आयकर छापे का शिकार मुख्यमंत्री भूपेश सरकार  न कलम न अधिकार वर्चस्व खोता पत्रकार

 


 



आयकर छापे की शिकार
मुख्यमंत्री भूपेश सरकार 
न कलम न अधिकार
वर्चस्व खोता पत्रकार
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सरकार की निगाहें केवल और केवल किसानों पर टिकी हुई है  धन खरीदी से लेकर बोनस देने और ऋण में ही सारा पैसा समाप्त हो गया है प्रदेश के व्यवसायिक परिसरो को मानों सांप सूंघ गया है दिन भर मख्खी उड़ाते दुकानदार एक एक ग्राहकों को तरस रहे है उस पर प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल का यह कथन की देश की वैश्विक आर्थिक मंदी से छत्तीसगढ़ पूरी तरह से अछूता है जबकि वास्तविकता यह है कि प्रदेश का खजाना पूरी तरह से खाली है केंद्र सरकार भी प्रदेश सरकार को राशि देने में आनाकानी कर रही है भले वह ट्रंप को खुश करने 100 करोड़ की राशि उसके स्वागत में व्यय कर दे परन्तु चुनाव के समय किसानों से किए गए वायदे की अधिक दर पर धान खरीदी होगी बढ़ाकर बोनस दिया जाएगा जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि केंद्र द्वारा निर्धारित राशि ही प्रदेश सरकार को दी जाएगी उसके ऊपर की राशि सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने वायदा किया है वह कहीं से भी उसकी भरपाई करे प्रदेश सरकार 14 वर्ष के वनवास के बाद सत्ता में आई है तो वह अपने वोटरों को खोना भी नही चाहती इसलिए बहुत से आवक के साधन को बंद कर केवल शराब और रेत खनिज से ही सत्ता चलाने की नौबत आ गई इसके लिए कांग्रेस के युवा नेता इसके तारणहार बने और दोनों ही सेक्टर से भरपूर लाभ कमाया जाने लगा जिससे प्रदेश की गाड़ी धीमे धीमे सरकती रही परन्तु यकायक हुए प्रदेश मे आयकर टीम की ताबड़तोड़  कार्यवाही ने जैसे प्रदेश की आर्थिक रीढ़ को ही तोड़ने का प्रयास किया जाने लगा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के दिग्गज नेता भी इस गणित को समझ न सके कि ऐसा हुआ तो कैसे माजरा पूरी तरह समझते तब तक  अनेक स्थानों पर आयकर की जांच जोर पकड़ चुकी थी सुबह के एक चैनल ने खबर छोड़ी की इनकम टैक्स रेड उन्ही लोगों के यहां पड़ी जो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के नजदीक है  और इनकम टैक्स रेड डलाने के पीछे भाजपा के एक विधायक की महत्वपूर्ण भूमिका बताई अब सच्चाई क्या है यह तो राजनीतिक  गणितज्ञ ही समझे परन्तु आम आदमी की सीधी साधी बुद्धि में तो यह समझ आ रहा है कि विपक्षी पार्टी ने एक बार कांग्रेस सरकार को फिर धोबी पछाड़ मार दिया  जिनकी वजह से प्रदेश सरकार पंगु की भांति  घिसटते चल रही थी अब उसपर भी ग्रहण लग गया  इधर पूर्व मुख्यमंत्री मंत्री रमन सिंह का आलाप कि धान खरीदी पूरी हो किसानों से किए गए वायदे पूरे हो अब सरकार भी उलझन में है कि मामला कैसे सुलझाए एक तो सरकार को  रेत और मादक द्रव्यों से मिलने वाली बड़ी राशि पर इनकम टैक्स की बुरी नज़र वही विपक्ष द्वारा बनाए जा रहे दबाव  धान खरीदी का मुद्दा चैन लेने नही दे रहा है केंद्र में बैठी बीजेपी सरकार प्रदेश सरकार को रुके हुए बोनस एवं अन्य मद की राशि देना छोड़ उल्टे  प्रदेश की कांग्रेस  सरकारं को झटके पर झटका दिए जा रही है  प्रदेश के मुख्यमंत्री अब करे भी यो क्या करे सवा साल से ऊपर हो चुके सत्ता में आते हुए केवल किसान हित मे ही सारे निर्णय लिए गए और उन्हें ही प्रमुखता दी जा रही है इससे भी कोई गिला शिकवा नही परन्तु बाकी सारे सेक्टरों में बड़ी मायूसी छाई हुई है उनका क्या?  आर्थिक मंदी के चलते अपनी व्यथा भी वे नही बता पा रहे है उस पर सरकारी टेक्स का बोझ अलग आदमी की।कमाई चार आना और बारह आने टैक्स पटाए ये कैसी देश और प्रदेश की अर्थ व्यवस्था है केवल देश की सत्तारूढ़ पार्टी और उसके नुमाइंदे उनके अधिकारीयों ने ही छलके तक कमाई कर आकूत संपत्तियां अर्जित कर रखी है ऐसे अधिकारियों पर किसी प्रकार का कोई आयकर छापा नही वो मजे से खुलेआम भ्रष्टाचार गड़बड़ घोटाले कर रहे है समाचार प्रकाशन कर अवगत कराने पर कोई कार्यवाही नही उल्टे  प्रदेश सरकार मौन होकर एक दार्शनिक की भांति उन्हें देख रही है या फिर  इसका मतलब साफ है।कि प्रदेश सरकर  में बैठे मंत्री अधिकारी भी उनके ही मार्ग दिशा में चल रहे है तो फिर देश प्रदेश की जनता का क्या होगा यह सोचने की उन्हें फुर्सत नही जो मीडिया कभी कमजोर दबे कुचलों की आवाज़ होती थी उसपर भी बड़े बड़े कॉरपरेट घरानों ने दखल अंदाजी कर उसके वर्चस्व और उसकी गरिमा को तार तार कर दिया चैनलों में डेबिट जैसे कार्यक्रम।दिखाकर हिन्दू मुसलमान,पाकिस्तान कश्मीर एन आर सी और अब शाहीन बाग प्रदर्शन फिर हिंसा इसमें ही उलझा कर देश की गिरती अर्थ व्यवस्था से लोगों का ध्यान बांटने का एक घर घुसरू अड्डा बना दिया गया है जो केवल इसी मसले में उलझे रहे वही प्रदेश की कांग्रेस सरकार बजट नही होने का रोना रोकर पत्रकारों  की सुरक्षा कानून,बीमा और लॉलीपॉप स्वरूप कॉलोनी में मकान देकर उन्हें खामोश कर दिया मुख्यमंत्री ने अपने इर्दगिर्द ऐसी चौकड़ी बैठाई कि वोह केवल अपने लोग को ही महिमामण्डित कर पचास हजार से लेकर लाखों के विज्ञापन जारी कर रहे है और अन्य छोटे मंझोले पत्रकारों की दशा दिशा ही बदल गई है उनके समक्ष तो रोजी रोटी के साथ समाचार पत्र निकालने के भी लाले आ गए है कइयों के लोन नही पट पा रहे जनसंपर्क विभाग ने नियम कानून लागू कर पृथक पैनल समिति गठित की गई है जिसमे ही पत्रकारों को उलझा कर रखा गया है करोड़ों के बजट वाला जनसंपर्क विभाग केवल चौकड़ी के चाहरदिवार में कैद हो गया वे जिसे बोले उन्हें विज्ञापन जारी होता है बाकी पत्रकारों को साल भर से एक विज्ञापन भी जारी नही  किया गया चाटुकारिता करने वाले पत्रकार अब भी भीख की उम्मीद में दिल लगाए बैठे है सरकार जो कर रही है सब ठीक कर रही है कलम चलाई तो भीख नही मिलेगी  इसमें भी दोष उन चौकड़ी का या अधिकारी का नही कि उन्होंने विज्ञापन नही दिया बल्कि उन चाटुकार पत्रकारों और समाचार पत्रों का है जो हाथ मे कलम होने के बाद भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक शब्द लिखने में अपने आप को असहाय समझते है और यदि नही और थोड़ी गैरत और साहस बाकी है तो उठाओ कलम और लिखो भ्रष्टाचार के विरुद्ध लाओं ईमानदारी से   जनमानस के समक्ष इनके काले चिट्ठे वाले काले भ्रष्ट कारनामे नही तो पहले ही देश का चौथा स्तंभ भरभरा चुका है वास्तविकता से आंख मूंद कर गोद मे जा बैठा है इसकी अभिवयक्ति की स्वतंत्रता में कुंद लोहे का जंग लग गया है कलम की धार खत्म हो चली है वही तीसरा स्तंभ न्यायपालिका भी ढहने के कगार पर पहुंच चुका है सत्यमेव जयते की जगह असत्यमेव जयते होने की शरुआत हो चुकी है केवल शेष रहेगा तो व्यवस्थापिका और  विधायिका जो इन तीसरे और चौथे स्थंभ को अपने अनुसार चलाएगा अब सोचना होगा कि तुम्हे अपना वर्चस्व बचाना है या परतंत्रता स्वीकार कर ऐसे लोगों के हाथों के इशारों।में कठपुतली बनकर चलना है