर्ष हरियर छग की परिकल्पना को लेकर पूर्ववर्ती सरकार ने लाखों पौधे रोपण की घोषणा कर करोड़ों रुपये खर्च कर चुके है परन्तु अब तक न बिगड़े वनों का सुधार हुआ और न ही वनों के सिमटते दायरे में कोई वृद्धि हुई उल्टे वन विकास निगम द्वारा बड़ी बेरहमी से वनों का दोहन किया जाता रहा है जो इस समय भी प्रदेश मुखिया की उपरोक्त घोषणा मात्र कहीं कपोल कल्पित साबित न हो जाए फिर भी मुख्यमंत्री के द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम के पश्चात जिस प्रकार रोपे गए पौधों की सुरक्षा को लेकर बांस के गार्ड लगाने के निर्देश दिए है उससे ज्ञात होता है कि प्रदेश में कुछ तो हरियाली परिलक्षित होगी,,,शेष जारी......