कोरोना वायरस का आयुर्वेद में इलाज है घबराएं नही यदि किसी भी व्यक्ति गले में खराश अथवा सिर दर्द खांसी या सर्दी चक्कर इत्यादि आए तो तुरंत आपके घर अथवा आसपास लगे पपीते के पत्ते को तोड़ ले साथ ही चार लहसुन की कलियां को साफ पानी से धोकर उसे मिक्सर मशीन या पत्थर के खरल में बारीक पीस ले तथा महीन कपडे से पानी डालकर छान ले निकले हुए आधा कप पपीते और लहसुन के रस को एक बार मे पी ले तथा आधा घण्टे तक कोई भी भोजन पदार्थ अथवा चाय न पिएं उसके बाद आप निश्चिंत रहे आपको किसी भी प्रकार का संक्रमण छू भी नही सकता याद रखे बड़ों को आधा कप दूध मुहे बच्चों को एक चम्मच तथा पांच से 10 वर्षीय बच्चों के लिए तीन से चार चम्मच रसपान कराएं इसी प्रकार बढ़ते क्रम बच्चों युवाओं को इसकी बढ़ती मात्रा में रस का सेवन करना है छोटे बच्चों को शहद के साथ भी पपीते और लहसुन का रस दिया जा सकता है,यह प्रक्रिया स्वस्थ व्यक्ति को महीने में केवल एक बार दें
वही जो बड़ी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति जैसे कैंसर ,किडनी हार्ट, शुगर ब्लड प्रेशर ब्लड कैंसर सहित उदर रोगियों चिकन गुनिया, स्वाइन फ्लू वाले व्यक्ति को इसका सेवन माह में दो बार यानी पन्द्रह - पन्द्रह दिनों में एक बार और लगभग चार माह तक नियमित करने से उपरोक्त व्याधियों से सदैव मुक्ति मिल जाएगी वही गंभीर रोगियों को इसके साथ सहजन यानी (मूनगा) के पत्तों का सेवन भी पन्द्रह दिनों में करना उपयुक्त है ,,,याद रखे यह प्रक्रिया गंभीर रोगियों को माह में दो बार और चार माह में आठ बार करना आवश्यक है, मरीज यदि स्वस्थ्य महसूस करे तो पपीते लहसुन के रसपान बंद कर दे यदि आवश्यकता लगे तो इसे माह दो माह इसे बड़ा भी सकता है
यह एक एंटीबायटिक आयुर्वेदिक चिकित्सा है तथा संक्रमण सहित अनेक रोगों में लाभकारी है स्वस्थ्य व्यक्ति संक्रमण काल मे ही इसका सेवन एक अथवा दो बार कर सकते है या उस अवधि तक जब तक संक्रमण रोग समाप्त नही हो जाता इसे घर परिवार के सभी सदस्य खाली निहार पेट माह में केवल एक बार ले सकता है तथा अन्य रोगों में इसे महीने में दो बार ले सकता है इसके पीने के पश्चात खटाई जैसे आचार,नींबू, अमचूर इत्यादि का सेवन नही के बराबर करना है बाहरी होटल के खाद्य पदार्थ से बचे, तथा चिकन एवं अन्य रेड मांस सेवन करने से बचे