छग वन विकास निगम
सेवानिवृत्त बाबू कोठारे पर प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन मेहरबान
जारी कर दिया दो माह का वेतन
आवागमन के लिए गाड़ी भी दी
फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़/ अलताफ हुसैन
रायपुर वन विकास निगम रायपुर में भर्राशाही और भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा में तो है ही परन्तु अपनी मनमर्जी से दस्तावेजों में कूटरचना कर अधिकारी कोई अवसर खोना नही चाहते और गड़बड़ घोटाला करने से भी नही चूकते अभी वर्तमान में छग राज्य वन विकास निगम का हाल यह है कि प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन के द्वारा अपने मन मुताबिक कार्यों को अंजाम बेधड़क हो कर दिया जा रहा है यदि वह कार्य वैधानिक तरीको से हो तो यह बात समझ आती है परन्तु वही बात किसी रिटायर्ड कर्मचारी को सेवानिवृत पश्चात भी उसका मूल वेतन सहित गाड़ी इत्यादि प्रदाय करना अब इसे क्या कहा जाए विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि छग वन विकास निगम में कार्यरत बाबू कोठारे जो फरवरी माह में सेवानिवृत्त हो चुके है उन्हें मार्च और अप्रेल दो माह का मौलिक वेतन जो पैतीस से चालीस हजार रुपये है प्रदाय किया गया जब इसकी पतासाजी की गई तो ज्ञात हुआ है कि किसी भी शासकीय कार्यालय में अधिकारी अथवा कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने के पश्चात उसे प्राप्त होने वाला वेतन प्रदाय नही किया जा सकता जबकि अनेक सरकारी दफ्तरों में संलग्न अधिकारियों से उक्त संबद्ध में जानकारी जुटाई गई तो यह ज्ञात हुआ कि शासकीय नियमावली में इस प्रकार का कोई भी नियम लागू नही है यदि कोई कर्मचारी संविदा में रहना चाहता है तो उसके लिए शासन स्तर पर कार्यालय को आवेदन प्रस्तुत करना पड़ता है जिसे उच्च अधिकारी अनुशंसा करता है जब शासन को यदि व्यक्ति की दरकार होगी तब ही उसे संविदा नियुक्ति दो से पांच साल तक सेवा में लिया जा सकता है वह भी अर्द्ध न्यूनतम वेतन की शर्त पर रखा जाता है परन्तु यहां तो प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन द्वारा ऐसी
किसी भी वैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए नज़र नही आते क्योंकि उपरोक्त प्रक्रिया अपनाई जाती तो कोठारे बाबू को दो माह का पूरा वेतन प्रदाय नही किया जाता यही नही ज्ञात तो यह भी हुआ है कि कोठारे बाबू को बकायदा आवागमन करने हेतु सरकारी गाड़ी भी प्रदाय किया गया है जिसमे डीजल पेट्रोल ईंधन तथा उसके रख रखाव का खर्च अतरिक्त लग रहा है यह राशि का वहन कौन उठाएगा ? क्या यह सब व्यय प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन महोदय अपनी जेब से देकर पूरा करेंगे ? उनकी इस कार्य को देखकर निगम में चर्चा जोरों पर है कि कोठारे बाबू पर प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन इतने मेहरबान क्यों है ? इस बात से सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि राजेश गोवर्धन की मनमानी अब तक यथावत चल रही है यह सिलसिला पूर्व वन विकास निगम अध्यक्ष श्रीनिवास राव मद्दी के कार्यकाल से अनवरत जारी है जिसमे अनेको कर्मचारियों को संविदा के नाम पर एक बड़ा खेल खेला गया था जो अब तक थमने का नाम नही ले रहा है मैडम पिल्लई से लेकर मुख्यालय में जमे ऐसे अनेक अधिकारी कर्मचारी इसका जीता जागता उदाहरण रहे है जिन्होंने छग वन विकास निगम को एक दुधारू गाय की भांति दुहा है और अभी भी उसी थीम में चलते हुए कार्य संपादित हो रहा है शासन प्रशासन स्तर पर बैठे उच्च अधिकारी इन सब बातों को देख कर भी नज़र अंदाज़ कर देते है इससे स्पष्ट ज्ञात होता है कि अब यहां जब सैंया भयो कोतवाल तो अब डर कहे का वाली उक्ति सार्थक नज़र आती है कुछ दिन पूर्व भी श्री गोवर्धन ने अपने सपुत्र को बगैर किसी निविदा काल करे न ही किसी प्रकार का ट्रेनिंग दिए शासन की राशि से बांस आर्ट मिशन का एक शॉप देवेंद्र नगर स्थित बार परियोजना मण्डल कार्यालय में खुलवा कर दे दिया इसके लिव बकायदा लाखों की शासकीय राशि भी आबंटित कर दी गई जबकि बताया जाता है कि देवेंद्र नगर स्थित उक्त बम्बू आर्ट मिशन न कभी खुलती है और न ही वहां कोई बैठता है यही नही अपने सुपुत्र के लिए बाकायदा आवागमन हेतु वन विकास निगम की गाड़ी भी मुहैय्या कराई गई थी अब यदि इसकी जांच बैठाई जाए तो एक बहुत बड़े फर्ज़ीवाड़ा का भंडाफोड़ हो सकता है परंतु यह सब भी ठंडे बस्ते में चला गया हाल फिलहाल में यह भी ज्ञात हुआ है कि आक्सिजोन में कार्यों को शीघ्र समापन करने के उद्देश्य से नया रायपुर के आसपास ग्रामों से नियुक्त चौकीदारों को लाकर आक्सीजोंन में हमाली मजदूरी का कार्य करवाया जा रहा है ये वही चौकीदार कर्मचारी है जो अनियमित रूप से रहते हुए अपनी सेवाएं वर्षों से वन विकास निगम में दे रहे है इनमे तो कुछ ऐसे भी अनियमित कर्मचारी है जो युवा अवस्था से कार्य प्रारंभ किए थे जो अब प्रौढ़ अवस्था में पहुंच गए परन्तु आज पर्यंत इन्हें नियमित नही किया गया ये आज भी एक मजदूर की भांति अपनी सेवाएं दे रहे है वही मजदूर जो नया रायपुर में चौकीदारी करते है उनसे राज मिस्त्री से लेकर गड्ढा खनन, पौधे रोपण,कुली जैसे कार्य लिया जा रहा है वह भी लॉक डाउन और धारा 144 का उल्लंघन कर बगैर सोशल डिस्टेंसिंग के ये कार्य करने विवश है एव इनका वेतन भी 26 दिन के हिसाब से दिया जाता है सवाल यह उठता है कि दो स्थानों में कार्य दर्शा कर इन्हें केवल एक मानव दिवस का वेतन प्रदाय किया जा रहा है अर्थात कार्य दो स्थानों का और वेतन एक ही स्थान का प्रदाय किया जा रहा है ज्ञात तो यह भी हुआ है कि माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा बैंक खातों में सीधे वेतन के पैसे डालने वाली योजना की भी धज्जियां उड़ाई जा रही है ऐसे कर्मचारियों को अब भी नगद भुगतान किया जा रहा है यह स्थिति यहीं नही अपितु संपूर्ण छग प्रदेश के वन विकास निगम में बे खौफ होकर किया जाना बताया गया है वैसे ही आक्सीजोंन में पौधे खरीदी को लेकर भी बड़ी संशय की स्थिति निर्मित है जिसका संपूर्ण लेख जोखा अगले अंक में प्रकाशित किया जाएगा? पौधे खरीदी कहां से हुआ ? छग वन विकास निगम की संपूर्ण प्रदेश से बुलवा कर लगाई गई गाड़ियों में कितना ईंधन व्यय किया गया ? या गाड़ियों के नाम पर अलग बिल बाउचर बनाकर लाखों का
खेल हो गया ? मजदूरों के नाम पर अनियमित चौकीदारों को कितने मानव दिवस के हिसाब से भुगतान किया गया ? प्रबन्ध संचालक राजेश गोवर्धन के द्वारा अचल संपति कहां कहां खरीदा गया ? कथित नए प्लाट में कहां से सीमेंट,रेती, ब्रिक्स, मटेरियल काली मिट्टी के साथ किनारे में लगाए गए पौधे, और मजदूर लगाकर डी पी सी कर दीवार निर्माण किया गया किया गया ? यही नही श्री गोवर्धन के साथ, मैडम सोमादास के द्वारा भी पॉश कॉलोनी में लाखों के फ्लैट लिए जाने की जानकारी है ? आक्सीजोंन का काली कमाई का पैसा और नागपुर से इसके तार कैसे जुड़े है कुछ ऐसे ही ज्वलन्त मुद्दों को लेकर जिसका भंडाफोड़ अगले अंक में किया जाएगा ? पढ़ते रहिए फॉरेस्ट क्राइम